अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत का बढ़ता महत्त्व

छाबहार और अफ़गानिस्तान पर भारत-ईरान की चर्चा 

नई दिल्ली – भारत विकसित कर रहें ईरान के छाबहार बंदरगाह के मुद्दे के साथ ही, अफ़गानिस्तान की स्थिति पर भारत और ईरान की चर्चा हुई। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा और ईरान  के राजनीतिक कारोबार विभाग के उपमंत्री अली बाघेरी-कानी ने फोन पर की हुई यह चर्चा ध्यान आकर्षित कर रही है। भारत और रशिया के बीच सामान की यातायात एवं परिवहन करने की दूरी कम करनेवाला मार्ग ईरान ने उपलब्ध कराया है। ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ (आईएनएसटीसी) नामक यह प्रकल्प भारत और रशिया के व्यापार में मौजूद भौगोलिक अड़ंगे कम करेगा और इससे भारत का अन्य देशों से आसानी से व्यापार हो सकता है। इसी कारण भारत और ईरान के इस सहयोग को बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है।  

छाबहारईरान के छाबहार बंदरगाह का विकास भारत कर रहा है। इस प्रकल्प की प्रगति का जायज़ा भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा और ईरान के राजनीतिक कारोबार विभाग के उपमंत्री अली बाघेरी-कानी ने किया। साथ ही, अफ़गानिस्तान की स्थिति पर भी इनकी चर्चा हुई। आनेवाले समय में ईरान के रास्ते अफ़गानिस्तान को सहायता पहुँचाने के मुद्दे पर इस चर्चा मे सहमति हुई। कुछ हफ्ते पहले भारत ने अफ़गानिस्तान के लिए हज़ारों टन गेहूं भेजा था।

भारत के साथ राजनीतिक बातचीत करने के लिए चीन उत्सुक

नई दिल्ली – भारत विकसित कर रहें ईरान के छाबहार बंदरगाह के मुद्दे के साथ ही, अफ़गानिस्तान की स्थिति पर भारत और ईरान की चर्चा हुई। भारत के विदेश सचिव विनय क्वात्रा और ईरान के राजनीतिक कारोबार विभाग के उपमंत्री अली बाघेरी-कानी ने फोन पर की हुई यह चर्चा ध्यान आकर्षित कर रही है। भारत और रशिया के बीच सामान की यातायात एवं परिवहन करने की दूरी कम करनेवाला मार्ग ईरान ने उपलब्ध कराया है। ‘इंटरनैशनल नॉर्थ-साऊथ ट्रान्सपोर्ट कॉरिडॉर’ (आईएनएसटीसी) नामक यह प्रकल्प भारत और रशिया के व्यापार में मौजूद भौगोलिक अड़ंगे कम करेगा और इससे भारत का अन्य देशों से आसानी से व्यापार हो सकता है। इसी कारण भारत और ईरान के इस सहयोग को बड़ी अहमियत प्राप्त हुई है। 

छाबहारईरान के छाबहार बंदरगाह का विकास भारत कर रहा है। इस प्रकल्प की प्रगति का जायज़ा भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा और ईरान के राजनीतिक कारोबार विभाग के उपमंत्री अली बाघेरी-कानी ने किया। साथ ही, अफ़गानिस्तान की स्थिति पर भी इनकी चर्चा हुई। आनेवाले समय में ईरान के रास्ते अफ़गानिस्तान को सहायता पहुँचाने के मुद्दे पर इस चर्चा मे सहमति हुई। कुछ हफ्ते पहले भारत ने अफ़गानिस्तान के लिए हज़ारों टन गेहूं भेजा था।  

भारत के ‘तेजस’ को मलेशिया की पहली पसंदी – जल्द ही बातचीत शुरू होने के संकेत

नई दिल्ली – भारत ने पिछले सात सालों में ३८ हज़ार करोड़ रुपयों के रक्षा सामान का निर्यात किया है। अब तक हथियारों का सबसे बड़ा आयातक कहा जाने वाला भारत अब जल्द ही हथियारों का बड़ा निर्यातक होगा, ऐसा विश्वास रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया था। कुछ हफ्ते पहले फिलिपाईन्स ने भारत के साथ ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने का समझौता किया। अब मलेशिया भारत से लड़ाकू ‘तेजस’ विमान खरीदने के लिए उत्सुक है। चीन, दक्षिण कोरिया और रशिया के लड़ाकू विमानों की होड़ में मलेशिया ने ‘तेजस’ को पहली पसंद कहा है। 

अब तक भारतीय निर्माण के पिस्तौल, राइफल्स को विदेश से मांग हो रही थी। लेकिन, पिछले कुछ सालों से भारतीय निर्माण के मिसाइल्स, हेलीकॉप्टर्स, लड़ाकू विमान और विध्वंसकों को बहुत पसंद किया जा रहा है। इनमें ‘तेजस‘ लड़ाकू विमान की हर स्तर पर सराहना हो रही है, ऐसी खबरें प्राप्त हुईं थी। अंतरराष्ट्रीय एअर शो में ‘तेजस’ को विदेशी सेना अधिकारी और विश्लेषकों ने पसंद किया था। प्रगत तकनीक से लैस ‘तेजस’ अन्य देशों के इसी श्रेणी के लड़ाकू विमानों से अधिक उमदा होने का दावा अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों ने किया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रशियन राष्ट्राध्यक्ष से चर्चा

बढ़ता महत्त्व

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन की फोन पर चर्चा हुई। शुक्रवार को हुई इस चर्चा में यूक्रेन का मुद्दा सबसे आगे था। इस दौरान राजनीतिक बातचीत से ही यूक्रेन की समस्या का हल निकलेगा, यह भारत की भूमिका प्रधानमंत्री मोदी ने रखी, ऐसा प्रधानमंत्री दफ्तर ने कहा हैं। यूक्रेन युद्ध के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनाज़ एवं ऊर्जा के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने सोचने की जानकारी प्रधानमंत्री दफ्तर ने प्रदान की। 

रशियन राष्ट्राध्यक्षप्रधानमंत्री मोदी हाल ही में जर्मनी में हुई विकसित देशों की ‘जी ७’ परिषद में शामिल हुए थे। इस परिषद में शामिल हुए पश्‍चिमी देश यूक्रेन युद्ध का ठिकरा रशिया पर फोड़ रहे थे। यह युद्ध शुरू करनेवाली रशिया पर आर्थिक, राजनीतिक और सामरिक दबाव बढ़ाने की चर्चा ‘जी ७’ की इस बैठक मे हुई। लेकिन, भारत ने यूक्रेन युद्ध के लिए पुरी तरह से सीफ रशिया को ज़िम्मेदार बताना टाल दिया है। यूक्रेन पर हमला करनेवाली रशिया का भारत निषेध करें, इसके लिए अमरीका और यूरोपिय देशों ने विशेष कोशिश की थी। लेकिन, भारत ने इसकी परवाह नहीं की। जर्मनी में आयोजित ‘जी ७’ की बैठक में भी भारत ने रशिया का विरोध करना टाल दिया। इसके बाद भारत के प्रधानमंत्री की रशियन राष्ट्राध्यक्ष से हुई यह चर्चा अहमियत रखती है।

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