मूलाधार चक्र का लम् बीज और भक्तमाता जानकी - भाग ३

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ४ फरवरी २०१६ के प्रवचन में ‘मूलाधार चक्र का ‘लम्’ बीज और भक्तमाता जानकी - भाग ३(Lam beej of the Mooladhara Chakra and Bhakta-Mata Janaki - Part 3)’ इस बारे में बताया। 

सो, ये ‘लं’ बीज हमें बताता है कि भाई, इस पृथ्वी पर हो, पृथ्वी से जुड़े हुए हो, राईट! तो पृथ्वी का बीज जो ‘लं’ बीज जो है, वो जानकीजी का है, श्रीरामजी की पत्नी का है और वैसे ये ‘लं’ बीज है लखनजी का भी। लं- लक्ष्मण:। ओ.के.। सो, रामजी के एक बाजू में लखनजी हैं, एक बाजू में सीतामैया हैं तो एक बार हम लोग उस त्रिविक्रम के साथ जुड़ गये तो क्या होगा? ये सारे रिश्तेदार जानकीजी के जो हैं और जो श्रीरामजी के हैं और लखनजी के हैं, ये सारे हमारे हो जायेंगे, हनुमानजी भी हमारे हो जायेंगे, हनुमानजी की माँ अंजना भी हमारी हो जायेंगी। 

तो आप कहेंगे बापू, अगर कैकयी हमारी दादी हो गयी तो? अरे, कैकयी भी बदली, सिर्फ थोड़े दिन के लिये वो बदली थी, गलत मार्ग पर चल रही थी। पहले वो रामजी से बहोत प्यार करती थी, बाद में जब से भरत ने दुतकारा, वहाँ के बाद उसकी भी अकल ठिकाने पे आ गयी, तो फिकर नहीं करना, आपसे जो प्यार करेगी वो माता कैकयी कैसी होगी? राम की भक्ति करने वाली माता कैकयी होगी। और कैकयी की क्या लेन-देन है, मंथरा की क्या ताकद है! ये जो माँ चण्डिका हैं, जो त्रिविक्रम की माँ श्रीविद्या हैं, वो हमारे पीछे खड़ी रहेगी। so are we sure, नक्की।

सो एक्झाम पे जाते हुए आप लोग सोचेंगे कि मेरे इतने सारे रिश्तेदार मेरे को छोड़ने के लिये आनेवाले हैं एक्झाम सेंटर पर, ओ.के और जो हम लोग बड़े बच्चे हैं, बूढे बच्चे हैं, जो भी हैं, वो भी सोचेंगे, हमें किधर भी जाना हैं तो हमारा पूरा परिवार मेरे साथ हैं।

‘मूलाधार चक्र का लम् बीज और भक्तमाता जानकी’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll