चीन के खिलाफ अमरीका के आक्रामक तेवर

‘साउथ चाइना सी’ में गश्त को लेकर चीन अमरिका को नहीं धमका सकता – अमरिकी रक्षामंत्री जेम्स मैटिस

सिंगापुर – ‘अमरिका और मित्र देशों की साउथ चाइना सी के समुद्री और हवाई गश्त को चीन रोक नहीं सकता। चीन की धमकी के बाद भी अमरिका की इस क्षेत्र में कार्रवाई जारी रहने वाली है और अमरिका पीछे हटने वाला नहीं है। साथ ही इस क्षेत्र के चीन के सैन्यकरण को भी अमरिका बर्दाश्त नहीं करने वाला है’, ऐसी कड़ी चेतावनी अमरिका के रक्षामंत्री जेम्स मैटिस ने दी है। उसीके साथ ही जापान और दक्षिण कोरिया ‘साउथ चाइना सी’ में चीन के सैन्यकरण को रोकने के लिए अमरिका की सहायता करे, ऐसा आवाहन भी जेम्स मैटिस ने किया है।

पिछले कुछ दिनों से मैटिस एशियाई देशों का दौरा कर रहे हैं। व्हिएतनाम और चीन के दौरे के बाद सिंगापुर में ‘आशियान’ की बैठक के लिए दाखिल हुए मैटिस ने ‘साउथ चाइना सी’ के मुद्दे को लेकर चीन पर निशाना साधा है। साथ ही साउथ चाइना सी में चीन की बढती दादागिरी के खिलाफ इस क्षेत्र के देशों को एकजुट होने का आवाहन किया है।

आगे पढ़े :http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/china-us-patrolling-south-china-sea/

चीन के महत्वाकांक्षी ओबीओआर योजना को झटका देने के लिए अमरिका से इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन की स्थापना

वॉशिंग्टन – चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग इनके महत्वाकांक्षी वन बेल्ट वन रोड को एक के पीछे एक झटके लगते समय अमरिका ने उसके विरोध में एक नया संगठन शुरू किया है। अमरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने हालही में बिल्ड एक्ट २०१८ पर हस्ताक्षर करके इंटरनेशनल डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन के निर्माण की घोषणा की है। यह यंत्रणा विकसनशील देशों को वित्त सहायता कर रहा है और इसके लिए ६० अरब डॉलर्स का प्रावधान किया जा रहा है।

चीन के वन बेल्ट वन रोड को पिछले कई महीनों में एक के पीछे एक झटके लगते दिखाई दे रहे हैं। यूरोप अफ्रीका, आशिया एवं पश्चिमी क्षेत्र में लगभग ३० से अधिक देशों ने ओबीओआर अंतर्गत होने वाले प्रकल्प स्थगित तथा रद्द करने का निर्णय लिया है। उसमें पूर्व यूरोपीय देशों के साथ जांबिया, मलेशिया, श्रीलंका, पाकिस्तान जैसे चीन के सहयोगी के तौर पर पहचाने जाने वाले देशों का समावेश है।

चीन के प्रकल्प की व्याप्ति इस बारे में और पारदर्शिता और कर्ज का बोझ इसकी वजह से ओबीओआर को होने वाला विरोध तीव्र हो रहा है और उसकी वजह से उसके समर्थन के लिए चीन को प्रयत्न करने पड़ रहे हैं। चीन को झटके लगते समय अमरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, भारत इन देशों ने चीन के महत्वाकांक्षी योजना को नियंत्रित करने के लिए जोरदार गतिविधियां शुरू की है। भारत ने एक्ट ईस्ट पॉलिसी की सहायता से आग्नेय आशिया सी देशों को सहायता शुरू की है।

आगे पढ़े : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/us-jolt-chinese-obor-scheme/

चीन की दी जाने वाली परमाणु तकनीक पर अमरीका के प्रतिबंध

वॉशिंगटन/बीजिंग – ‘अमरीका और चीन के बीच के नागरी परमाणु सहकार्य की सीमा के बाहर जाकर चीन की सत्ताधारी राजवट परमाणु तकनीक पाने की और उसका इस्तेमाल करने की कोशिश कर रहा है| इस वजह से अमरीका की सुरक्षा पर होने वाले परिणामों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता’, इन शब्दों में अमरीका के ऊर्जा मंत्री रिक पेरी ने चीन को दी जाने वाली परमाणु तकनीक पर प्रतिबन्ध लगाए जाने की घोषणा की है|

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन के साथ विविध अनुबंध और तकनीक हस्तांतरण के बारे में प्रावधानों पर पुनर्विचार करने के निर्देश दिए थे| चीन अमरीकी कंपनियों की तरफ से परमाणु सामग्री, यंत्रणा और तकनीक पाने की अवैध कोशिश कर रहा है, यह जानकारी सामने आई थी| उसमें चीन इस तकनीक इस्तेमाल लष्करी कारणों के लिए और अन्य देशों को देने के लिए कर रहा है, ऐसी आशंका जताई गई थी| इसे ध्यान में रखकर ट्रम्प प्रशासन ने अमरीकी कंपनियों की तरफ से चीन को दी जाने वाली तकनीकों के प्रस्ताव रोकने का निर्णय लिया है|

आगे पढ़े : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/us-restricts-nuclear-technology-transfer-china/