श्रीलंका में अराजकता

 सरकार स्थापित करने के लिए श्रीलंका के विपक्षी दल तैयार

श्रीलंका में अराजकता

कोलंबो – घोषणा के अनुसार १३ जुलाई को हम इस्तीफा देंगे, ऐसा श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे ने कहा है। इसी दौरान रानिल विक्रमसिंघ ने पहले ही अपने प्रधानमंत्री पद के इस्तीफे का ऐलान किया है। इस वजह से विपक्षी दलों ने संयुक्त सरकार गठित करके श्रीलंका में राजनीतिक अस्थिरता खत्म करने की तैयारी शुरू की है। इस प्रक्रिया का विरोध करना श्रीलंका का विश्‍वासघात होगा, ऐसा विपक्षी दल के नेताओं का कहना है। साथ ही श्रीलंका में अराजकता की स्थिति के दौरान भारत इस देश में सेना उतारेगा, ऐसे दावे प्रसिद्ध हुए थे। श्रीलंका में स्थित भारत के उच्चायुक्तालय ने यह दावे खारिज किए हैं। श्रीलंका की स्थिति अभी भी काबू में नहीं आई है। अपने देश की दुरदशा के लिए राष्ट्रपति राजपक्षे और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे भी ज़िम्मेदार हैं, ऐसा आरोप सड़कों पर उतरे प्रदर्शनकारी लगा रहे हैं। राजपक्षे के इस्तीफे के बिना प्रदर्शन बंद नहीं होंगे, ऐसी चेतावनी प्रदर्शनकारी दे रहे हैं। 

श्रीलंका में अराजकता की तीव्रता अधिक बढ़ी

श्रीलंका में अराजकता

कोलंबो – श्रीलंका में स्थिति अभी तक काबू में नहीं आई है। इस देश के अन्य हिस्सों से प्रदर्शनकारी राजधानी कोलंबो पहुँच रहे हैं। राष्ट्रपति गोटायाबया राजपक्षे इस्तीफा नहीं देते, तब तक हमारे प्रदर्शन जारी रहेंगे, ऐसा बयान कोलंबो के प्रदर्शनकारी ड़टकर कर रहे हैं। राष्ट्रपति के अधिकृत निवास स्थान से भागकर अज्ञात स्थान पर पहुँचे राजपक्षे ने १३ जुलाई को इस्तीफा देने की तैयारी दिखाई है। उनके इस्तीफे के बाद संयुक्त सरकार स्थापित करने पर श्रीलंका के विपक्षी दलों की सहमति हुई है। इस वजह से श्रीलंका के सबसे प्रभावी राजपक्षे परिवार का राजनीतिक भविष्य खत्म हुआ है, यह चर्चा भी शुरू हुई है। शनिवार को राष्ट्रपति निवास स्थान पर प्रदर्शनकारियों ने कब्ज़ा किया था। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को वहां पर १ करोड़ ७८ लाख श्रीलंकन रुपयों से अधिक राशि प्राप्त होने का दावा किया जा रहा है। प्रदर्शनकारी इन नोटों को गिनते हुए वीडियोज्‌‍ सोशल मीडिया पर वायरल हुए।

 चीन के कर्ज़ के कारण ही श्रीलंका पर आर्थिक संकट टूटा – विश्लेषकों का अनुमान

श्रीलंका में अराजकता

नई दिल्ली – संकट के समय में भारत श्रीलंकन जनता के साथ है, ऐसी गवाही विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने दी। अन्य देशों से भी श्रीलंका को सहयोग का आश्वासन मिल रहा है। लेकिन, इससे श्रीलंका की समस्या का हल नहीं निकलेगा क्योंकि, यह देश चीन के कर्ज़ के फंदे में पूरी तरह से फंसा हुआ है, इसका अहसास भारत के एक अध्ययन मंड़्ल ने कराया। चीन से लिए गए पहले कर्ज़ का भुगतान करना मुमकिन ना होने पर श्रीलंका द्वारा अपने हंबंटोटा बंदरगाह को १०० साल के लिए चीन के हवाले करने के लिए मज़बूर हुआ था। फिर भी श्रीलंका की चीन के कर्ज़ से रिहायी नहीं हुई। आनेवाले समय में भी चीन का कर्ज़ ही श्रीलंका के सामने की सबसे बड़ी आर्थिक समस्या बनेगा, ऐसा विशेषज्ञों का कहना हैं।

श्रीलंका पर कुल कर्ज़ की राशि ५० अरब डॉलर्स होने की बात कही जा रही है। इस कर्ज़ में चीन से भारी ब्याज दर पर लिए गए कर्ज़ की मात्रा अधिक है। बुनियादी सुविधाओं की विकास योजनाओं के लिए श्रीलंका ने चीन से यह कर्ज़ उठाने की बात कही जा रहा है। बंदरगाह, सड़क निर्माण के लिए श्रीलंका ने यह कर्ज़ उठाया, यह सच होने के बावजूद इसका लाभ पाने के बजाय श्रीलंका इस कर्ज़ के भार से दबता हुआ दिख रहा है। इसके पीछे पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे का गलत कारोबार एवं गलत नीति ज़िम्मेदार होने की बात स्पष्ट दिख रही है।

श्रीलंका में जनता के असंतोष का विस्फोट

श्रीलंका में अराजकता

कोलंबो – अनाज, धान, ईंधन और अन्य जीवनावश्यक सामान की किल्लत का सामना कर रही श्रीलंकन जनता के असंतोष का विस्फोट हुआ है। हज़ारों प्रदर्शनकारियों ने राजधानी कोलंबो में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के निवासस्थान पर धावा बोलकर कब्ज़ा कर लिया। लेकिन, उससे पहले राष्ट्रपति राजपक्षे वहां से अज्ञात स्थान पर पहुँच चुके थे। पुलिस एवं श्रीलंकन सेना के लिए भी इस क्रोधित जमावड़े को काबू करना कठिन हुआ। जनता के असंतोष का विस्फोट होने के दौरान प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे की पेशकश करके सर्वदलीय सरकार गठित करने की पहल की है। पिछले कुछ महीनों से श्रीलंका अनाज़ और ईंधन की किल्लत का मुकाबला कर रहा है। अनाज़ और ईंधन समेत अन्य ‘जीवनावश्यक’ सामान खरीदने के लिए श्रीलंका के पास विदेशी मुद्रा का भंड़ार नहीं बचा है। भीषण आर्थिक संकट का मुकाबला करने के साथ ही श्रीलंका में उभरी किल्लत भयानक बनती जा रही है। इसी किल्लत की वजह से कीमतों में उछाल आने से श्रीलंकन जनता का गुस्सा बढ़ रहा है। इस वजह से श्रीलंकन जनता लगातार सड़क पर उतरकर निषेध व्यक्त कर रही है। लेकिन, शनिवार को श्रीलंकन जनता के गुस्से का विस्फोट हुआ। प्रदर्शनकारियों ने सीधे राष्ट्रपति निवास पर धावा बोल दिया

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