परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १४ जनवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘सब जीवों में रहने वाली निद्रा यह भी माँ चण्डिका का रुप है, इस बारे में बताया।

कुछ लोग भूल ही जाते हैं, पूरे दिन, सातों दिन हफ्ते के, महिने के तीस के तीस, इकत्तिस जो दिन हैं, साल के सारे के सारे दिन मुँह खट्टा करके जीते हैं। कभी भी देखो, चेहरा ऐसा ही बना रहता है। कैसे हो? हाँ ठीक है, चल रहा है। मैं बहुत लोगों को पूछता हूँ, कैसे हो भाई, ठीक हूँ। मुझे बहुत गुस्सा आता है, छोटा सा भी कुछ हो जाए तो भी इतना चेहरा बनाके हम लोग घूमते रहते हैं, कि बस पूरा सागर डूब चुका है, आपके घर में आकर या पहाड टूटकर गिर पडा है, आपके सिर पर।
इससे हम लोग एन्जॉय नहीं कर सकते। काम जब इन्सान आनंद के साथ करता है, ध्यान से सुनो, काम, जो काम हम लोग करते हैं दिन भर, कुछ हो, जो भी हो, वो काम अगर आनंद के साथ करें, आनंद से करें तो हमारा विश्राम भी आनंदपूर्ण होता है। और विश्राम जब आनंदपूर्ण होता है, तो काम भी आनंद से होने लगता है।
यानी इडा और पिंगला दोनों एकसाथ झगडा नहीं करती, दोनों एक दूसरे का हाथ पकड कर चलती हैं। हम लोग अगर हमारा काम जो कर रहे हैं, क्या करना पडता है यार, पापी पेट के लिये; क्या काम मिला है, इसको तो देखो अच्छा काम मिला है! हमेशा ऐसे ही होता है, पडोसी का घर मेरे घर से अच्छा होता है। So हमें ये जानना चाहिये कि काम भी आनंद से करना और विश्राम भी आनंद से करना। अभी सोना ही चाहिये यार, सुबह छह बजे उठके जाना है वो लोकल से ही। नहीं! ऐसे रोने के गीत मत गाइये। भगवान ने जो नींद दी है –
या देवी सर्वभूतेषु निद्रारूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
ये निद्रा भी क्या है? माँ चण्डिका का रूप है। ये रात को जो सोने का समय है, ये रात को सोने का समय ऐसे unconscious जैसा नहीं है, बेशुद्धावस्था नहीं है। उसमें भी सपने होते हैं। एक स्वप्नसृष्टी बनाई है भगवान ने।
लेकिन हमे सपनें भी कैसे आते हैं? चोर पीछे लगा है, कोई मार रहा है, कोई लूट रहा है, खाई में जाकर गिर रहे है, कहां डूब रहे हैं, कहीं भाग रहे हैं, कोई पीछे आ रहा है और कोई बचा नहीं रहा है, कल Exams हैं, अभी उमर अस्सी साल की हो गई है, फिर भी स्कूल के दिन याद आते हैं सपने में, कल exam है या अगले हफ्ते exam है, मेरा कुछ स्टडी नहीं हुआ। ये क्या? सपने भगवान ने क्या दिये, किस लिये दिये? आपको डराने के लिये? धमकाने के लिये?
अभी सत्तर साल पहले स्कूल छोड दिया, पचास साल पहले स्कूल छोड दिया, फिर भी आज भी मुझे वही सपना आता होगा, इसका मतलब क्या है? कि उस जमाने की असुरक्षितता की भावना, insecurity की भावना, भय की भावना, डर की भावना अब भी मेरे मन में इतनी बलवान है कि रात को सोने के बाद भी वो अपना काम करती रहती है, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।