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सद्‍गुरुतत्त्व पर मनुष्य का जितना विश्वास होता है, उतनी कृपा वह प्राप्त करता है (SadguruTattva renders to everyone according to his faith) भगवान ने इस विश्व को अपने सामर्थ्य से बनाया है, उन्हें किसीकी जरूरत नहीं पडी थी। वे हर एक के जीवन में उस व्यक्ति के लिए जो भी उचित है वही करते हैं; बस मानव को भगवान पर भरोसा रखना चाहिए। ‘भजेगा मुझको जो भी जिस भाव से।

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साईनाथ कहते हैं- भजेगा मुझको जो भी जिस भाव से। पायेगा कृपा मेरी वह उसी प्रमाण से (Sainath Says, I Render To Each One According To His Faith) सद्‍गुरुतत्त्व की उपासना करने वाले श्रद्धावानों के मन में ‘यह मेरा सद्‍गुरु मेरा भला ही करने वाला है’ यह भाव रहता है। इस एकसमान भाव के कारण सामूहिक उपासना में सम्मिलित होनेवाले श्रद्धावानों को व्यक्तिगत उपासना की अपेक्षा उस सामूहिक उपासना से

भय से मुक्ति पाने के लिए भगवान पर भरोसा रखिए (Keep Faith in God to get rid of Fear) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 15 May 2014.

मानव जिस बात से डरता है, उसके बारे में वह ज्यादा सोचता है । जिस बात से उसे डर नहीं लगता उसके बारे में वह नहीं सोचता । सच्चे श्रद्धावान की जिम्मेदारी भगवान उठाते हैं और निरपेक्ष प्रेम के साथ उसके लिए सब कुछ करते रह्ते हैं । मानव का भगवान पर पूरा भरोसा होना चाहिए । भय से मुक्ति पाने के लिए भगवान पर भरोसा रखना आवश्यक है, यह

विश्वास ही सब कुछ है (Faith is everything) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 1 May 2014

सद्‍गुरुतत्त्व पर श्रद्धावान का विश्वास कितना है, इस बात पर ही उसका जीवनविकास निर्भर करता है l जो भी माँगना है, वह सद्‍गुरु से ही माँगना चाहिए l परंतु कुछ माँगने पर भी यदि मेरे साईनाथ ने मुझे वह नहीं दिया तो कोई भी मुझे वह नहीं दे सकता और मैं मेरे साईनाथ के अलावा किसी और से वह स्वीकार भी नहीं करूँगा ऐसा विश्वास श्रद्धावान के मन में रहना

परम पूज्य सद्‌गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी गुरूवार दिनांक ८ मे २०१४ रोजी च्या मराठी प्रवचनात श्री हरिगुरुग्राम येथे भगवंताच्या भक्तिमार्गात इतर कुठल्याही गोष्टीपेक्षा तुमचा विश्वास किती आहे, यावरच सर्वकाही अवलंबून असते. हे स्पष्ट केले. जे आपण ह्या व्हिडिओमध्ये पाहू शकतो. (You are Judged by your faith) Aniruddha Bapu Marathi Discourse 08 May 2014. ॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

परम पूज्य सद्‌गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी गुरूवार दिनांक २७ मार्च २०१४ रोजी च्या मराठी प्रवचनात श्री हरिगुरुग्राम येथे श्री साईसच्चरितात नानासाहेब चांदोरकरांच्या मुलीच्या प्रसुतीच्या वेळेस साईनाथांनी अदभुतलीला करुन उदी पाठवली. याची कथा आपण वाचतो, त्या कथेच्या आधारे बापूंनी सद्‌गुरुतत्त्वाचे अदभुतसामर्थ आणि भक्ताचा पूर्ण विश्वास याबद्द्ल सविस्तर सांगितले. काळ, दिशा आणि अंतर या त्रिमितीला वाकवून भक्तासाठी अदभुतलीला करण्यास सदगुरुतत्व समर्थ आहेच. फक्त गरज असते ती भक्ताच्या विश्वासाची ही गोष्ट बापूंनी स्पष्ट

विश्वासाचे गुण (Marks of Faith) - Aniruddha Bapu Marathi Discourse 27 Mar 2014

परम पूज्य सद्‌गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी गुरूवार दिनांक २७ मार्च २०१४ रोजी च्या मराठी प्रवचनात श्री हरिगुरुग्राम येथे भगवंताबद्दल कुठलाही विकल्प मनात येऊ न देता ठेवता आणि स्वतःचा भगवंतावरील विश्वास जराही डगमगु न देता. मानवाने भगवंतावरील विश्वास अधिकाधिक वाढवला पाहिजे, कारण शेवटी ह्या विश्वासावरच सर्व काही अवलंबून असते. माणसाच्या जीवनात प्रश्नपत्रिकेत त्याला मिळणारे गुण इतर कुठल्याही गोष्टीवर अवलंबून नसून केवळ विश्वासावरच अवलंबून असतात, हे बापूंनी स्पष्ट केले. जे आपण ह्या

लीला की व्याख्या (Definition Of Leela)

परम पूज्य सद्‌गुरु श्री अनिरुद्ध बापुंनी गुरूवार दिनांक २७ मार्च २०१४ रोजी च्या मराठी प्रवचनात श्री हरिगुरुग्राम येथे श्री साईसच्चरितातील लोहारणीची कथा आणि चांदोरकरांची कथा याद्वारे भगवंत त्रिमितीला वाकवून स्वलीलेने भक्ताला कसा सहायक होतो हे बापूंनी सांगितले. पण हे होण्यासाठी विश्वास महत्त्वाचा आहे, “एक विश्वास असावा पुरता कर्ता हर्ता गुरु ऐसा” हा सद्‌गुरु विश्वास ज्या भक्ताच्या ह्द्यात असतो त्या भक्ताला सद्‌गुरुतत्त्वाच्या अचिंत्य लीला अनुभवास येतात असे बापू म्हणाले. जे आपण

Gokul

Sadguru Shree Aniruddha tells us in his Hindi discourse of 29th December 2005, why should we always stay within the boundary of the Gokul in any situation by keeping full faith in Bhagwan Shree Krishna. Along with this, the unique relationship between Kshama(क्षमा), Radha, and Gokul is explained in simple words. सद्गुरु श्री अनिरुद्ध हमे २९ दिसंबर २००५ के हिंदी प्रवचन व्हिडिओ में हमेशा भगवान श्रीकृष्ण पर पूर्ण विश्वास रख

help

– Ashaveera Nayak, Mahim At times, the expanse of an ailment takes such a disproportionate shape that one feels pretty helpless. In such times, while one’s body may not support, a Shraddhavan’s mind gives him/her much-needed support. One begins to believe that one would get cured if Bapu wishes. This steadfast belief works in one’s favour, and everything gets sorted.  I am Ashaveera Nayak, a 50-year-old widow living alone in