'जी २०' परिषद और भारत

चुनौति के दौर में भारत ‘जी २०’ को निर्णय लेने वाला नेतृत्व प्रदान करेगा

बाली – भू-राजनीतिक तनाव, आर्थिक कमज़ोरी, अनान और ईंधन की कीमतों में उछाल और कोरोना की महामारी के दुष्प्रभाव सामेन आ रहे हैं और ऐसे में भारत को ‘जी २०’ की अध्यक्षता मिल रही है। चुनौतियों के ऐसे दौर में भारत की यह अध्यक्षता सर्वसमावेशक, महत्वाकांक्षी, निर्णय लेनेवाला और कृतिशील होगी, ऐसी गवाही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित ‘जी २०’ परिषद के समाप्ति समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री बोल रहे थे। 

इंडोनेशिया के राष्ट्राध्यक्ष जोको विडोडो ने ‘जी २०’ की अध्यक्षता की बागड़ोर प्रधानमंत्री मोदी को सौंपी। १ दिसंबर से अधिकृत स्तर पर भारत इस प्रभावी संगठन का अध्यक्ष होगा, इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री मोदी ने इस संगठन पर भारत की भूमिका उचित शब्दों में कही। विश्व के सामने कठिन चुनौतियां हैं और ऐसे समय में विश्व ‘जी २०’ से बड़ी उम्मीदे हैं, इसका अहसास प्रधानमंत्री ने कराया। साथ ही भारत की अध्यक्षता के दौर में ‘जी २०’ की नीति एशिया केंद्रित होगी, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। तथा, विकसनशील देशों की समस्या एवं मसलों का हल निकालने के लिए ‘जी २०’ के ज़रिये विशेष कोशिश की जाएगी, यह संकेत प्रधानमंत्री ने दिए।

संयुक्त राष्ट्रसंघ की असफलता की वजह से ‘जी २०’ की अहमयित अधिक बढ़ी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

बाली – गंभीर चुनौतियां सामने होने की स्थिति में संयुक्त राष्ट्र संघ इसका मुकाबला करने में पूरी तरह से असफल रहा है। यह बात मानने से हमें बिल्कुल संकोच नहीं करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्रसंघ में सुधार करने की हम सबकी कोशिश भी नाकाम हुई। ऐसी स्थिति में, जी-२० की अहमियत अधिक बढ़ा है, ऐसे स्पष्ट शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी-२० की अहमियत रेखांकित की। इंडोनेशिया के बाली में आयोजित ‘जी-२०’ परिषद में प्रधानमंत्री मोदी बोल रहे थे। इस दौरान यूक्रेन युद्ध रोकने का आवाहन करके केवल राजनीतिक चर्चा के माध्यम से ही इस समस्या का हल निकाला जा सकता है, ऐसा इशारा भारतीय प्रधानमंत्री ने फिर से दिया है। साथ ही अगली ‘जी २०’ बुद्ध और गांधी की पावन भूमि भारत में आयोजित होगी और तब हम सब मज़बूती से विश्व को शांति का संदेश देंगे, यह विश्वास प्रधानमंत्री मोदी ने व्यक्त किया। 

प्रधानमंत्री मोदी का इंडोनेशिया की राजधानी बाली में जोरदार स्वागत हुआ। इस परिषद के दौरान प्रधानमंत्री ने अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष बायडेन, फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन, चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक से मुलाकात की। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने तकरीबन २० नेताओं से मुलाकात की बात तय हुई है। मौजूदा स्थिति की भू-राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री का जी-२० में सहभाग ध्यान आकर्षित करता है। खास तौर पर अगले साल भारत में जी-२० का आयोजन होगा और इस वजह से भारत की भूमिका को बड़ी अहमियत मिली है। इसी वजह से प्रधानमंत्री ने जी-२० की अहमियत रेखांकित करते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ विश्व में खड़ी चुनौतियों का मुकाबला करने का नेतृत्व करने में असफल होने का आरोप लगाया।

भारत के प्रधानमंत्री ने दिया ‘वन वर्ल्ड’ का संदेश

नई दिल्ली – फर्स्ट वर्ल्ड और थर्ड वर्ल्ड इस तरह से विश्व का विभाजन ना हो, इसके बजाय ‘वन वर्ल्ड’ की कल्पना भारत की उम्मीद है, ऐसा संदेश प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिया। भारत को ‘जी-२०’ का अध्यक्षपद प्राप्त हो रहा हैं और इसके प्रतीक चिन्ह पेश करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने यह संदेश दिया। विकसित और पीछड़े इस तरह से देशों का हो रहा विभाजन आनेवाले समय में नहीं होना चाहिये, सभी देशों को विकास का पूरा अवसर मिले, भारत की यह भूमिका प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में रखी। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है और तभी भारत को प्राप्त हुई ‘जी-२०’ की अध्यक्षता भारतीय नागरिकों के लिए बड़े अभिमान की बात बनती है, इसपर प्रधानमंत्री ने ध्यान आकर्िषत किया। 

‘वन वर्ल्ड’‘जी-२०’ सदस्य देशों का कुल ‘जीडीपी’ विश्व के ‘जीडीपी’ में ८५ प्रतिशत इस्सा रखता है। इसके अलावा वैश्विक व्यापार में ७५ प्रतिशत हिस्सा ‘जी-२०’ देशों का हैं। इसके साथ ही ‘जी-२०’ देशों की जनसंख्या वैश्विक जनसंख्या के दो तिहाई हैं। ऐसी अहम संगठन की अध्यक्षता भारत को प्राप्त हो रही हैं, यह कहकर प्रधानमंत्री मोदी ने इसकी अहमियत रेखांकित की। अगले साल भारत में आयोजित होने वाली इस परिषद मे ३२ क्षेत्र से संबंधित करीबन २०० मिटिंग्ज्‌‍ देश के विभिन्न हिस्सों में होगी। भारत आयोजित कर रहें विशाल अंतरराष्ट्रीय परिषद मे ‘जी-२०’ का आयोजन सबसे ज्यादा अहम साबित होगा, यह विश्वास भी प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

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