खाड़ी क्षेत्र से जुडी गतिविधियां

लेबनान से लाखों लोग अन्य देशों में प्रवेश करेंगे – लेबनीज अध्ययन मंडल का इशारा

लेबनान से लाखों लोग अन्य देशों में प्रवेश करेंगेदुबई – लेबनान में राजनीतिक और आर्थिक संकट भयंकर हो गया है। इस वजह से लाखों लेबनीज नागरिक भागकर पश्‍चिमी या अरब देशों में जाने की तैयारी में होने का इशारा लेबनान के अध्ययन मंडल ने दिया है। इसी बीच, देश को बचाना है तो एक हफ्ते में सरकार का गठन करें, यह आवाहन लेबनान के वरिष्ठ नेता ने किया है। इसी बीच देश में बढ़ रही अराजकता की वजह से सरकारी और लष्करी यंत्रणा टूटकर बिखर जाएगी, ऐसी ड़रावनी संभावना भी लेबनान के रक्षाबलप्रमुख ने जताई है।

लेबनान में बीते दो वर्षों से अस्थिरता फैली हुई है। चुनावों के बावजूद तीव्र राजनीतिक मतभेद एवं विसंवाद के कारण एक वर्ष में इस देश में सरकार का गठन नहीं हो पाया है। भ्रष्टाचार, महंगाई, बढ़ती हुई बेरोज़गारी और ईरान की बढ़ती दखलअंदाज़ी ही लेबनान की अस्थिरता का कारण होने का आरोप लगाया जा रहा है। इससे पीड़ित लेबनान की जनता बड़ी संख्या में देश छोड़ने की तैयारी में होने का इशारा ‘अमरिकन युनिवर्सिटी ऑफ बैरूत’ के एक अध्ययन मंडल ने दिया। यह देश जल्द ही इतिहास का तीसरा बड़ा स्थानांतरण का अनुभव करेगा, ऐसा इस लेबनीज अध्ययन मंडल ने कहा है।

अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/millions-will-enter-another-country-from-lebanon/ सौदी के ‘आभा एअरपोर्ट’ पर हौथी के हमले में आठ घायल – २४ घंटों में दूसरा हमला होने का दावा

सौदी के ‘आभा एअरपोर्ट’ पर हौथी के हमले में आठ घायलरियाध – हौथी विद्रोहियों ने सौदी अरब के आभा हवाई अड्डे पर किए ड्रोन हमलों में आठ लोग घायल हुए हैं। इस हमले में एक यात्री विमान का भी नुकसान होने की जानकारी सौदी यंत्रणा ने प्रदान की। इस हमले से पहले नज़रन हवाई अड्डे पर मिसाइल हमला करने की कोशिश नाकाम की गई थी, यह भी बताया गया है। ईरान का समर्थन प्राप्त होनेवाले हौथी विद्रोही बीते कुछ वर्षों से सौदी के हवाई एवं लष्करी अड्डों को लगातार ड्रोन्स से लक्ष्य कर रहे हैं।

मंगलवार के दिन येमन की सीमा से सटे सौदी के असिल प्रांत की राजधानी आभा को लक्ष्य किया गया। सौदी की यंत्रणाओं ने तैनात किए ‘इंटरसेप्टर सिस्टम’ ने हवाई अड्डे की दिशा में छोड़ा गया ड्रोन मार गिराया। लेकिन, इस ड्रोन के कुछ हिस्से नज़दीकी यात्री विमान एवं कुछ गाड़ियों से जा टकराए। इस दौरान हवाई अड्डे पर मौजूद कुछ विदेशी यात्री घायल होने की जानकारी सौदी यंत्रणाओं ने साझा की। इन यात्रियों में भारत, नेपाल और बांगलादेश के यात्रियों का समावेश है और बांगलादेश का एक यात्री गंभीर रूप से घायल होने की बात कही गई है।

बीते २४ घंटों के दौरान आभा हवाई अड्डे को ड्रोन्स द्वारा लक्ष्य करने की यह दूसरी कोशिश होने की जानकारी सौदी के अधिकारी ने साझा की। आभा हवाई अड्डे पर हमला होने से पहले नज़रन, जझान और खमिस मुशायत शहरों को हौथी विद्रोहियों ने मिसाइल एवं ड्रोन्स से लक्ष्य करने की कोशिश की, ऐसा सौदी ने कहा है। लेकिन, यह सभी हमले सफलता से नाकाम किए गए, यह जानकारी भी सौदी ने साझा की।

अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/eight-people-were-injured-in-a-houthi-attack-on-saudi-arabias-abha-airport/ अमरीका के विकल्पों का प्रत्युत्तर देने का ईरान को अधिकार है – ईरान के वरिष्ठ अधिकारी की चेतावनी

