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नवरात्रिपूजन करने की शुद्ध, सात्त्विक, सरल परन्तु तब भी श्रेष्ठतम पवित्र पद्धति – भाग २

१. इस आश्विन नवरात्रि उत्सव से परमपूज्य सद्‍गुरु अनिरुद्ध बापू के द्वारा दी गयी नवरात्रि-पूजन की विशेष पद्धति में, परात की मृत्तिका (मिट्टी) में गेहूँ (गोधूम) बोने की विधि का समावेश है। इस विधि के अनुसार बोये जाने वाले गेहूँ अंबज्ञ इष्टिका के मुख के सामने न बोते हुए, उन्हें अन्य सभी तरफ से बोयें, जिससे कि नवरात्रि की अवधि में गेहूँ के तृणांकूरोंसे से आदिमाता का मुख ढँक न जाये। संदर्भ के

Ashwin-Navaratri

हरि ॐ, आज सुरु झालेल्या आश्विन नवरात्रोत्सवामध्ये परमपूज्य सद्‍गुरुंनी दिलेल्या नवरात्रीपूजनाच्या विशेष पद्धतीचा अनेक श्रद्धावान लाभ घेत आहेत. ह्या नवरात्रीपूजनाच्या विधीविधानामध्ये अंबज्ञ इष्टिकेवर देवीचे डोळे, नाक व ओठ काजळाने रेखांकित करण्याचा एक उपचार समाविष्ट आहे. हे देवीचे डोळे, नाक व ओठ रेखांकित करण्यासाठी काजळाव्यतिरिक्त बुक्काही (अबीर) वापरला जाऊ शकतो ह्याची सर्व श्रद्धावानांनी नोंद घ्यावी. हरि ॐ, आज से आरंभ हुए आश्विन नवरात्रि-उत्सव में परमपूज्य सद्‍गुरु द्वारा दी गयी नवरात्रि पूजन

नवरात्रिपूजन करण्याची शुद्ध, सात्त्विक, सोपी व तरीही श्रेष्ठतम पवित्र पद्धती

         दिनांक १४ सप्टेंबर २०१७ च्या ’दैनिक प्रत्यक्ष’ मधील अग्रलेखात दिल्याप्रमाणे ’नवरात्रीपूजनाचे’ विधीविधान खालीलप्रमाणे आहे. हिंदी व मराठी या दोन्ही भाषांमध्ये हे विधीविधान देण्यात आले आहे. प्रत्येक श्रद्धावान आपल्या घरी अशा प्रकारे नवरात्रीपूजन करु शकतो.  प्रतिष्ठापनाः १)     नवरात्रीच्या प्रथम दिवशी पूजनास प्रारंभ करण्याआधी इष्टिकेस सर्व बाजुंनी गेरूचा लेप व्यवस्थित लावावा. (अंबज्ञ इष्टिका असल्यास ही कृती करायची गरज नाही) २)   तद्नंतर एका परातीत आवश्यक तेवढी मृत्तिका घेऊन

नवरात्रिपूजन करने की शुद्ध, सात्त्विक, सरल परन्तु तब भी श्रेष्ठतम पवित्र पद्धति

आज दिनांक १४ सितंबर २०१७ के ’दैनिक प्रत्यक्ष’ में प्रकाशित अग्रलेख में बतायेनुसार ’नवरात्रिपूजन’ का विधिविधान निम्नलिखित है। यह विधिविधान हिन्दी तथा मराठी इन दोनों भाषाओं में दिया गया है। हर श्रद्धावान अपने घर में इस प्रकार पूजन कर सकता है।   प्रतिष्ठापनाः १)  नवरात्रि के पहले दिन पूजा शुरू करने से पहले इष्टिका के चारों तरफ गेरू का लेप अच्छी तरह से लगाएँ। (यदि अंबज्ञ इष्टिका है, तो यह

डॉक्टर म्हटलं की आपल्या मनात त्या व्यक्तीची एक प्रतिमा तयार होते. रुग्णांना तपासून त्यांची चिकित्सा करणारे, आधार आणि दिलासा देणारे व्यक्तिमत्त्व आपल्या डोळ्यांसमोर उभे राहते. एखाद्या वैद्यकपद्धतीतील तज्ञ डॉक्टर हा त्याच्या क्षेत्रामध्ये विशेष ज्ञान आणि नैपुण्य संपादन करतो, विलक्षण कामगिरी करतो, तेव्हा त्या व्यक्तिमत्त्वाबद्दल आपल्या मनात साहजिकच आदरभाव निर्माण होतो. पण जर एखादे डॉक्टर त्यांच्या क्षेत्रात अत्यंत प्रवीण असतातच, पण त्याचबरोबर त्यांचा अन्य वैद्यकशास्त्रे, वेद, दर्शनशास्त्रे, तत्त्वज्ञान, प्राच्यविद्या, विज्ञान, माहिती-तन्त्रज्ञान

श्रीचण्डिका एक्झाल्टेशन आर्मी के प्रशिक्षण की नई बॅच

हरि ॐ. गुरुवार, दि. १७ मार्च २०१७ को सद्‍गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के बाद एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण सूचना की। इस सूचना में, ‘रामराज्य’ संकल्पना का एक अंग रहनेवाली ‘श्रीचण्डिका एक्झाल्टेशन आर्मी’ के प्रशिक्षण वर्ग की दूसरी बॅच जल्द ही शुरू की जायेगी, ऐसा बापू ने घोषित किया। अगले गुरुवार, यानी दि. २३ मार्च २०१७ को, इस प्रशिक्षण वर्ग के प्रवेश के लिए आवश्यक फॉर्म्स, श्रीहरिगुरुग्राम में एक काउंटर पर

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 14 Jan 2016 that, Travel can make your soul happy.

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १४ जनवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘पर्यटन आपकी आत्मा को आनन्दित कर सकता है’, इस बारे में बताया। उसी जगह, घिसी-पिटी जगह हर संडे को जाना है तो उसी जगह जायेंगे, क्या करेंगे, नहीं, हम लोग वीक-एंड के लिये बाहर जाते हैं, बाहर जाकर क्या करेंगे, समुद्र के किनारे जायेंगे, उसके बाद घर आयेंगे। वही चीज चालू। आज इधर सी-फेस है, कल उधर का

Aniruddha Bapu told in his Pitruvachanam dated 28 Apr 2016 that God never breaks His promises

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २८ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘भगवान कभी भी अपना वादा तोडते नहीं हैं’, इस बारे में बताया। जब हम संघर्ष को युद्ध मानते हैं, और हमारा संघर्ष सबसे ज्यादा किसके साथ रहता है, भगवान के साथ। संघर्ष है तब तक अच्छा है, भगवान के साथ जब युद्ध करने लगते हैं, तब महिषासुर के सैनिक बन गये। हम बहुत बार सोचते हैं, बापू हम

मूलाधार चक्र की चार पंखुडियाँ (The four petals of Mooladhara Chakra) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘मूलाधार चक्र की चार पंखुडियाँ’ इस बारे में बताया। स्वाधिष्ठान चक्र को देखते समय ध्यान में रखिये की मूलाधार गणपति जो हैं, मूलाधार गणेश जो हैं, उनका जो ‘ॐ लं’ ये बीज है, इंद्र का भी बीज है, जो वसुंधरा का बीज है, ये जानते हैं कि इस वसुंधरा पर सारे विघ्नों का नाश करनेवाले जो मंगलमूर्ति गणेश

ऑनलाईन प्रिकॉशन्स – भाग २

पासवर्ड बडे पैमाने पर नजरअंदाज किया जानेवाला लेकिन अत्यंत महत्त्वपूर्ण अंग, ऐसा कहा तो गलत नहीं होगा। फिलहाल इंटरनेट से अनेक चीजे की जाती हैं। लेनदेन किए जाते हैं। और इन सबके लिए अलग-अलग अकाउंट्स बनाए जाते हैं। लेकिन अकाउंट ओपन होने के बाद ‘पासवर्ड’ निश्चित करते समय जितना चाहिए उतना ध्यान नहीं दिया जाता, यह एक संभावना होती है, या पासवर्ड सहजतासें ध्यान में रहने के लिए उसे आसान