Hindi Pravachan

सद्‍गुरु महिमा-भाग १ , Sadguru Mahima-Part 1

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धने १५ अप्रैल २०१० के पितृवचनम् में ‘सद्‍गुरु महिमा’ इस बारे में बताया।   साईनाथजी की महिमा हेमाडपंत लिख रहे हैं, हम लोग देख रहे हैं। हेमाडपंतजी ने हमें सद्‍गुरु क्या था, क्या होता है, कैसे होता है यह खुद की आँखों से देखा था, महसूस किया था और पूरी तरह से जान लिया था और सिर्फ जाना नहीं बल्कि जानने के साथ-साथ खुद को निछावर कर दिया

मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि - भाग ३

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni) ’ इस बारे में बताया।   मणिपूर चक्र का इतना इमंपॉरटन्स हमारे लाईफ में है, इसीलिये रामनाम ये हमेशा क्या बताया गया है भारत में, ये सर्वश्रेष्ठ नाम है। इसके लिये कुछ शक्ति की आवश्यकता नहीं, किसी शुद्धी की नहीं। ज्ञानेश्वर महाराज ने क्या बताया हैं? मैं बार-बार बताता हूँ वो

‘रं’ बीज और मणिपुर चक्र

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘रं’ बीज और मणिपुर चक्र (Ram beej is the beej of Guru-Mantra and Manipur Chakra)’ इस बारे में बताया।   ‘गुरुरेव परब्रह्म, गुरुरेव आत्मा’, हमारा आत्मा भी क्या है? गुरु की दी हुई भेंट है हमें, गुरु की यानी सद्‍गुरुतत्व की दी हुई भेट है हमें। हमारा जीवात्मा जो उन्नत होता रहता है, वो भी किसकी कृपा से? सिर्फ

गुरुमंत्र का बीज ‘रं’ बीज ही है

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘गुरुक्षेत्रम् मंत्र का बीज ‘रं’ बीज ही है(Ram beej is the beej of Guru-Mantra)’ इस बारे में बताया।   तो ये शृंगीप्रकाश और भृंगीप्रकाश। पहले उनका नाम क्या था, महर्षि शृंगी, महर्षि भृंगी। बाद में नाम क्या था? शृंगीनाथ, भृंगीनाथ। बाद में नाम क्या हो गया? शृंगीप्रकाश, भृंगीप्रकाश। अभी नाम क्या हो रहा है? शृंगीप्रसाद, भृंगीप्रसाद। ये जो शृंगीप्रसाद,

रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए - ०२

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए’ (Write at least one page of Ramnaam book daily – 02) इस बारे में बताया।   स्वाधिष्ठान चक्र क्या देता है? फाऊंडेशन फ़ॉर्म करता है। फाऊंडेशन यानी हिंदी में क्या कहेंगे? पाया मराठी में कहते हैं, हिंदी में? नींव रखते हैं, नींव। तो मूलाधार चक्र हर चीज की नींव

मणिपुर चक्र और रामनाम बही (Manipur Chakra And Ramnaam Book)

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और रामनाम बही (Manipur Chakra And Ramnaam Book)’ इस बारे में बताया।   ये मणिपुर चक्र जो है, ये इन्सान के लिये, मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मणिपुर चक्र, ये बहोत, बहोत, बहोत आवश्यक हैं, इनकी उपासना होनी चाहिए। इसका मतलब ये नहीं की अनाहत चक्र, विशुद्ध चक्र और आज्ञा चक्र कुछ काम के नहीं, हैं ही काम

रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘रामनाम बही का कम से कम एक पन्ना प्रतिदिन लिखिए (Write at least one page of Ramnaam book daily)’ इस बारे में बताया।   रामनाम बही का यही महत्व है, उस में जो नाम हैं, राम, कृष्ण जो भी दिये हुए हैं जो मंत्र, ये सब क्या करते हैं? हमारे इन तीन चक्रों की, मणिपूर चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र, मूलाधार

मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि - भाग २

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni – Part 2)’ इस बारे में बताया।   रात जो है, नींद जो है, वह भी एक मृत्यु ही है। वैसे ही दूसरे एक मृत्यु की, मृत्यु का प्रकार रहता है यानी कि देखिये हम लोग कुछ काम कर रहे हैं, वह कार्य पूर्ण हो गया, ओ.के। आपने समझो एक घर

मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि   (Manipur Chakra And Pranagni)

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘मणिपुर चक्र और प्राणाग्नि (Manipur Chakra And Pranagni)’ इस बारे में बताया।   तो ये बात जान लीजिये और ये जो प्राणाग्नि हैं जो शांत हो जाता हैं यहां, वहीं प्राणाग्नि वहाँ चेतनामय हो जाता है। यानी एक आदमी श्रद्धावान यहां मृत हो गया तो उसके देह में जो प्राणाग्नि है वो शांत हो गया। जब ये लिंगदेह भर्गलोक

अग्नि का महत्त्व (The Importance of Agni)

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २० अप्रैल २०१७ के प्रवचन में ‘अग्नि के महत्त्व(The Importance of Agni)’ के बारे में बताया।   हम लोगों ने, जिन लोगों ने ग्रंथ पढ़े हुए हैं, जानते हैं कि तीन प्रकार के अग्नि हमारे शरीर में, देह में होते हैं। कौन से, कौन से? जाठराग्नि, प्राणाग्नि और ज्ञानाग्नि। जाठराग्नि यानी सिर्फ जठर में यानी पेट में रहनेवाला अग्नि नहीं, जिसे हमें भूख लगती हैं।