यह कनेक्टिव्हिटी की दुनिया है

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ३१ मार्च २०१६ के पितृवचनम् में ‘यह कनेक्टिव्हिटी की दुनिया है’ इस बारे में बताया।

कनेक्टिव्हिटी की दुनिया
यह कनेक्टिव्हिटी की दुनिया है - Sadguru Shree Aniruddha Pravachan 31 Mar 2016

ये जमाना है मोबाईल्स का, नेट का, ट्वीटर, फेसबुक, वॉट्सऍप और ब्लॉग। ट्विटर, फेसबुक, वॉट्सऍप और ब्लॉग ये चार स्तंभ हैं। चंद नाम अलग हो जायेंगे आगे चलके, उनमें बहोत सारे सुधराव आ जायेंगे, बहुत चेन्जेस हो जायेंगे, but they have come to stay. ये जो चार प्रमुख स्तंभ हैं, ये चालू ही रहने वाला हैं।

तो जमाना बदल रहा है। कॉमर्स यानी जो है हमारा व्यवहार, फायनान्स का, अर्थकारण जिसे कहते हैं, जो हम खरीदते हैं, बेचते हैं, ये सभी अब ई-कॉमर्स हो रहा है, राईट। बँक्स्‌ भी आजकल किसे चालना देती हैं? आप जो भरना है, भाई कहाँ से भरीएँ? नेट कि जरिए से भरीएँ, मोबाईल के जरिए भरिएँ, राईट। फॉर्म, ऍप्लिकेशन करना है, वो भी कहाँ से करना पड़ता है? नेट की जरिए करना पड़ता है। मैंने बार-बार कहा है कि भाई, इसमें थोड़ी दिलचस्पी लो और सब लोग सीखो, राईट, ये बहुत जरूरी है।

सिर्फ अपने फ्रेन्ड के साथ, चाहे पुरुष हो, स्त्री हो, अपने फ्रेन्ड के साथ, रिश्तेदारों के साथ घंटों तक बात करने के लिए, घंटों तक ट्वीटर पर या फेसबुक पर बैठ़ने के लिए नहीं। वो तो जरूर कीजिए, टाईमपास करना है तो। लेकिन इसका अच्छा इस्तेमाल करना सीखो, इससे बहुत लाभ होता है। हम लोग जो सिर्फ कौन से हॉटेल में, कौन सा क्या खाना मिलता है देखने के लिए, बाकी कुछ नहीं देखना चाहते। अकाउंट से, पिक्चर कहाँ चल रही है, तो तिकिट बुक करना है तो उसके लिए, नहीं तो गप्पे मारने के लिए, जोक्स शेअर करने के लिए। वो जरूर कीजिए, उस में कोई हर्ज़ नहीं है, कोई प्रॉब्लेम नहीं है।

लेकिन हमें जानना चाहिए कि It's a world of connectivity, जग बहुत छोटा हो गया। चीन की फौलादी दीवारों को तोड़कर कुछ भी वृत्त बाहर नहीं आता था। एक बार ऐसे ही बात USSR था, जो सोविएट युनियन था, तभी भी ऐसी ही थी। आज ऐसे नहीं होता। सारी चीज़ें एक पल में पूरे जग में फैल जाती हैं, एक पल में literally, within a second's of time not only minute.

तो इस जमानें में एक दूसरे के साथ जुड़े हुए रहना, सिर्फ एक इन्सान और दूसरे इन्सान के साथ ही नहीं। तो हमारा गाँव और दूसरा गाँव, हमारी गली और मेन गली, हमारा गाँव और बाजू का गाँव, हमारी सिटी और दूसरी सिटी, हमारी सिटी और कॅपिटल - देश की राजधानी, हमारा देश और दूसरा देश। हमारे घर में बैठ़कर ही हम, जहाँ ट्रेन में हैं, कार में हैं किधर से भी हम लोग कनेक्ट कर सकते हैं और अच्छे तरीके से हम लोग पूरी जानकारी जो हमारे लिए आवश्यक है, हासिल कर सकते हैं।

‘यह कनेक्टिव्हिटी की दुनिया है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

|| हरि: ॐ || ||श्रीराम || || अंबज्ञ ||

॥ नाथसंविध् ॥