पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन - ०१ (Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation- 01) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ०९ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ के बारे में बताया।

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 14 Jan 2016 about, 'Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation’.
पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन - ०१ (Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation - 01) - Aniruddha Bapu

 

ये पंचमुखहनुमत्कवचम्, जो मैने कहने के लिये, पठन करने के लिये इस साल के लिये बोला है, जिसके बारे में हम लोगों ने अग्रलेखों में भी बहुत कुछ पढा। आज से हम इस कवच का अर्थ जानने की कोशिश करेंगे। लेकिन बहुत ही संक्षिप्त में। बहुत मैं विस्तार में जाऊंगा तो शायद दस बारा साल भी लग सकते हैं। It is so big, so huge.

पहले जानेंगे कि पंचमुख-हनुमत्कवच जो है, उसके पंचमुख कौन से हैं। हम लोग जानते हैं। कवचमंत्रस्य ब्रह्मा ऋषि:। गायत्री छंदः । गायत्री छंद नहीं है, इस कवच का। हम लोग देखें, जो संस्कृत के जानकार हैं, वो एक पल में बोल देंगे कि ये तो गायत्री छंद में है ही नहीं। तीन छंदों में है। ब्रह्मा ऋषि: ये भी सत्य है और गायत्री छंद भी सत्य है, वो भी हमें पहले देखना है। तो ब्रह्मा ऋषि:, ये ऋषि क्या होता है। हम लोग रामरक्षा में देखते हैं, बुधकौशिक ऋ्षि:। बुधकौशिक ऋषि ने लिखा है। यहां ब्रह्मा ऋषि, यानी ब्रह्मा ने, प्रजापतिब्रह्मा ने लिखा। ब्रह्मदेव ऋषि नहीं कहा गया है, ब्रह्मा ऋषि, याने प्रजापति ब्रह्मा ने लिखा हुआ है, पंचमुखहनुमत्कवच। लेकिन उसे ऋषि क्यों कहा गया है? ब्रह्मा कोई ऋषि था ही नहीं। उसकी तो दाढी है बस! बाकी तो सारे राजमुकुट वगैरे गहने वगैरे सब पहने हुए हैं। हर एक कवच का हर एक स्तोत्र का एक विषय जो होता है, उसका नाम बताने की क्या आवश्यकता है और वो भी पहले शुरुआत में? क्योंकि जो ब्रह्म ऋषि या परमात्मा का जो अवतार है।

ये स्तोत्र या कवच लिखता है लोगों के लिये, प्रसारित करता है, वो अपनी बहुत सारी शक्तियां उसके साथ जोड देता है, और किसलिये जोड देता है, इसलिये जोड देता है कि सारे साधे से साधे सामान्य भक्तों को भी इसका पूरा लाभ मिले। जहां भक्त की ताकद कम पड सकती है वहां भी इनकी ताकद जो है, इस शब्दों के सहारे, अर्थ न जानते हुए भी उनके शरीर में, यानी त्रिविध शरीर में, भौतिक देह, जो अन्नमय, प्राणमय देह और मनोमय देह, इन त्रिविध देहों में जो भी बदल होने चाहिये, इसके पठन के कारण ये बदलाव लाने के लिये ये जो लिखनेवाले की क्षमता है वो अपना प्रभाव देती है। ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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