सद्गुरु श्री अनिरुद्धने २० फरवरी २०१४ के पितृवचनम् में ‘भगवान की कथाओं के द्वारा मन में आध्यात्मिक परिवर्तन’ इस बारे में बताया।
तो वैसे ही जब भगवान की कथा पढते हैं, तब वही कथा अपनी जिंदगी में भी, उसका कनेक्शन अपने-आप जोडते रहते हैं। श्रीकृष्ण की कथा आती है, बाललीला की, हम लोग भी कितना मजा करते थे, हम अगर किशन जी के साथ उस समय होते तो कितना मजा आता! जो भी है, ये ऐसे विचार हमारे मन में आते रहते हैं। कभी किसी, अभी साईबाबा के साईचरित्र की कोई चीज ली जिये, कथा ली जिये, की भाई ये भक्त को ये संकट आया, हम सोचते हैं, मुझको भी ये संकट आया था, तो हम लोग, we go on correlating.
ये correlate करने से क्या होता है, हमारा sub conscious mind जो है, अर्ध जागृत मन जो है, या निद्रिस्त मन जिसे कहते है, sub conscious mind, तो उस mind का कनेक्शन अपने आप उस कथाओं के साथ दृढ होने लगता है। thick होने लगता है। और उसके साथ साथ हमारे मन का, कम्युनिकेशन भी होने लगता है। sub conscious mind का और conscious mind का उस कथा के साथ। आहिस्ते आहिस्ते उसमे से कुछ words जो है, उसपर हम लोग फोकस हो जाते है। और उस words पर, शब्दों पर फोकस होने के कारण अपनेआप हमारे मन में कुछ बदलाव आने लगते हैं।
‘भगवान की कथाओं के द्वारा मन में आध्यात्मिक परिवर्तन’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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