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पुणे एवं वडोदरा में त्रिविक्रम मठ की स्थापना

हरि ॐ, माँ जगदंबा तथा सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी के कृपाशिर्वाद से गुरुवार दिनांक ६ सितम्बर २०१८ को पुणे एवं वडोदरा में त्रिविक्रम मठ की स्थापना की गयी। स्थापना के समय की गयी प्रार्थना में, मंगलाचरण, श्रीगुरुक्षेत्रम् मंत्र, श्रीरामरक्षा स्तोत्र, श्रीआदिमाता शुभंकरा स्तवनम्, त्रिविक्रम ध्यानमंत्र एवं त्रिविक्रम स्तोत्र, त्रिविक्रम के १८ वचन और त्रिविक्रम का सार्वभौम मंत्रगजर किया गया। उसके पश्चात् उपस्थित श्रद्धावानों ने ‘अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य’ को अनुभव करते हुए विभिन्न

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ३० नवंबर २०१७ के पितृवचनम् में ‘४ सेवाओं का उपहार’ इस बारे में बताया। हर साल, हर दिन, हर पल हर एक श्रद्धावान के मन में, हर एक इन्सान के मन में ये विचार रहता है कि मैं जिस स्थिति में हूं, उस स्थिति से मैं और कैसे आगे चला जाऊं, मेरा विकास कैसा हो जाये, मुझे सुख कैसा प्राप्त हो जाये, मेरे दुख

"नित्य उपासना" और "हरिगुरु गुणसंकीर्तन" का अनन्यसाधारण महत्व - (The importance of "Daily Prayers" & "Hariguru Gunasankirtan") - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 31st Dec 2015

नये साल का स्वागत करते समय, ३१ दिसंबर २०१५, गुरुवार के दिन सद्‌गुरु बापू ने अपने पितृवचन में, अगले साल याने २०१६ साल में “नित्य उपासना” (daily prayers) और “हरिगुरु गुणसंकीर्तन” के अनन्यसाधारण महत्व को विशद किया था। इस पितृवचन का महत्वपूर्ण भाग संक्षिप्त रूप में मेरे श्रद्धावान मित्रों के लिए इस पोस्ट के द्वारा मैं दे रहा हूँ। “अभी २०१६ साल चंद घण्टों में शुरु होनेवाला है । हर

गुरुवार पितृवचनम् - १० डिसेंबर २०१५

गुरुवार, दि. १० दिसम्बर २०१५ को श्रीहरिगुरुग्राम में परमपूज्य बापू ने एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण विषय पर पितृवचन दिया। श्रद्धावानों के लिए बहुत ही श्रद्धा का स्थान रहनेवाला त्रिविक्रम “श्रीश्वासम” में निश्चित रूप में कैसे कार्य करता है और मानव का अभ्युदय करानेवालीं ‘कार्यक्षमता’, ‘कार्यशक्ति’ और ‘कार्यबल’ इन तीन मूलभूत ज़रूरतों की आपूर्ति कैसे करता है, इस बारे में बापू ने किया हुआ पितृवचन संक्षिप्त रूप में मेरे श्रद्धावान मित्रों

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हरि ॐ, श्रीराम, अंबज्ञ! पहले हमें अब श्रीसूक्त सुनना है। श्रीसूक्त… वेदों का यह एक अनोखा वरदान है जो इस… हमने उपनिषद् और मातृवात्सल्यविंदानम् में पढ़ा है कि लोपामुद्रा के कारण हमें प्राप्त हुआ है…महालक्ष्मी और उसकी कन्या लक्ष्मी… इस माँ-बेटी का एकसाथ रहनेवाला पूजन, अर्चन, स्तोत्र, स्तवन… सब कुछ… यानी यह ‘श्रीसूक्तम्’। तो आज पहले… स़िर्फ आज से हमें शुरुआत करनी है। ‘श्रीसूक्तम्’ का पाठ हमारे महाधर्मवर्मन् करनेवाले हैं।

त्रिविक्रम जल पर आधारित सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू का प्रवचन

