परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ में ‘फट् बीज’ के बारे में बताया।
‘क्रैं अस्त्राय फट्’ इति दिग्बंधः। – ‘फट्’ जो है, जो किसी भी चीज का तुरंत त्याग करने के लिये, उसका नाश करने के लिये, उसका विनाश करने के लिये, उसको नष्ट करने के लिये हमेशा के लिये, जो आवाहन किया जाता है, उसका बीज है ‘फट्’।
बाप रे! ये क्या विनाशकारी देवता है? हाँ है। लंका का विनाश किया। देखा न हम लोगों ने! लंकादहन, कैसे किया सुंदरकाण्ड में, सारे के सारे घर जल गये। रावण का अपना जो खुद का पॅलेस था, वो भी जल गया। क्या नहीं जला? विभीषण का घर नहीं जला और माल्यवंत का घर नहीं जला और त्रिजटा का घर नहीं जला और अंदर जो बच्चें और महिलायें थीं, वो भी भस्मीभूत नहीं हुए हैं। यानी जो विनाशकारक शक्ति है वो भी कैसे है, वो भी उनकी स्वेच्छा के अनुसार है।
ये विध्वंसक शक्ति भी हनुमानजी की कैसी है? very specific, apt, पूरी लंका जलाने के लिये आग लगा दी, लेकिन उस आग पर भी उनका कंट्रोल था। क्या हमारे कंट्रोल में रहेगी आग? अगर हम लोगों ने किधर आग लगा दी तो जहां भडक जाये भडक जायेगी, right! so, ‘अस्त्राय फट् इति दिग्बंधः’। किसी का अस्त्र हमपर आने के पहले उसका विनाश हो और हमसे अगर कोई गलत अस्त्र जाये किसपर तो उसका भी विनाश हो।
इस तरह ‘फट् बीज’ के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में जो बताया, वह आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥
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