अहंकार हमारा सबसे बड़ा शत्रु है

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०५ मई २००५ के पितृवचनम् में ‘अहंकार हमारा सबसे बड़ा शत्रु है’ इस बारे में बताया।

 

ये महाप्रज्ञा है और दूसरा है महाप्राण, जो उनका पुत्र है, हनुमानजी, वो भी सर्वमंगल है, क्योंकि उनका नाम ही हनुमंत है यानी ‘हं’कार है। ‘अहं’ में जो ‘अ’ है उसे निकाल दो तो हंकार हो गया।

मैं बार-बार कहता हूँ अहंकार है यानी हनुमानजी नहीं हैं, हंकार नहीं है। हं इति हनुमत्-बीजं। हनुमंतजी के मंत्र का बीज ही ‘हं’ है।

अब बात ये जान लो भाई, इस विश्व में सबसे अमंगल बात क्या है? तो अहंकार। तो संस्कृत में कहा गया है कि स्वाभिमान का होना कोई बूरी बात नहीं है, सेल्फ रिस्पेक्ट। स्व-अभिमान यानी इगो नहीं, सेल्फ रिस्पेक्ट। Ego is bad, self respect is good. लेकिन हमारे पास ये इगो ही रहता है, अहंकार ही रहता है। ये अहंकार जब तक व्यवहार में है, तब तक तो काम थोड़ा बहुत चल सकता है। लेकिन भगवान के पास अगर मैं अहंकार लेकर बैठूं, तब अमंगल ही अमंगल है और यही बात जो है, मेरी जिंदगी को अमंगल बना देती है, अहंकार होता है।

भगवान, भगवती के लिए साडी लाते हैं। दुकान में जाकर कहते हैं, भारी साडी देना भाई, भारी-भारी, भारी में साडी चाहिए, देवी को चढ़ानी है। बाद में घर में आकर दो-चार लोगों को दिखा देते हैं कि मैंने ढाई हजार रूपये की साडी ली है भगवती के लिए। वो मेरी जेठानी है ना उसने दो सौ रूपये की ली। नेव्हर कम्पेअर। तुलना नहीं करना। साईबाबा के पास जाता हूँ, चाँदी का मुकुट चढ़ाता हूँ, हर बार, दो सौ रूपये की चद्दर चढ़ाता हूँ, भाई, अहंकार, नहीं चाहिए। भगवान की मैं हर रोज प्रार्थना करता हूँ, घर में कितना अच्छा मंदिर बनाया हुआ है भगवान का, ना सोचो।

भगवान के सामने कभी भी जाकर, ‘मैं तेरे लिए क्या कर रहा हूँ’ यह बात कभी भी ना कहो। भगवान के सामने जाकर कहना, ‘तुमने मेरे लिए क्या किया है अब तक’। जो भी मेरी जिंदगी में मंगल घटानाएँ हुई हैं, ये सभी उसी के कारण हुई है, ये उसे ही जाकर बतलाना। तब अहंकार न रहने के कारण अपने आप आगे का जीवन भी मंगलमय होने लगेगा।

ये जो अहंकार है, यही इस विश्व की सबसे अमंगल चीज़ है। लेकिन हम अहंकार को ही छोड़ते नहीं, उसे ही पकड़कर बैठ जाते हैं और ये अहंकार जो है, यही हमारे जिंदगी को बार-बार भ्रष्ट करता रहता है, हमारे यश का रूपांतरण अपयश में करता रहता है, विजय का रूपांतरण पराजितता में, पराभवता में करता रहता है। क्योंकि यही अमंगल है, यह अहंकार ही अमंगल है।

‘अहंकार हमारा सबसे बड़ा शत्रु है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll