भारत के रक्षा क्षेत्र से जुडी गतिविधियां - 3

भारत के स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ के समुद्री परीक्षण शुरू

नई दिल्ली – भारत की स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत ‘आयएनएस विक्रांत’ के अंतिम चरण के समुद्री परीक्षण शुरू हुए हैं। यह परीक्षण पूरे होने के बाद ‘आयएनएस विक्रांत’ भारतीय नौसेना के बेड़े में दाखिल होगी। इस युद्धपोत के यह परीक्षण कुछ महीने पहले ही शुरू होने की उम्मीद थी। लेकिन, इस स्वदेशी विमान वाहक युद्धपोत का निर्माणकार्य तय कार्यक्रम से पीछे चल रहा है। लेकिन, ‘आयएनएस विक्रांत’ के समुद्री परीक्षण शुरू होना ऐतिहासिक और हरएक भारतीय नागरिक को गर्व महसूस करानेवाली घटना साबित होती है। क्योंकि, यह समुद्री पीरक्षण शुरू होने के साथ ही भारत स्वदेशी अति प्रगत युद्धपोत वाले चुनिंदा देशों की सूचि में शामिल हुआ है। ‘आयएनएस विक्रांत’ भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ नीति की छवि होने का बयान बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने किया है।

INS-Vikrant-Warship‘आयएनएस विक्रांत’ के बहुप्रतिक्षित परीक्षण बुधवार के दिन शुरू होने की जानकारी केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने साझा की। कोचीन शिपयार्ड में तैयार की गई इस विमान वाहक युद्धपोत का निर्माणकार्य वर्ष २००९ में शुरू हुआ था। देश के इतिहास में पहली बार किसी विमान वाहक युद्धपोत के आकार के जहाज़ का पूरा ‘त्रिमितीय मॉडल’ पहले बनाया गया। बाद में इस मॉडल की सहायता से निर्माण से संबंधित प्लैन तैयार किया गाय। इस विमान वाहक युद्धपोत का ‘प्लैन’ और रचना पूरी तरह से भारतीय निर्माण के हैं।

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भारतीय नौसेना का ‘टास्क फोर्स’ साऊथ चाइना सी में

नई दिल्ली – चीन दावा कर रहे ‘साऊथ चाइना सी’ क्षेत्र में भारत ने अपनी नौसेना का ‘टास्क फोर्स’ रवाना किया है। इस क्षेत्र के देशों के साथ सुरक्षाविषयक साझेदारी दृढ़ करने के लिए ‘ऍक्ट ईस्ट’ नीति के अनुसार यह फैसला किया जा रहा है। वरिष्ठ अधिकारियों ने यह जानकारी देने की बात बताई जाती है। इन दिनों इस सागरी क्षेत्र में अमरीका और ब्रिटेन की नौसेनाओं की तैनाती, यह चीन की चिंता का विषय बना है। उसी के साथ जर्मन नौसेना द्वारा भी इस क्षेत्र में तैनाती की जानेवाली है। इस पृष्ठभूमि पर, भारतीय युद्धपोतों का समावेश होनेवाले ‘टास्क फोर्स’ की साउथ चाइना सी में तैनाती, यह चीन को सबक सिखाने की योजना का भाग दिखाई दे रहा है।

Indian-navy-task-forceभारतीय नौसेना के इस टास्क फोर्स में ‘आयएनएस रणविजय’, ‘आयएनएस शिवालिक’, ‘आयएनएस कदमत’ और ‘आयएनएस कोरा’ इन युद्धपोतों का समावेश है। फिलीपींस, वियतनाम , सिंगापुर, इंडोनेशिया इन देशों के साथ ही ये युद्धपोत ऑस्ट्रेलिया की भी भेंट करेंगे। साथ ही, ये युद्धपोत मलाबार-२१ युद्धाभ्यास करनेवाले हैं। इस युद्धाभ्यास में अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का सहभाग होगा। इन दिनों साउथ चाइना सी क्षेत्र में गतिविधियाँ भारी मात्रा में तेज़ हुईं होकर, पश्चिमी देशों ने इस क्षेत्र पर दावा ठोकनेवाले चीन को नकेल डालने के लिए तेज़ी से कदम उठाना शुरू किया है। इसके लिए अमरिकी नौसेना की इंडो-पैसिफिक कमांड ने आक्रमक दाँवपेंचों का इस्तेमाल शुरू किया है।

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भारत को ‘हार्पून जेसीटीएस’ की बिक्री का अमरीका ने किया ऐलान

नई दिल्ली – अमरीका ने पनडुब्बीविरोधी युद्ध में काफी अहम साबित होनेवाले ‘हार्पून’ मिसाइलों के लिए आवश्‍यक पुर्जों के साथ इसके रखरखाव तक की सभी सहायता भारत को प्रदान करने का अहम निर्णय किया है। अमरीका के रक्षा मुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ की ‘डिफेन्स सिक्युरिटी को-ऑपरेशन एजन्सी’ (डीसीसीए) ने भारत को ‘हार्पून जॉर्इंट कॉमन टेस्ट सेटस्‌’ (जेसीटीएस) की ब्रिकी की जाएगी, ऐसा अमरिकी संसद के सामने कहा। इस वजह से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमरीका का प्रमुख भागीदार देश भारत के साथ रणनीतिक सहयोग अधिक मज़बूत होगा, यह विश्‍वास पेंटॅगॉन ने व्यक्त किया है।

harpoon-jctsबीते वर्ष अमरीका के भूतपूर्व ट्रम्प प्रशासन ने भारत को ‘एजीएम ८४-एल हार्पून ब्लॉक-२ एअर लौंच’ नामक हार्पून मिसाइल प्रदान करने का निर्णय किया था। पनडुब्बीविरोधी युद्ध में बड़े अहम साबित होनेवाले मिसाइल भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल की गई हैं। भारत ने इससे पहले भी अमरीका से हार्पून मिसाइल खरीदीं थी। यह मिसाइल फिलहाल नौसेना के बेड़े में शामिल ‘पी८आय’ विमानों पर तैनात किए गए हैं। साथ ही शिशुमार वर्ग की अपनी चार पनडुब्बीयों पर भी इन मिसाइलों की तैनाती करने की भारत की योजना है। भारत अगले कुछ दिनों में अमरीका से ‘हार्पून’ मिसाइल खरीद सकता है, यह संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

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