बापूजी द्वारा श्रद्धावानानों के लिए नववर्ष की सौगात - मातृवात्सल्य उपनिषद (New year gift to Shraddhavan-Matruvatsalya Upanishad)

New year gift to Shraddhavan-Matruvatsalya Upanishad

॥ हरि ॐ ॥
 
 
 
दीवाली से पहलेवाले गुरूवार के प्रवचन में बापूजी ने कहा था कि दत्तजयंतीके दिन मातृवात्सल्य उपनिषद उपलब्ध होगा। तब बापूजी ने उपनिषद के बारेमें कहा था कि, "यह उपनिषद हर एक के लिए उस के जीवन की, मन की कमतरता के लिए उसके दुर्गुणोंके लिए, प्रत्येक पुण्य के लिए, प्रत्येक पाप के लिए, उसके पूर्व एवं इस जीवन के बाद आनेवाले प्रत्येक जन्म के लिए, उसके स्वभाव के लिए, स्वभावमें बदलाव के लिए, उसकी भक्ति की रक्षा के लिए, निष्ठा बढ़ाने के लिए, जो कुछ आवश्यक है वह सब कुछ इस उपनिषद में है।" फिर बापूजी ने "सर्वमंगलमांगल्ये, शिवेसर्वार्थसाधिके, शरण्येत्र्यंबकेगौरी, नारायणीनमोस्तुते" यह श्‍लोक / मंत्र पढ़ा और तहे दिलसे कहा कि सारी मंगलता, सर्वपुरुषार्थों की साध्यता देनेवाला है यह उपनिषद। तत्पश्‍चात बापूजी ने कहा, "यह जो उपनिषद मेरी माँ ने मुझसे लिखवाया है, सच कहताहूँ, इसे लोभी की तरह पढो। आप के प्रत्येक संकट से आपको बचा कर यह आपको अच्छे मार्ग पर ले आएगा। हम सभी बड़े प्रेम से मातृवात्सल्याविन्दानम ग्रंथ का पाठ करते हैं। उसी प्रेम से इस उपनिषद्का पाठ करने से, बापूजी के शब्दों में कहेंतो "लोभी की तरह पढने से" बापूजी को बहुत भाएगा। सन २०१२ ख़त्म होते होते विश्‍व अराजकता की चौखट पर होने की वजह से सभी श्रद्धावानोंको आधार देनेवला, बचानेवला यह उपनिषद्‌ निश्‍चित रूपसे बापूजी द्वारा नववर्ष की बहुत बड़ी सौगात है और बड़ी माँ का यह कृपाछत्र है। ॥ हरि ॐ ॥