अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था से जुडी महत्वपूर्ण ख़बरें

ईंधन मार्केट की स्थिरता के लिए रशिया के संदर्भ में ‘ओपेक प्लस’ की भूमिका महत्त्वपूर्ण – सऊदी अरब का बयान

रियाध – ईंधन मार्केट में अगर उचित स्थिरता रखनी है, तो सऊदी अरब और रशिया ने एक साथ आकर स्थापन किए ‘ओपेक प्लस’ इस गुट की भूमिका अहम है, इसे ध्यान में रखना होगा, ऐसा सऊदी अरब ने डटकर कहा है। मंगलवार को सऊदी अरब के मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक के बाद जारी किए निवेदन में ‘ओपेक प्लस’ का ज़िक्र किया गया है। इस समय अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय को संबोधित करते हुए किए आवाहन में, यमन के हाउथी बागियों द्वारा जारी हमलों की याद भी दिला दी गई है।

युक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर, अमरीका समेत पश्चिमी मित्र देशों द्वारा रशिया पर प्रतिबंध लगाने का सिलसिला जारी है। अमरीका और ब्रिटेन समेत कुछ देशों ने रशिया के ईंधन क्षेत्र पर प्रतिबंध भी लगाए हैं। रशिया यह दुनिया का अग्रसर ईंधन उत्पादक देश है। इस कारण रशिया पर लगाए प्रतिबंधों की तीव्र गूंजें अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में सुनाई दीं होकर, कच्चे तेल के दाम ११५ डॉलर्स प्रति बैरल पर पहुँच चुके हैं। ये दाम कम करने के लिए अमरीका और ब्रिटेन जैसे देश, ‘ओपेक’ देश उत्पादन बढ़ाएँ, ऐसा लगातार कह रहे हैं।

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रशिया पर लगाए गए प्रतिबंधों के बाद कुछ देश अमरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम कर सकते हैं – अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश

वॉशिंग्टन – अमरीका तथा पश्‍चिमी देशों ने रशिया के विदेशी मुद्रा भंड़ार के ३०० अरब डॉलर्स कुर्क किए हैं| पश्‍चिमी देशों की इस कार्रवाई के बाद विश्‍व के कुछ प्रमुख देश अपने विदेशी मुद्रा भंड़ार में अमरिकी डॉलर के भाग पर फिर से विचार कर सकते हैं, ऐसा इशारा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोश ने दिया है| अमरीका के शीर्ष अध्ययन मंडल ने भी इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया है और अमरीका द्वारा प्रतिबंधों का इस्तेमाल कई देशों को डॉलर से वंचित कर सकता है, यह इशारा दिया है| पिछले साल ही रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दावा किया था कि, डॉलर की आरक्षित मुद्रा की अहमियत अमरीका स्वयं ही खत्म कर रही है|

युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका और मित्रदेशों ने रशिया पर जोरदार आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं| इन प्रतिबंधों के अनुसार रशिया को ‘स्विफ्ट’ अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रणाली का इस्तेमाल करने से रोका गया है| तथा अमरीका के अलावा अलग-अलग देशों में मौजूद रशिया के विदेशी मुद्रा भंड़ार का बड़ा हिस्सा इस्तेमाल करने पर रोक लगाई गयी है| पश्‍चिमी देशों की इस कार्रवाई की वजह से रशिया की सेंट्रल बैंक रशियन मुद्राभंड़ार के ३०० अरब डॉलर्स इस्तेमाल नहीं कर सकती|

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ब्याजदर में बढ़ोतरी से अमरिकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँच सकता है – फेडरल रिज़र्व्ह के प्रमुख का इशारा

वॉशिंग्टन – पिछले हफ्ते ब्याजदर में बढ़ोतरी के बाद अमरीका की फेडरल रिज़र्व आगे के दौर में ब्याजदर में अधिक बढ़ोतरी करने का विचार कर रही है| ब्याजदर की नई बढ़ोतरी के कारण अमरिकी अर्थव्यवस्था को बड़े झटके लग सकते हैं, यह इशारा फेडरल रिज़र्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल ने दिया| फेडरल के निर्णय के बाद अमरिकी अर्थव्यवस्था ‘सॉफ्ट लैण्डिंग’ करेगी, इस भ्रम में कोई ना रहे, यह इशारा भी पॉवेल ने दिया है| पिछले हफ्ते फेडरल रिज़र्व ने ब्याजदर में बढ़ोतरी से अमरिकी उद्योग और शेअर बाज़ार में मिश्र प्रतिक्रिया दर्ज़ हुई है| इस पृष्ठभूमि पर उनका यह नया इशारा ध्यान आकर्षित कर रहा है|

अमरीका में फिलहाल महंगाई का विस्फोट हुआ है और इससे देश की अर्थव्यवस्था का नुकसान होने लगा है| अमरीका में महंगाई निदेशांक ७.९ प्रतिशत तक जा पहुँचा है और यह पिछले चार दशकों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी दर्ज हुई है| अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन की सरकार बनने के बाद से महंगाई निदेशांक की एक बार भी गिरावट नहीं आई है| नवंबर २०२० से अब तक के १४ महीनों के दौरान अमरीका में महंगाई लगातार बढ़ती रही है| कोरोना की पृष्ठभूमि पर वैश्‍विक आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाएँ, ईंधन और स्टील समेत कच्चे सामान की कीमतों में बढ़ोतरी एवं कामगारों की किल्लत जैसे मुद्दे अमरीका में महंगाई बढ़ाने की वजह बनने की बात कही जा रही है|

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युक्रेन के युद्ध के कारण जागतिक अर्थव्यवस्था को झटका लगकर सोने के दाम भड़केंगे – वित्तसंस्थाओं का निष्कर्ष

पॅरिस/वॉशिंग्टन – रशिया-युक्रेन युद्ध के कारण जागतिक अर्थव्यवस्था को झटका लगेगा, ऐसी चेतावनी ‘ओईसीडी’ इस युरोपीय अभ्यासगुट ने दी है। इस युद्ध के कारण अनाज, इंधन तथा अन्य कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि हुई होकर महँगाई भड़की है। इसका असर अर्थव्यवस्था पर होगा, ऐसी चेतावनी युरोपीय अभ्यास गुट ने दी। इस कारण, पारंपरिक दृष्टि से सुरक्षित निवेश माने जानेवाले सोने की दरों में ज़बरदस्त बढ़ोतरी होगी और इस साल के अंत तक सोने के दाम 2500 डॉलर्स प्रति औंस तक पहुँचने का अनुमान ‘गोल्डमॅन सॅक्स’ इस वित्तसंस्था ने जताया है।

ने युक्रेन पर किए हमले को तीन हफ्ते से अधिक समय बीता है। युद्ध जारी रहते समय ही अमरीका, युरोप तथा मित्र देशों ने रशियन अर्थव्यवस्था पर बड़े पैमाने पर प्रतिबंध लगाए हैं। युद्ध और पश्चिमी देशों ने लगाए प्रतिबंध, इसके बहुत बड़े परिणाम अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर दिखाई देने लगे हैं। रशिया यह इंधन, अनाज तथा खनिज क्षेत्र के अग्रसर उत्पादक देशों में से एक है। वहीं, रशिया और युक्रेन इन देशों का एकत्रित उल्लेख दुनिया का ‘ब्रेडबास्केट’ ऐसा किया जाता है। गेहूं, दलहन, कॉर्न, सूरजमुखी इनके उत्पादन में ये देश अग्रसर हैं। इन सारे घटकों के दामों में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हो रही है और जागतिक शेयर मार्केट में भारी गिरावट शुरू हुई है।

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