श्रीशब्दध्यानयोग-०२

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने १५ अक्टूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘श्रीशब्दध्यानयोग- ०२’ इस बारे में बताया।

श्रीशब्दध्यानयोग-०२सो, बड़े प्यार से हमें, गुरुवार से पहला demonstration होगा, हम सीख जाएँगे, demonstration होगा यानी क्या, हमें सीखने के लिए होगा, राईट, हम सीखेंगे। Most probably हम लोगों को पुस्तिका भी मिल जाएगी। तो चक्र यहाँ होगा, उसकी प्रतिमा होगी, वो प्रतिमा हम लोग स्क्रिन पर भी display कर सकते हैं, राईट, ओ.के.।

हमारे घर में जाकर, हम लोग चाहे तो देख भी सकते हैं। तो घर में हम लोग, जिनके पास पुस्तिका होगी, उस चक्र को देखकर हम ‘स्वस्तिवाक्यम्‌’ बोल सकते हैं, ओ.के.। यहाँ एक बार आने के बाद, उस चक्र की प्रतिमा को देखकर, जो स्वस्तिवाक्य होगा, यानी आपके चक्र को बल देनेवाला वाक्य होगा, वो हम लोग उपासना केंद्रों पर कर सकते हैं, ओ.के. और ये ग्रेस है, मेरी माँ की, ओ.के. Her Grace. उसकी जो ‘अरुला शक्ति’ है, ग्रेस है, उस अनुग्रह के कारण उसके, उसकी कृपा के कारण, उसकी compassionate के कारण, हमें ये सवलत, ये जो सहूलियत हमें मिली है कि चक्र हम लोग घर में देखकर, ये जो ‘स्वस्तिवाक्यम्‌’ जो हैं, जो हमारे चक्र को बल देनेवाले हैं, हम लोग उसे एक बार दर रोज बोल सकते हैं, दस बार बोल सकते हैं, बार-बार भी बोल सकते हैं।

लेकिन एक ही condition है कि मूलाधार से लेकर शुरू कीजिए और पूरे सात चक्रों के वाक्य कहने हैं। सिर्फ एक चक्र को देखा और उसी का वाक्य कहा, ऐसा नहीं करना। मूलाधार से लेकर क्रम सिर्फ वैसे ही होगा, उस क्रम से जाइए। वो जो स्वस्तिवाक्यम्‌ होंगे, वो स्वस्तिवाक्यम्‌ कहिए चित्र को देखकर, राईट। तो आपको घर बैठकर भी सब कुछ मिल सकता है।

‘श्रीशब्दध्यानयोग – ०२’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।   

|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||

॥ नाथसंविध् ॥

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