ॐ जनन्यै नम:। (Om Jananyai Namah)

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०३ मार्च २००५ के पितृवचनम् में ‘ॐ जनन्यै नम:(Om Jananyai Namah)’ इस बारे में बताया।

ॐ जनन्यै नम:। जननी, यानी जन्म देने वाली, यानी माँ, माता। जो सबकी माता हैं, जो सबका जनन करती हैं ऐसी राधाजी को मेरा प्रणाम रहे। ‘जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी।’

ऋषिवर कहते हैं कि जननी और जन्मभूमि, यानी मुझे जन्म देने वाली मेरी माता और मेरी जन्मभूमि जो है, मेरा देश जो है, ये स्वर्ग से भी बढ़कर होते हैं। अरे भाई, स्वर्ग तो बहुत बढिया होता है, स्वर्ग के वर्णन हम लोग सुनते हैं। लेकिन एक शर्त मालूम नहीं होती, स्वर्ग में जीवात्मा तब तक ही रहता है, जब तक उसका पुण्य बचा है। जब पुण्य खत्म हो गया तो स्वर्ग से नीचे आता है सीधे और अगर पाप है सौ ग्रॅम और दस ग्रॅम पुण्य है, तो पहले स्वर्ग भेजा जाता है।

इसी लिए संत ज्ञानेश्वर कहते हैं, ‘हरि मुखे म्हणा, हरि मुखे म्हणा, पुण्याची गणना कोण करी’, मुँह से हरि बोलो, पुण्य का काउन्टिंग मत करते बैठो, तो पाप का काउन्टिंग बढ़ने लगता है भाई। पुण्य काउंट करते रहे तो, पाप भी कोई काउंट करता होगा। लेकिन ऐसी जो स्वर्गभूमि है, जहाँ सारे सुखोपभोग हैं, ऋषिवर कहते हैं कि जननी और जन्मभूमि से बढ़कर नहीं है।

जननी, जो जन्म देती है। जन्म यानी क्या? रूढा़र्थ से जब देखते हैं कि जो माँ है, जिसने बच्चे को जन्म दिया, पैदा किया, वो माँ है, जननी है। सिर्फ इतना अर्थ नहीं है ‘माँ’ शब्द का, सिर्फ इतना अर्थ नहीं है ‘जननी’ शब्द का। जननी, जन्म देना यानी क्या? माँ कैसी जन्म देती है? इस प्रक्रिया को पहले जानना चाहिए।

पहले जब जीवात्मा शरीर धारण करता है, तो बनता है दो भागों से। आधा हिस्सा स्त्री-बीज से, आधा हिस्सा पुरुष-बीज से। लेकिन ये सिर्फ एक पेशी होती है, ओन्ली वन सेल। एम्ब्रियो, यानी जो पहला, बच्चे का आदिस्वरूप है, ये युनिसेल्युलर है यानी एक ही पेशी है, एक ही पेशी है और इस एक पेशी को माँ बढ़ाती है, नौ महिनों में। एक पेशी, जो एक मिलीमीटर से भी बहुत छोटी है, उसे ये डेढ़ फीट का, डेढ़ फीट का बच्चा बन जाता है।

यानी, माँ जन्म देती है यानी क्या? माँ विकास करती है। जननी यानी जो सुपरफास्ट स्पीड से विकसित करती है, जो बहुत छोटा है। अणोरणीयान्‌‍उसे महतो महीयान्‌, जो अणू से भी छोटा है, उस एकपेशीय जीव को ‘महतो महीयान्‌’ बनाने का काम, ‘महीयान्‌’ बनाने का काम जो करती है, वह जननी है।

‘ॐ जनन्यै नम:’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||

॥ नाथसंविध् ॥