Search results for “मूलाधार चक्र”

संघर्ष से अर्थपूर्ण संवाद का निर्माण होना चाहिए

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘संघर्ष से अर्थपूर्ण संवाद का निर्माण होना चाहिए’, इस बारे में बताया। हम लोग ये ही नहीं समझते कि सही क्या है, गलत क्या है? और सही और गलत के बीच में हमेशा युद्ध होता रहता है, हमारे मन में। और जो संघर्ष होना चाहिये – संघर्ष याने meaningful dialogue, अर्थपूर्ण संवाद, अर्थपूर्ण चर्चा, अर्थपूर्ण analysis, विश्लेषण, अर्थपूर्ण

स्वयं का स्वयं के साथ होनेवाला संघर्ष यह सब से बडा संघर्ष होता है - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘स्वयं का स्वयं के साथ होनेवाला संघर्ष यह सब से बडा संघर्ष होता है’, इस बारे में बताया। सबसे बडा संघर्ष होता है या युद्ध होता है, वो हमारे मन में ही, खुद का ही खुद के साथ। मैंने last गुरुवार को बताया आपको कि ये ‘शं’ बीज जो है, ये क्या करता है, मर्यादा में डालता है,

संघर्ष के बिना जीवन यह बस एक कल्पना है (The Life Without Struggle is Just a Fantasy) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में  ‘संघर्ष के बिना जीवन यह बस एक कल्पना है’, इस बारे में बताया। मूलाधार चक्र में लं बीज में ही समाहित है। ये सं बीज है क्या? ध्यान में रखिये कि मूलाधार चक्र के साथ यानी हमारी हर एक की मूल प्रकृति के साथ ये जुडे हुए हैं।   सं संघर्षे। सं बीज ये संघर्ष का बीज है। संघर्ष,

`ॐ लं ’ का जप करे (Chant `Om Lam') - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में  ‘ॐ लं का जप करें’, इस बारे में बताया।  शमनं, दमनं नहीं, destruction नहीं, दमन नहीं है, suppression भी नहीं, नॉर्मल करना। जो हमारे विकार या वासनाएँ हैं, जो भी हमारे षड्‌रिपु हैं, वे सारे षड्‌रिपु कहां से काम करते हैं? तो मूलाधार चक्र से काम करते हैं। और ये जो ‘शं बीज’ है, ये ‘लं बीज’ के

‘ ॐ लं ’ यह कहना ही काफी है - भाग २ (Chanting Om Lam is sufficient - Part 2) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में बताया। ये जो ‘शं’ बीज है, ये रुद्र का भी है और भद्र का भी है। हमें हमारी जिंदगी में दोनो चाहिए, लेकिन ये स्वरुप किसके लिये हैं? आवश्यकता क्या है? हम कोशिश करते हैं, मैं किसी को ना फसाऊं और मैं अध्यात्म मार्ग पर रहूं, भगवान

Chanting Om Lam is sufficient

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में बताया। अभी हम लोग यह चक्रों के बीजमंत्र को देख रहे हैं, right? तो यह मूलाधार चक्र हैं । मूलाधार चक्र के ‘ लं ’ बीज को हम देखते हैं। क्या है मूलाधार चक्र? उसके साथ हमें अब देखना हैं, ये जो चार दल हैं इस चक्र

Everyone can easily understand the meaning of Swastivakyam

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘ स्वस्तिवाक्यम्‌ का अर्थ हर एक की समझ में आसानी से आ सकता है ’ इस बारे में बताया।     जो सेंटेन्स है, जो वाक्य है, जो स्वस्तिवाक्यम्‌ है, वह मराठी, हिंदवी, अंग्रेजी और संस्कृत में है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इन शब्दों का अर्थ हम easily, आसानी से जान सकते हैं। ये हमने प्रतिमा

Our Focus must be on chanting Swastivakyam - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘हमारा ध्यान स्वस्तिवाक्यम्‌ के जाप में रहना चाहिए’ इस बारे में बताया।  अनिरुद्ध बापू ने कहा- ये जो स्वस्तिवाक्यम्‌ है उसमें हमे ध्यान किस बात पर करना है – उस वाक्य का हमे जप करना है। ओके। जिस समय, समझो कि मूलाधारचक्र का पूजन चल रहा है तो उतने समय तक मूलाधार चक्र की प्रतिमा में रहनेवाले ‘लं’

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘श्रीशब्दध्यानयोग के साथ स्वयं को जोड लो’ इस बारे में बताया।

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘श्रीशब्दध्यानयोग के साथ स्वयं को जोड लो’ इस बारे में बताया।   स्वस्तिवाक्य जो होंगे, ये वाक्य हमारे उस उस चक्र को स्ट्रेन्थ देते हैं, पॉवर देते हैं, शक्ति देनेवाले वाक्य हैं। हमारे उस मूलाधार चक्र का स्वस्तिवाक्यम्‌, जो हम बोलेंगे, सिर्फ उच्चार से यहॉं आपके उस चक्र की ताकद बढ जाएगी, जो दुर्बलता होगी वह दूर हो

Aniruddha Bapu pitruvacahanam

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘स्वस्तिवाक्यम्‌ यह सबकुछ सुंदर बनाता है’ इस बारे में बताया। अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के दौरान यह बताया कि हर एक देवता के जो वैदिक सूक्त हैं, उन्हें हर चक्रपूजन एवं ध्यान के साथ पढा जायेगा। वैदिक सूक्त पहले पढे जायेंगे और उसके बाद उस देवता का जो गायत्री मंत्र होता है, जैसे गणेशजी का गायत्री मंत्र आप