परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘ गणपति पीडादायी स्मृतियों को काट देते हैं ‘, इस बारे में बताया।

उसने वादा किया है अपनी माँ से कि जब भी कोई भी भक्त, मेरा भक्त, हे माँ, मेरा भक्त, मुझे सच्चे दिल से बुलाएगा, ये जानकर कि मै विघ्नों का नाश करता हूं, ये जानकर कि पहले उसकी कुबुद्धि को सुबुद्धि बनाता हूं, ये जानकर जो मुझे बुलाएगा, मैं अवश्य जाऊंगा। और वे अपना वचन कभी तोडते नहीं।
हमें भी हमारा वचन कभी नहीं तोडना चाहिये। इन्सान है, गलती हो सकती है, उन पर वो क्रुद्ध नहीं होता, आपका गला नहीं दबाएगा। लेकिन, यह ध्यान में रखना कि उनके साथ प्रेममय संघर्ष में जाओ, उस हद तक ठीक है। युद्ध में जाना, हानि है। उसके लिये कुछ भी नहीं है, हानि हमारे लिये है। Right! उसकी तो कोशिश रहेगी, ये हमारे साथ रहे।
मैं जैसे वचन का पालन भी नहीं कर रहा हूं, वैसे वो नहीं करेगा। हम सब कुछ भूल जाते हैं। वो याद भी कौन दिलाता है? गणपति दिलाता है! तो ये विस्मृति दूर करने के लिये उसके हाथ में क्या है? परशु है। परशु का उपयोग वो किसलिए करता है? जो विस्मृती के लेयर्स चढ चुके हैं, उन्हें काटने के लिये। Right! अंकुश रखता है, उसे बराबर टच करने के लिये, जहां अंकुश लगने से हाथी भी कंट्रोल हो जाता है।
हमारा मन उस हाथी जैसा है। मदोन्मत्त हाथी जैसा होता है, जो किसी के कंट्रोल में नहीं आता है, वैसे हमारा मन होता है। तो Right स्मृति को, अच्छी स्मृति को, अच्छी याद को हमें दिलानेवाले भी ये गणपति हैं।
गणपति पीडादायी स्मृतियों को काट देते हैं, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।