सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व - भाग २
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया।
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया।
त्याच अनुषंगाने आता सद्य परिस्थिती ध्यानात घेऊन संस्थेने सर्व तीर्थक्षेत्र (श्रीअनिरुद्ध गुरुक्षेत्रम्-खार, गुरुकुल-जुईनगर, गोविद्यापीठम्, श्रीअतुलितबलधाम
सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ४ फरवरी २०१६ के प्रवचनमें ‘आप कभी भी अकेले नहीं हैं, त्रिविक्रम आपके साथ है’ इस बारे में बताया।
एक अग्रलेख में मैंने reference दिया था ‘नामस्पर्श’ का। नाम को स्पर्श करना है, इस मंत्रगजर को स्पर्श करना है। नाम को महसूस करना है, नाम को feel करना है।
ॐ जयंति मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते’ यह जप होना शुरू हो जायेगा। यहाँ कॅसेट भी लगेगी
अल्फा टू ओमेगा’ न्युजलेटर- जनवरी २०१९ - भक्तिभाव चैतन्य का तुलसीपत्र संख्या १५७७ हमारा मार्गदर्शक है। यह स्वयंभगवान त्रिविक्रम की कृपा को भी उजागर करते हैं।
आजकल जॉब भी कैसा होता है, आराम से चेअर पर बैठकर। घर में आने के बाद बस्स् बैठे रहते हैं सोफ़े पर टी.व्ही देखते हुए, It's called sedentary lifestyle.