Ramayan

Dara Singh – The reel life hanumant from Ramayan –
Dara Singh, who endeared himself to an entire nation for more than half a century, initially as a wrestler par excellence, (who was once crowned Rustam-i-Hind) and then as an actor of substance is no more. He passed into eternity today (12-July-2012) morning.
Dara Singh who was born on 19th November 1928 as Deedar Singh Randhawa will always be remembered for his realistic and convincing portrayal of Hanuman. He played the role in scores of films, the last being the TV serial ‘Ramayana’, which had taken the nation by storm. He was in a manner of speaking, the face of Hanuman. He also played role of Bheema and a memorable role of Balarama in the epic ‘Balarama Shri Krishna’ which I have seen.
Param Poojya Bapu (Aniruddhasinh) who has Himself learnt wrestling had a very high regard for Dara Singh style of wrestling and has actually seen his performances.
In Dara Singh’s death we have lost a genuine sportsman, artiste and a human being. I pray at Param Poojya Bapu’s (Aniruddhasinh) feet that his soul rest in peace. Hari Om..
श्रद्धावानों के लिये जीवन में सुंदरकांड का महत्व

हरि ॐ, आज दुनियाभर में जो परिस्थिति है, उस परिस्थिति में भी बापुजी के सभी श्रद्धावान मित्र उपासना के माध्यम से बापुजी के साथ दृढ़तापूर्वक जुड़ गये हैं और इस सांघिक उपासना के साथ ही, श्रद्धावान अपनीं व्यक्तिगत उपासनाएँ और खुद की प्रगति के लिए आवश्यक होनेवाले विभिन्न Online Courses इनके माध्यम से, बापुजी के बतायेनुसार समय का यथोचित इस्तेमाल करके इस संकट के दौर को अवसर में परिवर्तित कर

स्वार्थ (Swaarth)

शोकविनाशक हनुमानजी | ShokVinashak Hanumanji हनुमानजी जिस तरह सीताशोकविनाशक हैं, उसी तरह रामशोकविनाशक एवं भरतशोकविनाशक भी हैं। मानव को यह सोचना चाहिए कि जो सीता और श्रीराम के शोक हो दूर कर सकते हैं, वे हनुमानजी क्या मेरे शोक को दूर नहीं कर सकते? अवश्य कर सकते हैं। हनुमानजी के शोकविनाशक सामर्थ्य के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू  ने अपने १८ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया,

स्वार्थ (Swaarth)

भयभंजक हनुमानजी | मानव के जीवन में रामरूपी कर्म और कर्मफलरूपी सीता के के बीच में सेतु बनाते हैं महाप्राण हनुमानजी! रावणरूपी भय मानव के कर्म से कर्मफल को दूर करता है। रामभक्ति करके मानव को चाहिए कि वह हनुमानजी को अपने जीवन में सक्रिय होने दें। हनुमानजी के भयभंजक सामर्थ्य के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू  ने अपने १८ सितंबर २०१४  के हिंदी प्रवचन में बताया,

नासै रोग हरै सब पीरा (Naasai rog harai sab peera) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

नासै रोग हरै सब पीरा | मानव के भीतर रहने वाला ‘झूठा मैं’ उस मानव के मन में भय और भ्रम उत्पन्न करता है । मन को बीमारियों का उद्‍भवस्थान कहा जाता है । भय के कारण ही पहले मन में और परिणामस्वरूप देह में रोग उत्पन्न होते हैं । संतश्रेष्ठ श्री तुलसीदासजी द्वारा विरचित श्रीहनुमानचलिसा की ‘नासै रोग हरै सब पीरा’ इस पंक्ति में छिपे भावार्थ के बारे में

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर - 2 (Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar-2) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर | मन, प्राण और प्रज्ञा ये मानव के भीतर रहने वाले तीन लोक हैं । मानव के भीतर के इन तीनों लोकों का उजागर होना मानव का विकास होने के लिए आवश्यक होता है । इन तीनों लोकों को उजागर करने के हनुमानजी के कार्य के बारे में सद्गुरुपरम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने  अपने ११ सितंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप

जय कपिश तिहु लोक उजागर ( Jai Kapish Tihu Lok Ujagar ) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

जय कपिश तिहु लोक उजागर | सन्तश्रेष्ठ श्रीतुलसीदासजी श्रीहनुमानचलिसा स्तोत्र में हनुमानजी को ‘कपिश’ कहकर संबोधित करते हैं । ‘कपिश’ यह संबोधन ‘कपि’ और ‘ईश’ इन दो शब्दों का अर्थ अपने ११ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने बताया । जिसे आप इस इस व्हिडियो में देख सकते हैं l ॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर (Jai Hanuman Gyan Gun Sagar) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014.

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । सन्तश्रेष्ठ श्रीतुलसीदासजी हनुमानजी को हमेशा ही बडे प्यार से संबोधित करते हैं । श्रीहनुमानचलिसा स्तोत्र के प्रारंभ में वे ‘जय हनुमान ज्ञान गुन सागर’ कहकर हनुमानजी की जयजयकार करते हैं । महाप्राण श्रीहनुमानजी के ज्ञानगुनसागर स्वरूप के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धसिंह ने अपने ११ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l ॥ हरि ॐ

रामनाम सहज सोपे नाम (Ram Naam is Simple and Easy) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 31 March 2005

परीक्षेमध्ये ज्याप्रमाणे आधी जे प्रश्न सोपे आहेत ते सोडवले पाहिजेत, त्याप्रमाणे परमार्थातही सर्वांत सहजसोप्या असणार्‍या अशा रामनामापासून सुरुवात केली पाहिजे. हे सहज नाम म्हणजेच रामनाम घेता घेता सहजपणे सहज प्राणायाम घडेल आणि त्यातून रामनाम अधिक दृढ होईल. सहजनाम असणार्‍या रामनामाबद्दल आणि रामनामामुळे मिळणार्‍या सहजलाभांबद्दल परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांनी त्यांच्या  ३१ मार्च २००५ रोजीच्या प्रवचनात सांगितले, जे आपण या व्हिडियोत पाहू शकता. ॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ

सहजनाम (Sahaj - Naam) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 31 March 2005

सर्व नामांमध्ये रामनाम आणि गुरुनाम यांना सहजनाम म्हटले जाते. मानवाच्या जीवनात उचितास वाढवणे, अनुचितास नष्ट करणे, मानवाचा जीवनविकास घडवणे अशा प्रकारची सर्व कार्ये सहजनाम करते. रामनामाच्या सहजनामत्वाबद्दल परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांनी त्यांच्या ३१ मार्च २००५ रोजीच्या प्रवचनात सांगितले, जे आपण या व्हिडियोत पाहू शकता. ॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

सहज प्राणायाम (Sahaj Pranayam) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 31 March 2005

श्रवणातूनच माणूस बोलायला शिकतो. भक्तिमार्गातसुद्धा श्रवणभक्ती कमी असलेला मुका होतो म्हणजेच जो भगवंताचे नाम-लीला-गुणसंकीर्तन श्रवण करत नाही, त्याची भक्ती कमी होते. श्रवणापासून सुरू होणारा हा नामयज्ञ प्रत्येक श्वासाबरोबर व्हायला हवा. शेकोटी आणि यज्ञ यात जो फरक आहे, तोच फरक माणूस नेहमी करतो तो श्वासोच्छ्वास आणि सहज प्राणायाम यात आहे. सहज प्राणायाम हाच यज्ञ कसा आहे याबद्दल परम पूज्य सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांनी त्यांच्या ३१ मार्च २००५ रोजीच्या प्रवचनात सांगितले, जे आपण या