मन:शान्ति कैसे प्राप्त करें
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने 3 फरवरी २००५ के पितृवचनम् में ‘मन:शान्ति कैसे प्राप्त करें’ इस के बारे में बताया। मनगुप्त कनकमार्ग, मनगुप्त कनकमार्ग, अब इसके दो अर्थ हो सकते हैं। मनगुप्त कनक की, मन में गुप्त रूप से रहनेवाला कनक, बहुत आसान अर्थ है और दूसरा अर्थ जो है, मतलब जो बहोत सुंदर है। मन जहाँ गुप्त हो जाता है, मन को जो गुप्त करता है ऐसा सोना। मन जहाँ