सच्चिदानन्द सद्‌गुरुतत्त्व - भाग ४

सद्‍गुरुश्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया।

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्तूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व’ इस बारे में बताया। गुरु के चरण क्या हैं? एक चरण जब शुभंकर होता है, दूसरा अशुभनाशन होता है। यानी balanced perfect. देखिए, एक जगह आप अच्छी चीज़ों को collect करते रहिए और साथ-साथ बुरी चीज़ों को निकालना रोक दीजिए, क्या होगा? Effect zero. ऐसा कभी हुआ है? श्वास को अंदर लेते हैं, उच्छवास को बाहर नहीं छोडेंगे। पानी अंदर पिया, पिशाब से बाहर नहीं फेंका, ऐसा कभी हुआ है? उच्छ्वास बाहर डालना यानी expiration, मूत्र को बाहर फेकना, मल को बाहर फेकना ये अशुभनाशन कार्य है ना, जो हर रोज हमारे जिंदगी में चलता है। इसका balance कौन रखता है? ये सद्‌गुरुतत्त्व।

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ये संयम हमें कौन सिखाता है? सद्‌गुरुतत्त्व। इसलिए जिनके शरीर में ‘गुरुगुण’ - ‘गुरु’ ये भावशारिरी गुण है। गुरुगुण कम होता है, उन्हें सारी बिमारियाँ लगती हैं। बिमारियाँ हो रही हैं, इसका मतलब क्या है? गुरुगुण का अभाव हो रहा है। सारे जो अच्छे गुण हैं, उनकी उत्क्रांति गुरु गुण से होती है। ये आयुर्वेद में स्पष्ट रूप में चरक ऋषि द्वारा लिखा गया है।

गुरु और लघु यही main basic गुण हैं, भावशारिरी। सभी अच्छे गुण गुरुगुण से उत्पन्न होते हैं, सभी बुरे गुण लघुगुण से उत्पन्न होते हैं, right. o.k. So, हमने जान लिया, गुरुचरण से - गुरुचरणपायस से संयम कैसे प्राप्त होता है। Discipline यानी अनुशासन, संयम और तिसरी चीज़ मैंने बतायी क्या? उत्साह, right उत्साह।

‘सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व' इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll