‘ ॐ लं ’ यह कहना ही काफी है - भाग २ (Chanting Om Lam is sufficient - Part 2) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में बताया।

‘ॐ लं’ यह कहना ही काफी है - भाग २ (Chanting Om Lam is sufficient - Part 2) - Aniruddha Bapu
‘ॐ लं’ यह कहना ही काफी है - भाग २ (Chanting Om Lam is sufficient - Part 2) - Aniruddha Bapu

 

ये जो ‘शं’ बीज है, ये रुद्र का भी है और भद्र का भी है। हमें हमारी जिंदगी में दोनो चाहिए, लेकिन ये स्वरुप किसके लिये हैं? आवश्यकता क्या है? हम कोशिश करते हैं, मैं किसी को ना फसाऊं और मैं अध्यात्म मार्ग पर रहूं, भगवान की भक्ती करता हूं, इसका मतलब ख भी नहीं कि कोई आए और वो मुझे फंसाकर चला जाए। That is wrong. भक्ति से मेरी बुद्धि कैसी होनी चाहिये? तेज होनी चाहिये और तेज होती है। मेरा IQ बढता है। यस, बढता है। अच्छा होने लगता है। 

 समझ गये ! ये शं बीज जो है, ये शिवजी का, परमशिव का, गौरी या सदाशिव का, नित्यशिव का यानी परमशिव, किरातरुद्र या महादुर्गेश्वर इन तीनों स्वरुपों का ये एक ही बीज, पहला बीज है, जो रुद्र बीज भी है, और भद्र बीज भी है। ये हमारे मूलाधार चक्र में है, जहाँ से सब कुछ उत्पन्न होता है। अब मेरे जीवन में जहर ना आए, शिवजी बैठे होगे अंदर, जागृत रुप से, वो जहर पी जाएँगे। हमें कोई तकलीफ नहीं होगी। हमारे लिए वे जहर पिने के लिये हमेशा तैयार हैं। 

मैं किसी के जीवन में जहर घोलूं तो मैं किसे जहर पिला रहा हूं? शिवजी को ही जहर पिला रहा हूं। इसलिये ये गलती कभी नहीं करनी है। अभी ये गलती आप नहीं कर रहे हो, तो सिर्फ ‘ ॐ लं ’ बोलने से, ॐ वं, शं, सं, षं, सबकुछ एक लं में आ जायेगा।  

 ‘ ॐ लं यह कहना ही काफी है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।   

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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