स्मृती इराणी के भाषण से दृश्य पलटा

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केंद्रीय मनुष्यबलविकास मंत्री स्मृती इराणी ने ‘जेएनयू’ के सिलसिले में संसद में उपस्थित किये गए प्रश्नों का बहुत ही प्रभावी रूप से जवाब दिया। अफ़ज़ल गुरु को बचाव का पूरा मौक़ा दिया जाने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने उसे फ़ाँसी की सज़ा सुनायी। उसके बाद उसे बार बार माफ़ी के लिए आवेदन करने का भी मौक़ा दिया गया। उसके बाद ही, उसे सुनायी गयी फ़ाँसी की सज़ा पर अमल किया गया। फिर भी ‘अफ़ज़ल गुरु की अदालत ने हत्या की’ ऐसे नारे लगानेवाले, देश के न्यायालय से ही उन्हें इन्साफ़ मिलने की उम्मीद रख रहे हैं। यही भारत की, न्याय पर आधारित जनतंत्रव्यवस्था की शान है, ऐसे शब्दों में स्मृती इराणी ने सरकार की ओर से दलील पेश की। कन्हैया तथा देशविरोधी कार्यक्रमों में सहभागी हुए युवकों का, देश के विरोध में हथियार जैसा इस्तेमाल किया जा रहा है। इन बच्चों को इसकी कल्पना ही नहीं है कि वे क्या कर रहे हैं, ऐसा कहकर स्मृती इराणी ने ‘जेएनयू’ में आयोजित किये जा रहे आक्षेपार्ह कार्यक्रमों का विवरण प्रस्तुत किया। इनमें ‘महिषासुर बलिदान दिन’ तथा उसी प्रकार के अन्य प्रक्षोभक कार्यक्रमों के बारे में सबूत भी स्मृती इराणी ने प्रस्तुत किये। इतना ही नहीं, बल्कि ‘जेएनयू’ के प्रशासन ने दी हुई जानकारी तथा यहाँ की सुरक्षायंत्रणाओं द्वारा दिये गए रिपोर्ट का संदर्भ देकर इस मामले में ठोंस सबूत ही स्मृती इराणी ने संसद में प्रस्तुत किये। ‘महिषासुर बलिदान दिवस’ इस कार्यक्रम की पत्रिका में दुर्गामाता का अत्यधिक अश्लाघ्य शब्दों में किया गया उल्लेख भी मनुष्यबलविकास मंत्री स्मृती इराणी ने लोकसभा तथा राज्यसभा में पढ़कर सुनाया। ‘इस घिनौने मज़कूर को पढ़ने के लिए भगवान मुझे क्षमा करें’ ऐसी प्रार्थना भी स्मृती इराणी ने उसे पढ़ने से पहले की थी। देशविरोधी कार्यक्रम और धार्मिक भावनाओं को ठेंस पहुँचानेवाले कारनामों को ‘अभिव्यक्तीस्वतंत्रता’ का मुलम्मा नहीं चढ़ाया जा सकता, ऐसा भी स्मृती इराणी ने इस समय ज़ोर देकर कहा। ‘जेएनयू’ में हुए उपरोक्त कार्यक्रम पर सरकार द्वारा की गयी कार्रवाई पर ऐतराज़ जतानेवाले सभी प्रश्नों का मनुष्यबलविकास मंत्री ने तर्कसंगत प्रत्युत्तर दिया। उनके इस प्रभावी भाषण को देशभर में से उत्स्फूर्त प्रतिसाद मिला। सोशल मीडिया में भी स्मृती इराणी के इस भाषण की बहुत ही सराहना की गयी। देशभर की आम जनता की भावनाओं को उन्होंने यथोचित शब्दों में प्रस्तुत किया, इस आशय की प्रतिक्रियाएँ काफ़ी समय तक उठ रही थीं। अपने राजनीतिक प्रतिस्पर्धियों को निरुत्तर कर छोड़नेवाले भाषण के कारण स्मृती इराणी को सराहा गया। वहीं, ‘उनके भाषण में केवल आवेश था, तथ्य नहीं था’ इस आरोप का भी स्मृती इराणी ने मुँहतोड़ जवाब दिया है। संसद में उनके द्वारा किये गये भाषणों के कारण कई बातें सुस्पष्ट हुईं और इससे ‘जेएनयू’ में चलनेवाली बातें अधोरेखित होकर दुनिया के सामने आ गयीं। उनके भाषण के कारण इस विवाद का स्वरूप ही पलट गया, ऐसा कहा जा रहा है।