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माझा विठू सावळा

सद्गुरु श्री श्रीअनिरुद्धांनी त्यांच्या १३ नोव्हेंबर २००३ च्या मराठी प्रवचनात ‘देव माझा विठू सावळा’ याबाबत सांगितले. ही चंद्रभागा म्हणजे संतांची ‘माऊली’. प्रत्येक भक्त काय म्हणतो की मला वाळू व्हायचयं, मला वाळवंट व्हायचंय. मला देवा तुझ्या पायीची वहाण व्हायचंय किंवा नामदेवांसारखा श्रेष्ठ भक्त म्हणतो की, परमेश्वरा, पांडुरंगा तुझा पाय माझ्या डोक्यावर नाही पडला तरी चालेल, पण तुझ्याकडे येणारा प्रत्येक भक्त आणि तुझ्याकडून परत जाणारा प्रत्येक भक्त हा माझ्यापेक्षा खूप श्रेष्ठ आहे

माँ दुर्गा , Mother Durga

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ३१ मार्च २०१६ के पितृवचनम् में ‘माँ दुर्गा हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर देती हैं’ इस बारे में बताया। मुझे अच्छा लगता है हमें, कोई भी सीधा ऐसा बैठा है, तो मुझे अ़च्छा नहीं लगता, वो काम करता रहे बस, बस, बस। I am myself workaholic and I want everyone be is workaholic absolutely. काम करते रहिए यार, शान से जियेंगे। So improve your english. ये अध्यात्मिक

जिज्ञासा यह भक्ति का पहला स्वरूप

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अप्रैल २००५ के पितृवचनम् में ‘जिज्ञासा यह भक्ति का पहला स्वरूप है’ इस बारे में बताया। यह जिज्ञासा जो है, यही भक्ति का पहला स्वरूप है। भक्ति का पहला स्वरूप यानी राधाजी का पहला स्वरूप हर मानव के पास जिज्ञासा के रूप में रहता है। जिज्ञासा, भगवान के प्रति जिज्ञासा नहीं, इस विश्व के प्रति जिज्ञासा। यह सूरज कैसा है? यह पृथ्वी इतनी बड़ी है,

हर एक इन्सान के पास एक क्षीरसागर होता है

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने २४ फरवरी २००५ के पितृवचनम् में ‘हर एक इन्सान के पास एक क्षीरसागर होता है’ इस बारे में बताया। हलाहल कहाँ उत्पन्न हुआ था? भाई देखो, क्षीरसागर में। जो परमपवित्र है, जिसमें अपवित्रता बिलकुल नहीं है, ऐसे क्षीरसागर में, जहाँ भगवान का निवास है, ऐसी जगह में भी जब बुरी प्रवृत्तियों की सहाय्यता ली जाती है, तो हलाहल पहले उत्पन्न होता है, यह जान लो भाई।

श्रद्धावानों के लिये जीवन में सुंदरकांड का महत्व

हरि ॐ, आज दुनियाभर में जो परिस्थिति है, उस परिस्थिति में भी बापुजी के सभी श्रद्धावान मित्र उपासना के माध्यम से बापुजी के साथ दृढ़तापूर्वक जुड़ गये हैं और इस सांघिक उपासना के साथ ही, श्रद्धावान अपनीं व्यक्तिगत उपासनाएँ और खुद की प्रगति के लिए आवश्यक होनेवाले विभिन्न Online Courses इनके माध्यम से, बापुजी के बतायेनुसार समय का यथोचित इस्तेमाल करके इस संकट के दौर को अवसर में परिवर्तित कर

‘अल्फा टू ओमेगा’ न्युजलेटर - जनवरी २०२०

जनवरी २०२० संपादकीय हरि ॐ श्रद्धावान सिंह और वीरा, आपको और आपके परिजनों को नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ। परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्धजी की कृपा से हम सभी ने अनिरुद्ध भक्तिभाव चैतन्य मनाते हुए सन २०२० में कदम रखा है। मुझे यकीन है कि हम सभी अब भी ३१ दिसंबर २०१९ के उन सुंदर यादों में डूबे हुए हैं जो कि हमने सद्गुरू श्री अनिरुद्धजी पर रचे गए

Aniruddha Bhaktibhav Chaitanya

डिसेंबर २०१९ संपादकीय हरि ॐ श्रद्धावान सिंह, वेळ हा चुटकी वाजवल्यासारखा क्षणात उडून जातो. आपण सर्वजण प्रत्यक्ष अनुभवणार असलेला अनिरुध्द भक्तिभाव चैतन्य हा महासत्संग सोहळा अगदी काही आठवड्यांवर येऊन ठेपला आहे. ह्या भव्य सोहळ्याची सर्व तयारी अत्यंत जोशात सुरु आहे. १८ नोव्हेंबर – म्हणजे आपल्या लाडक्या सदगुरु श्री अनिरुध्दांचा वाढदिवस! त्यामुळेच नोव्हेंबर महिना हा प्रत्येक श्रध्दावानासाठी अगदी विशेष महत्त्वाचा असतो. त्रिपुरारी पौर्णिमेच्या अत्यंत पवित्र दिवशी सद्गुरु श्री अनिरुध्दांचा जन्म झाला.

रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए - ०२

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए’ (Write at least one page of Ramnaam book daily – 02) इस बारे में बताया।   स्वाधिष्ठान चक्र क्या देता है? फाऊंडेशन फ़ॉर्म करता है। फाऊंडेशन यानी हिंदी में क्या कहेंगे? पाया मराठी में कहते हैं, हिंदी में? नींव रखते हैं, नींव। तो मूलाधार चक्र हर चीज की नींव

Bapu Always Protects His Children

हरि ॐ, सभी श्रद्धावान यह जानते ही हैं कि प्रथम पुरुषार्थ अनिरुद्ध धाम का निर्माणकार्य डुडुळ गाव, पुणे-आळंदी रोड यहाँ संपन्न हो रहा है। आज तक इस पुरुषार्थ धाम के निर्माणकार्य में सेवावृत्ति से सम्मिलित होने के लिए कई श्रद्धावान वहाँ पर उत्साह के साथ चले आते थे। फिलहाल यह निर्माणकार्य अंतिम चरण में पहुँच गया है और अब वहाँ की आध्यात्मिक पवित्रता तथा शुचिता को क़ायम रखना आवश्यक है।

ईको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियां

सप्टेंबर २०१९ संपादकीय, हरि ॐ श्रद्धावान वीरा श्रावणाचा पवित्र महिना येणार्‍या उत्सवांची चाहूल देतो आणि आध्यात्मिक वातावरणही बळकट करतो. या श्रावण महिन्यात श्रध्दावानांना दरवर्षी सामुहिक घोरकष्टोध्दरण स्तोत्र पठण करण्याची, महादुर्गेश्वर प्रपत्ती करण्याची आणि अश्वत्थ मारुती पूजनात सहभागी होण्याची संधी मिळते. या सगळ्याबरोबरच यावर्षापासून श्रावणात ’शिव सह-परिवार पूजन’ करण्याची अतिशय सुंदर संधी श्रध्दावानांना मिळाली. श्रध्दावानांना अनेकविध मार्गांनी आपल्या परमेश्वराप्रती असणारी कृतज्ञता व्यक्त करता येते त्याची आपण थोडक्यात माहिती घेऊ. – समिरसिंह