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रूद्रसेवा |
कल सोमवार, वह भी सावन मास का, हर सोमवार को श्री अनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में रूद्रसेवा होती है | प्रत्येक श्रद्धावान इस रुद्रसेवा में शामिल हो सकता है | इस विधि के चलते अन्य स्तोत्रों के अलावा ११ बार श्रीरुद्रपाठ किया जा सकता है तथा उस वक्त श्रीदात्तात्रेयजी की मूर्ति पर दूध से अभिषेक किया जा सकता है तथा पूजा में शामिल हुआ जा सकता है | यह मूर्ति बापूजी के पूजाघर की है, जो हर गुरुवार को श्रीहरिगुरुग्राम में सारे श्रद्धावानों के लिए दर्शन हेतु लाई जाती है | श्रीहरिगुरुग्राम में नित्य उपासना के बाद इसी मूर्ति की पूजा होती है और सदगुरू बापू भी अपना प्रवचन शुरू करने से पहले इस मूर्ति की पूजा करके ही प्रवचन आरम्भ करते हैं |
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रूद्रसेवा |
हर सोमवार को होनेवाले इस रूद्र में ११ भक्त शामिल हो सकते हैं | केवल सावन मास में हर सोमवार को १६ श्रद्धावानों के लिए अभिषेक एवं पूजा का प्रबंध किया गया है |
इस सेवा के लिए श्रद्धावान का शाम के ५.३० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाज़िर रहना ज़रूरी है |
इसके साथ ही श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में श्रद्धावान निम्नलिखित सेवाओं में भी शामिल हो सकते हैं |
सेवा का स्वरूप: इस सेवा में शामिल होनेवाले श्रद्धावान की ओर से सेवा के दिन श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में सभी देवताओं को हार और पुष्प अर्पण किये जाते हैं | साथ ही साथ वह श्रद्धावान श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में “श्रीत्रिविक्रम” को अपने हाथों से हार अर्पण कर सकता है |
सेवा के दिन श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम की ओर से उस श्रद्धावान को श्रीफल (नारियल) प्रसाद स्वरूप दिया जाता है | सेवा के दूसरे दिन श्रद्धावान उसकी तरफ से अर्पण किये हुए सभी पुष्प एवं हार प्रसादस्वरूप घर ले जा सकता है | इस सेवा के लिए श्रद्धावान का सुबह ११.३० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाज़िर रहना ज़रूरी है |
२) आरती सेवा (शाम की):
सेवा का स्वरूप: इस सेवा में भाग लेनेवाले श्रद्धावान को श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में शाम को गर्भगृह में देवताओं की तथा श्रीत्रिविक्रम की आरती उतारने का अवसर मिलता हैं | आरती निम्न क्रम से होती है |
क) साईनाथजी की आरती “आरती साईबाबा..”
ख) सदगुरू बापूजी की आरती “आरती अनिरुद्धा..”
ग) सदगुरू बापूजी की आरती “ॐ जय अनिरुद्ध प्रभो..”
इस आरती के लिए श्रद्धावानों को श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम द्वारा आरती की थाली दी जाती है और वे अपने हाथों से देवताओं की आरती उतर सकते हैं |इस सेवा के लिए श्रद्धावान का शाम के ७.३० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाजिर रहना ज़रूरी है |
३) श्रीदत्तकैवल्य याग सेवा:
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श्रीदत्तकैवल्य याग |
सेवा का स्वरूप: इस सेवा में भाग लेनेवाला श्रद्धावान श्रीअनिरुद्ध गुरुक्श्रेत्रम में हर शनिवार को संपन्न होनेवाले “श्रीदत्तकैवल्य याग” इस विधि में व्यक्तिगत तौर पर शामिल हो सकता है | इस विधि में अन्य स्तोत्रों के अलावा श्रीदत्तमालामंत्र के २६ बार ऐसे दो सत्र होते हैं |
इस सेवा के लिए एकसाथ कुल १० श्रद्धावान शामिल हो सकते हैं | इस सेवा के लिए श्रद्धावान का शाम के ५.३० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाजिर रहना जरुरी है |
४) दीपमाला सेवा:
सेवा का स्वरूप: इस सेवा में भाग लेनेवाले श्रद्धावान सूर्यास्त के पश्चात श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में पहले दीप प्रज्वलित करते हैं, तत्पश्चात वे दीप श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम स्थित दीपमाला पर सजाते हैं |इस सेवा के लिए श्रद्धावान का शाम के ६.३० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाज़िर रहना ज़रूरी है |
५) श्रीचण्डिका हवन:
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श्रीचण्डिका हवन |
इस विधि में श्रद्धावान को श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम के प्रांगण में बैठकर चण्डिकामाता के समक्ष हवन कर सकते हैं | हवन के समय श्रीआदिमाता शुभंकर स्तवन और श्रीआदिमाता अशुभनाशिनी स्तवन के अखंड सत्र चलते रहते हैं | प्रत्येक सत्र के बाद सदगुरू बापूजी की आवाज़ में स्वाहाकार मंत्र लगाया जाता है | कुल ३ घतिकएं, अर्थात ७२ मिनटों तक यह हवन चलता रहता है |
इस सेवा के लिए एकसाथ कुल ४ श्रद्धावान शामिल हो सकते हैं |इस सेवा के लिए श्रद्धावान का सुबह के ८.०० बजे श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में हाजिर रहना जरुरी है |
उपरोक्त सभी सेवाओं के लिए श्रद्धावान श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम में सुबह के ८.३० बजे से शाम के ८.०० बजे तक अग्रिम/अडवांस बुकिंग करा सकते हैं |