मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि - भाग २

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni - Part 2)’ इस बारे में बताया। 

रात जो है, नींद जो है, वह भी एक मृत्यु ही है। वैसे ही दूसरे एक मृत्यु की, मृत्यु का प्रकार रहता है यानी कि देखिये हम लोग कुछ काम कर रहे हैं, वह कार्य पूर्ण हो गया, ओ.के। आपने समझो एक घर बांधने की ठान ली, आप खुद अपने हाथों से घर बना रहे हैं, कल्पना कीजिये। जिस दिन घर बांध के पूरा हो गया, आपका कार्य खत्म हो गया, राईट। यहां हम किसी को जाकर कोई तेरा मैं खात्मा कर दूंगा, राईट, मैं तेरे को खत्म कर दूंगा। यानी कि वो कार्य जो है संपन्न हो गया, वैसे ही मृत्यु ये क्या होता है, वसुंधरा के इस जन्म की संपन्नता होती है।

ये कार्य भी संपन्न होता है नहीं तो क्या होता है कभी ये कार्य बीच में रुक जाता है, नष्ट हो जाता है राईट। समझो, कोई बच्चा पढ़ाई कर रहा है, आठवी तक ही पढ़ सका, नौवीं तक, बाद में स्कूल जा ही नहीं सका, उसने छोड़ दी तो बात अलग है, तो यह क्या है, उसकी शिक्षा की मृत्यु है, कोई नौकरी कर रहा है उसकी नौकरी छूट जाती है और बाद में मिलती नहीं, वो क्या है? उसके पैसे कमाने के मार्ग की मृत्यु है, ऐसी भी अनेक प्रकार की मृत्यु रहती हैं।

इतना ही नहीं, हमारे शरीर में, खुद के शरीर के, मैं देह की बात नहीं कर रहा हूँ, शरीर, फिजीकल बॉडी। हर रोज करोडों पेशियाँ नयी उत्पन्न होती हैं और करोडो पेशियाँ मरती रहती हैं। यानी जीवन-मृत्यु का खेल हर पल हमारी बॉडी में चालू रहता हैं। जब तक आपके बॉडी में रेझिस्ट्रन पॉवर अच्छी है, आपका मन चंगा है, तब तक आपको उससे कोई तकलीफ नहीं होती। ये मारे जाते हैं पूरे के पूरे। ये मारे नहीं जाते तभी बीमारी उत्पन्न होती है। 

‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध  ने प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll