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Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 16 Mar 2017 about, Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation – 19 (Kraim Beej - Yuddha Beej)

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ में ‘क्रैं बीज – युद्ध बीज’ के बारे में बताया। ‘क्रैं अस्त्राय फट् इति दिग्बंधः’। – क्रैं बीज जो है इसे युद्ध बीज कहते हैं। क्या कहते हैं? युद्ध बीज। क्रैं ये युद्ध बीज है। हमारे मन में जो युद्ध चलता रहता है, खुद के साथ ही, हमारे घर में जो युद्ध चलता है, मिया बीवी

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 16 Mar 2017 about, Panchamukha-Hanumat-kavacham Explanation - 18 (Kraim Astraaya Phat)

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘पंचमुखहनुमत्कवचम् विवेचन’ में ‘क्रैं अस्त्राय फट्’ इस बारे में बताया। हम हमारे जीवन में खुद के जीवन में झाँककर देखेंगे तो हम लोग जान जाएंगे कि हमारे जीवन में हम लोग ने कितनी बार हम गुस्से के कारण कुछ गलत लफ्ज बोल देते हैं, गलत शब्द बोल देते हैं। लोगों के साथ हमारे सालों पुराने संबंध एक पल

नवरात्रि-पूजन - आदिमाता दुर्गा एवं भक्तमाता पार्वती का एकत्रित पूजन

फिलहाल मनाये जा रहे आश्विन नवरात्रि-उत्सव से, नवरात्रिपूजन की शुद्ध, सात्त्विक, आसान, मग़र फिर भी श्रेष्ठतम पवित्र पद्धति श्रद्धावानों के लिए उपलब्ध कराके परमपूज्य सद्‍गुरु ने सभी श्रद्धावानों को अत्यधिक कृतार्थ कर दिया है। इस उत्सव के उपलक्ष्य में, कई श्रद्धावानों ने अपने घर में बहुत ही भक्तिमय एवं उत्साहपूर्ण माहौल में मनाये जा रहे इस पूजन की, आकर्षक एवं प्रासादिक सजावट के साथ खींचीं तस्वीरें, “नवरात्रिपूजन” इस शीर्षक के

नवरात्रि-पूजन - आदिमाता दुर्गा एवं भक्तमाता पार्वती का एकत्रित पूजन

सध्या सुरु असलेल्या आश्विन नवरात्रोत्सवापासून, परमपूज्य सद्‍गुरु बापूंनी नवरात्रीपूजनाची शुद्ध, सात्त्विक, सोपी व तरीही श्रेष्ठतम्‌ पवित्र पद्धती सर्व श्रद्धावानांसाठी उपलब्ध करून देऊन अत्यंत कृतार्थ केले आहे. ह्या उत्सवानिमित्त, अनेक श्रद्धावानांनी त्यांच्या घरी अत्यंत भक्तीमय व उत्साही वातावरणात सुरु असलेल्या ह्या पूजनाचे, आकर्षक व प्रासादिक सजावटीसहित काढलेले फोटो, “नवरात्रीपूजन” या शीर्षकांतर्गत खास उघडलेल्या फेसबुकपेजवर पोस्ट केले आहेत. अशा ह्या विशेष नवरात्रीपूजनासंदर्भात, दैनिक प्रत्यक्षमध्ये रविवार, दि. १३ ऑगस्ट २०१७ रोजी प्रसिद्ध झालेल्या

Ashwin-Navaratri

हरि ॐ, परमपूज्य सद्‌गुरु के द्वारा विशेष रूपसे बतायी गयी और उसके अनुसार मेरे द्वारा ब्लॉग पर पोस्ट की गयी नवरात्रि पूजन करने की शुद्ध, सात्त्विक, सरल परन्तु तब भी श्रेष्ठतम पवित्र पद्धति सभी श्रद्धावानों के लिए इस वर्ष की आश्विन नवरात्रि से उपलब्ध करायी गयी है। उसके अन्तर्गत विधिविधान कैसा होगा, इसकी सारी जानकारी मेरे ब्लॉग पर पहले ही दी गयी है। इस विधिविधान के अन्तिम (क्रमांक ३६) मुद्दे

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 14 Jan 2016 about, anchamukha-Hanumat-kavacham Explanation - 06 ’.

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १६ मार्च २०१७ के पितृवचनम् में ‘जो पवित्र है, वही विराट हो सकता है’ इस बारे में बताया। विराट यानी ऐसी कोई चीज, ऐसी कोई शक्ति कि जो जितनी चाहे फैल सकती है। जितनी चाहे, खुद चाहे, दूसरे किसी की इच्छा से नहीं, तो खुद की स्वयं की इच्छा से जितना चाहे उतनी फैल सकती है और किस दिशा में बढे या किस दिशा

Rudra and Bhadra are the two forms of Lord Shiva

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘रुद्र और भद्र ये शिव के दो रूप है’ इस बारे में बताया। ये जो बीज है ‘शं’, पहला वाला ‘शं’ और सं, तो ये ‘शं’ बीज है, तो ये ‘शं’ कैसा है, मैंने बोहोत बार बोला है। ‘शं’ शमने, ‘शं’ शांति, श से शमन होता है। दमन नहीं होता है। शमन होता है। इसका मतलब क्या है?

he Shraddhavan is connected to Chandikakul

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘श्रद्धावान यह चण्डिकाकुल से जुडा ही है’ इस बारे में बताया। माँ भगवती और उसका जो बेटा है त्रिविक्रम, वो हमारा मन बदलने के लिये सारी सहायता करता है। हमारी बुद्धी को और ताकद देता है, हमारे मन को और सामर्थ्य देता है, हमारे प्राणों में ऐसे ‘बदलाव’ करते हैं, जिससे हम मन कंट्रोल कर सके। लेकिन मन

स्वस्तिक्षेम संवादम्‌ - दिव्य चण्डिकाकुल के साथ संवाद (Swastikshem Samvadam - The Conversation with the divine Chandikakul) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘स्वस्तिक्षेम संवादम्‌ यह दिव्य चण्डिकाकुल के साथ किया जानेवाला संवाद है’ इस बारे में बताया। अनिरुध्द बापू ने कहा कि अभी हम स्वस्तिक्षेम संवादम्‌ करने जा रहे हैं। फिर एक बार मै बताता हूं कि स्वस्तिक्षेम संवादम्‌ क्या है? हर एक व्यक्ति अपने मन में, अपने मन की जो भी बात करना चाहता हो, इस चण्डिकाकुल के किसी

सुंदरकांड पठन उत्सव - पहला दिन

सभी श्रद्धावान जिसकी अत्यधिक प्रतीक्षा कर रहे थे, उस ‘ सुंदरकांड पठन उत्सव ’ की, मंगलवार १७ मई २०१६ से शुरुआत हुई। हनुमानजी तो पहले से ही सभी श्रद्धावानों के लाड़ले देवता हैं; ऊपर से ‘सुंदरकांड’ जैसे, ‘तुलसीरामायण’ के बहुत ही मधुर भाग का पठन, इस तरह यह मानो ‘सोने पे सुहागा’ ही रहनेवाला कार्यक्रम होने के कारण, सुबह से ही श्रद्धावान बड़ी संख्या में पठन में सम्मिलित होने के