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भारतीय अर्थव्यवस्था  से जुडी महत्वपूर्ण गतिविधियां

प्रधानमंत्री के हाथों १०० लाख करोड़ की ‘गतिशक्ति’ योजना का शुभारंभ – पूरे देश में राष्ट्रीय राजमार्ग और कनेक्टिविटी प्रकल्पों के माध्यम से अर्थव्यवस्था को बल प्रदान होगा देश में योजना बनाकर बुनियादी सुविधाओं का विकास करके कनेक्टिविटी बढ़ाने की १०० लाख करोड़ रुपए की योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार के दिन किया। ‘पीएम गतिशक्ति नैशनल मास्टर प्लैन’ के तहत देश में बुनियादी सुविधाओं का बड़ा नेटवर्क

खेळ मांडियेला

While explaining Sant Tukaram’s abhang ‘Khel Mandiyela Valvanti Ghai’, Sadguru Aniruddha (Bapu) described the beautiful relation that Lord Vitthal shares with each of his devotees. This relation is such that it cannot be stated in words and also cannot be compared with anything else. ही भक्तीची भूमी म्हणजेच वाळवंट. ही वाळवंट असून मात्र ही उगवते, ह्या लोकांच्या डोळ्यांना दिसत नाही. वाळवंटामध्ये जर तुम्ही एकादशीच्या दिवशी ह्या भक्तांना नाचताना बघितलं तर

देव माझा विठू सावळा - भाग ४

सद्गुरु श्री श्रीअनिरुद्धांनी त्यांच्या १३ नोव्हेंबर २००३ च्या मराठी प्रवचनात ‘देव माझा विठू सावळा – भाग ४’ याबाबत सांगितले. …आणि हा जो खेळ मांडलाय, तो कोणी मांडलाय? त्या विठोबाने मांडलाय की त्या चंद्रभागेने मांडलाय की त्या वैष्णवांनी मांडलाय? आम्हाला प्रश्न पडतो. एक तर बाबा खेळ मांडलाय, तर तो त्या विठ्ठलाने मांडलेला असला पाहिजे कि हे जे वैष्णव नाचती-गाती म्हणताहेत, त्या वैष्णवांनी मांडलेला असला पाहिजे किंवा त्या चंद्रभागेने मांडलेला असला पाहिजे.

समयोग

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ३० जून २००५ के पितृवचनम् में ‘समयोग’ इस बारे में बताया। योग जो है, भगवान, उस भगवती शक्ति और भक्त तीनों का एक समवान हिस्से में आना, एक ही ट्रान्ससेक्शन में, एक ही समय, एक ही पल, तीनों आनंद जो होते हैं, उसे योग कहते हैं। भगवान तो हमेशा आनंदस्वरूप हैं। भगवती जो हैं, वो तो आल्हादिनी स्वरूप हैं, आनन्दप्रदायक, उत्पन्न करनेवाली हैं। खुद आनन्दस्वरूप भगवान,

सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व - भाग ३

सद्‍गुरुश्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया। तो ये सद्‍गुरुतत्त्व क्या है? सच्चिदानंद स्वरुप है। क्योंकि उसके पास कोई एक्सपेक्टेशन नहीं है, सिर्फ एक इच्छा रखता है, जो मेरा नाम ले, जो मुझसे प्रेम करे, जो मेरी आज्ञा का पालन करे, वो मेरे अपने हैं और उनकी जिंदगी में कैसे ज्यादा से ज्यादा आनंद से भरपूर कर दूँ। कुछ नहीं चाहता

सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व - भाग २

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया। जो-जो अस्तित्व है जिंदगी में, उससे सिर्फ हमें आनंद ही मिले, ये किसके हाथ में हो सकता है? किसकी ताक़त हो सकती है? ‘सच्चिदानंद’ की ही यानी सद्‌गुरु की ही और ये आनंद तभी उत्पन्न हो सकता है, जब संयम है, राईट। एकार्थी – extremes बन जाओ तो आनंद कभी नहीं मिलेगा। संयम

सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व - भाग १

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया। तो ये बात ऐसी है कि ये जो गुरुतत्त्व होता है, सद्‍गुरु जो होता है, उसके चरण ये क्या चीज़ है, ये पहले जानना चाहिये हमें। गुरु के चरण यानी क्या? गुरु के चरण, दो चरण जो होते हैं। एक कदम से वो शुभंकर कार्य करते हैं, दूसरे कदम से अशुभनाशन का कार्य

Aniruddha-Aadesh-Pathak

Hari Om, We are pleased to announce the launch of our website of ‘Shree Aniruddha Aadesh Pathak’. This website will provide information about the various Devotional Services that our organization undertakes, under the divine guidance & directions of Sadguru Shree Aniruddha. This website also has an online donation page which will allow Shraddhavans to make donations towards these Devotional Services. The donation is applicable for tax exemption under Section 80G.

अनिरुद्ध भजन म्युझिक ॲप के रेडिओ पर विविध स्तोत्र और मंत्रों का ऑडियो प्रक्षेपण

हरि ॐ, सभी श्रद्धावानों को यह जानकारी देने में बहुत खुशी हो रही है कि आज सुबह ११.०० बजे से अनिरुद्ध भजन म्युझिक ॲप के रेडिओ के माध्यम से तथा नीचे दिए हुए वेबसाईट पर विविध स्तोत्र और मंत्रों का ऑडियो स्वरूप में प्रक्षेपण होने वाला है I नित्य उपासना का समय छोडकर यह प्रक्षेपण आगे आने वाले काल में भी २४ x ७ अखंड शुरू रहेगा इस पर सभी

Aniruddha Devotion Sentience

हरि ॐ, मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि हमने अपनी ‘अनिरुद्ध डिवोशन सेंटियन्स’ वेबसाईट का व्टिटर हँडल शुरू किया है। जैसा कि अपनी डिवोशन सेंटियन्स वेबसाईट के आरंभिक पन्ने पर बापुजी कहते हैं, “भक्तिभाव चैतन्य (डिवोशन सेंटियन्स ) में रहना यही मेरे जीवन का एकमात्र सर्वोच्च और अंतिम ध्येय है।” यह हँडल इसी का केवल विस्तार है, जो हमें ‘अनिरुद्ध डिवोशन सेंटियन्स‘ वेबसाईट के साथ और हमारे