अमरीका के विकल्पों का प्रत्युत्तर देने का ईरान को अधिकार हैतेहरान/वॉशिंग्टन – अमरीका ने ईरान के विरोध में अन्य विकल्प इस्तेमाल करने के संदर्भ में किया बयान यह धमकी होकर, उसके विरोध में प्रत्युत्तर देने का अधिकार ईरान को है, ऐसी चेतावनी ईरान के वरिष्ठ अधिकारी अली शामखानी ने दी है। अमरीका समेत ही इस्रायल को भी चेतावनी दी गई होकर, इस्रायल के किसी भी दुस्साहस के विरोध में कार्रवाई करने का हक ईरान को है, ऐसा संयुक्त राष्ट्र संघ में नियुक्त ईरान के राजदूत ने जताया है। इस्रायल के प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने हाल ही में अमरीका का दौरा किया था। इस बार अमरीका और इस्रायल द्वारा किए गए बयानों की पृष्ठभूमि पर ईरान ने आक्रामक भूमिका अपनाई हुई इन नई चेतावनियों से दिख रही है ।

पिछले हफ्ते इस्रायल के प्रधानमंत्री बेनेट ने अमरीका का दौरा किया था। इस समय ईरान का परमाणु कार्यक्रम और खाड़ी क्षेत्र की अन्य गतिविधियों पर बेनेट तथा अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के बीच चर्चा हुई थी। इस्रायली प्रधानमंत्री ने इस समय ईरान के विरोध में ‘डेथ बाय थाऊजंड कट्स’ की नीति रखी होने का दावा अमरिकी न्यूज़ एजेंसियों ने किया था। इस समय बायडेन ने, वे परमाणु समझौते पर चल रही चर्चाओं को प्राथमिकता दे रहे हैं, ऐसा बेनेट से कहा था। उसी समय, अगर चर्चा असफल हुई, तो अमरीका अन्य विकल्पों का इस्तेमाल करेगी, ऐसा भी कहा था।

अधिक पढिये : http://www.newscast-pratyaksha.com/hindi/iran-has-the-right-to-respond-to-us-options/ ‘आयएस’ विरोधी संघर्ष के लिए इराक में फ्रान्स की सेना तैनाती कायम रहेगी – फ्रान्स राष्ट्राध्यक्ष का ऐलान

‘आयएस’ विरोधी संघर्ष के लिए इराक में फ्रान्स की सेना तैनाती कायम रहेगीबगदाद – “आयएस’ खत्म नहीं हुई है और इसी वजह से इस आतंकी संगठन से बना खतरा अभी टला नहीं है। सभी देशों को इस खतरे के खिलाफ अधिक सावधान रहकर ‘आयएस’ विरोधी जंग को प्राथमिकता देनी होगी’, यह निवेदन फ्रांस के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने किया है। अमरीका ने इराक से सेना हटाई तो फ्रान्स के सैनिक इराक में तैनात रहेंगे, यह बयान राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने ड़टकर किया है। इराक में हुई बैठक में यह ऐलान करके फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने बायडेन प्रशासन की अफ़गानिस्तान संबंधी भूमिका पर नाराज़गी जताई हुई दिख रही है।

इराक की सरकार ने क्षेत्रीय बैठक का आयोजन किया है। फ्रान्स इस बैठक का सह-आयोजक है। इस बैठक के माध्यम से फ्रान्स ने इराक की अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के लिए और इराक की प्रगति के लिए इस क्षेत्र के देशों से निवेदन किया। इस बैठक में सौदी अरब और इरान इन कड़े प्रतिद्वंद्वि देशों के अलावा इजिप्ट, जॉर्डन, कतार के राष्ट्रप्रमुख एवं विदेशमंत्री उपस्थित थे। इस बैठक में इराक के विकास के मुद्दे के साथ ही आतंकवाद विरोधी संघर्ष पर भी फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनी भूमिका स्पष्ट की।
सौदी के क्राउन प्रिन्स और कतार के विदेशमंत्री की भेंट

सौदी के क्राउन प्रिन्स और कतार के विदेशमंत्री की भेंटनिओम – कतार के विदेशमंत्री शेख मोहम्मद ने सौदी अरब की यात्रा करके क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। खाड़ी क्षेत्र के इन दोनों पड़ोसी देशों का सहयोग बढ़ाने के लिए सौदी-कतार समन्वय परिषद स्थापित करने का ऐलान भी दोनों देशों ने इस दौरान किया। ३.५ वर्ष के राजनीतिक तनाव के बाद दोनों देशों का सहयोग स्थापित हो रहा है। तो, अफ़गानिस्तान की गतिविधियाँ और अफ़गानिस्तान को लेकर कतार निभा रहा अहम भूमिका की पृष्ठभूमि पर इन दोनों की बैठक की अहमियत बनती है।

कतार के ईरान के साथ सहयोग और आतंकी हिज़बुल्लाह एवं हौथी संगठनों को प्रदान हो रहे आर्थिक समर्थन की वजह से बीते ३.५ वर्षों से सौदी और कतार के बीच राजनीतिक तनाव निर्माण हुआ था। सौदी और इससे जुड़े अरब-खाड़ी देशों ने कतार का बहिष्कार किया था। खाड़ी क्षेत्र के देशों की ‘गल्फ को-ऑपरेशन काऊन्सिल – जीसीसी’ से भी कतार को बाहर किया गया था। साथ ही सौदी एवं मित्रदेशों ने कतार से अपने राजदूतों को स्वदेश बुला लिया था। इस तनाव का असर खाड़ी क्षेत्र के र्इंधन यातायात से यात्री विमानों के उड़ानों पर भी हुआ था क्योंकि, सौदी अरब ने कतार की घेराबंदी की थी।

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