जीवन में अनुशासन का महत्त्व – भाग ७
सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘जीवन में अनुशासन का महत्त्व’ इस बारे में बताया। गुरु-आज्ञा-परिपालनं, सर्वश्रेयस्करं। गुरु-आज्ञा का पालन करना ही सबसे श्रेय, श्रेयस्कर चीज़ है। सर्वश्रेय यानी सर्व बेस्ट जो है, वो हमें किससे प्राप्त होता है? गुरु-आज्ञा से प्राप्त होता है, राईट। इसी लिए ‘गुरुचरण पायस’ कहा गया है। ‘The Discipline’ बाकी की only they are a Dicipline. ये बाकी के डिसील्पीन्स से