गुरुवार, 6 मार्च 2014 को परमपूज्य बापू ने ‘ त्रिविक्रम जल ’ इस विषय पर प्रवचन किया। हिन्दी प्रवचन में भी बापू ने इस सन्दर्भ में संक्षेप में जानकारी दी। इस ‘त्रिविक्रम जल’ विषय पर आधारित मराठी प्रवचन का हिन्दी भाषान्तर यहाँ पर संक्षेप में दे रहा हूँ, जिससे कि सभी बहुभाषिक श्रद्धावानों के लिए इस विषय को समझने में आसानी होगी। — ‘हरि ॐ’। ‘श्रीगुरुक्षेत्रम् मंत्र’ यह हम सब लोगों

श्रीश्वासम् (Shreeshwasam)

गुरुवार,दिनांक 07-11-2013 के प्रवचन में सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने ‘श्रीश्वासम्’ उत्सव के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण जानकारी दी। जनवरी 2014 में ‘श्रीश्वासम्’ उत्सव मनाया जायेगा। ‘श्रीश्वासम्’ का मानवी जीवन में रहनेवाला महत्त्व भी बापु ने प्रवचन में बताया। सर्वप्रथम “उत्साह” के संदर्भ में बापु ने कहा, “मानव के प्रत्येक कार्य की, ध्येय की पूर्तता के लिए उत्साह का होना सबसे महत्त्वपूर्ण है। उत्साह मनुष्य के जीवन को गति देते रहता है। किसीके

श्रीश्वासम्

गुरुवार, दिनांक ०७-११-१३ रोजीच्या प्रवचनात सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांनी ‘श्रीश्वासम्’ उत्सवाबद्दल महत्वाची माहिती दिली. जानेवारी २०१४ मध्ये ‘श्रीश्वासम्’ हा उत्सव साजरा करण्यात येणार आहे. ‘श्रीश्वासम्’चे मानवी जीवनातील महत्वही बापुंनी प्रवचनात सांगितले. सर्वप्रथम “उत्साह”बद्द्ल बोलताना बापू म्हणाले, “मानवाच्या प्रत्येक कार्याच्या, ध्येयाच्या पूर्ततेसाठी उत्साह सर्वांत महत्त्वाचा असतो. उत्साह मनुष्याच्या जीवनाला गती देत राहतो. एखाद्याजवळ संपत्ती असेल परंतु उत्साह नसेल तर काहीही उपयोग नाही. मग हा उत्साह आणायचा कुठून? आज आपण बघतो की सगळीकडे अशक्तपणा जाणवतो. शरीरातला

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अनिरुद्धधाम (Aniruddhadham) हरि: ॐ मंगलवार दिनांक ०७-०५-२०१३ को, अक्कलकोटनिवासी श्री स्वामी समर्थ पुण्यतिथि के पवित्र दिन, प्रथम अनिरुद्धधाम के निर्माणकार्य शुरुआत डुडूळ गाँव, देहू- आळंदी रोड (तालुका हवेली, जिला पुणे) में हुई। परमपूज्य बापुजी के निर्देश के अनुसार महाधर्मवर्मन्‌ डॉ. योगीन्द्रसिंह जोशी और डॉ. सौ. विशाखावीरा जोशी ने कुछ श्रद्धावानों के साथ निर्माणकार्य की शुरुआत होने से पहले कार्यारंभ-पूर्व की जानेवाली उपासना की। इसमें श्री गुरुक्षेत्रम् मन्त्र, ’ॐ गं गणपतये

हरि: ॐ प्रथम अनिरुद्धधाम मंगळवार दि. ०७-०५-२०१३ रोजी, अक्कलकोटनिवासी श्री स्वामी समर्थ पुण्यतिथिच्या पवित्र दिनी, प्रथम अनिरुद्धधामाच्या निर्माणकार्याची सुरुवात डुडूळ गाव, देहू- आळंदी रोड (तालुका हवेली, जिल्हा पुणे) येथे झाली. परमपूज्य बापूंच्या निर्देशानुसार महाधर्मवर्मन्‌ डॉ. योगीन्द्रसिंह जोशी व डॉ. सौ. विशाखावीरा जोशी यांनी काही मोजक्या श्रद्धावानांसह निर्माणकार्य सुरू होण्याआधी करावयाची उपासना केली. यामध्ये श्री गुरुक्षेत्रम् मन्त्र, ’ॐ गं गणपतये नम:’ जप, श्री आदिमाता शुभंकरा स्तवनम्, श्री आदिमाता अशुभनाशिनी स्तवनम्, श्रीरामरक्षास्तोत्र,