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सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं ... (Sajal Mool Jinha Saritanha Naahi ...) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 12 Jan 2006

सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं ... (Sajal Mool Jinha Saritanha Naahi ...) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 12 Jan 2006

Sajal Mool Jinha Saritanha Naahi - सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं। बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं॥ इस सुन्दरकाण्ड की चौपाई के बारे में परमपूज्य सद्गुरू श्री अनिरुद्ध बापूनें ने प्रवचन में बताया ।

नासै रोग हरै सब पीरा (Naasai rog harai sab peera) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

नासै रोग हरै सब पीरा (Naasai rog harai sab peera) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

peera मानव के भीतर रहने वाला ‘झूठा मैं’ उस मानव के मन में भय और भ्रम उत्पन्न करता है । मन को बीमारियों का उद्‍भवस्थान कहा जाता है । भय के कारण ही पहले मन में और परिणामस्वरूप देह में रोग उत्पन्न होते हैं । संतश्रेष्ठ श्री तुलसीदासजी द्वारा विरचित श्रीहनुमानचलिसा की ‘नासै रोग हरै सब पीरा’ इस पंक्ति में छिपे भावार्थ के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ११ सितंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर - 2 (Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar-2) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर - 2 (Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar-2) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar. मन, प्राण और प्रज्ञा ये मानव के भीतर रहने वाले तीम लोक हैं । मानव के भीतर के इन तीनों लोकों का उजागर होना मानव का विकास होने के लिए आवश्यक होता है । इन तीनों लोकों को उजागर करने के हनुमानजी के कार्य के बारे में सद्गुरुपरम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ११ सितंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

जय कपिश तिहु लोक उजागर ( Jai Kapish Tihu Lok Ujagar ) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

जय कपिश तिहु लोक उजागर ( Jai Kapish Tihu Lok Ujagar ) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

सन्तश्रेष्ठ श्रीतुलसीदासजी श्रीहनुमानचलिसा स्तोत्र में हनुमानजी को ‘कपिश’ कहकर संबोधित करते हैं । ‘ कपिश ’ यह संबोधन ‘कपि’ और ‘ईश’ इन दो शब्दों का अर्थ अपने ११ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने बताया । जिसे आप इस इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर (Jai Hanuman Gyan Gun Sagar) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014.

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर (Jai Hanuman Gyan Gun Sagar) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014.

Hanuman सन्तश्रेष्ठ श्रीतुलसीदासजी हनुमानजी को हमेशा ही बडे प्यार से संबोधित करते हैं । श्रीहनुमानचलिसा स्तोत्र के प्रारंभ में वे ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर’ कहकर हनुमान जी की जयजयकार करते हैं

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