अंबज्ञ इष्टिका पूजन में चुनरी चढ़ाने के संबंध में सूचना

हरि ॐ,

सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी ने बताए अनुसार कई श्रद्धावान अपने घर पर नवरात्रोत्सव में ’अंबज्ञ इष्टिका पूजन’ करते हैं। इस दौरान श्रद्धावान नित्य पूजन में अंबज्ञ इष्टिका को अर्थात मोठी आई को चुनरी अर्पण करते हैं। अंबज्ञ इष्टिका के पुनर्मिलाप के दिन, अर्पण की गई चुनरियों का भी पुनर्मिलाप किया जाता है।

परंतु, हररोज अंबज्ञ इष्टिका पर अर्पण की जानेवाली चुनरियों का एकत्रित विसर्जन करना, कुछ स्थानिक प्रशासनों के नियमानुसार संभव नहीं हो पाता। इसलिए कई श्रद्धावानों ने चुनरी के बजाए मोठी आई को ब्लाऊज पीस अर्पण करने के बारे में पूछा था, ताकि यह ब्लाऊज पीस बाद में गुदड़ी बनाने के लिए अथवा व्यक्तिगत उपयोग के लिए इस्तेमाल किए जा सकें। इसके अनुसार सन २०१९ से अंबज्ञ इष्टिका पूजन में निम्नलिखित बदलाव किए गए हैं :-

) पहले दिन पूजन में मोठी आई (अंबज्ञ इष्टिका) को चुनरी ही अर्पण करनी है।

) दूसरे दिन से, नित्य पूजन में श्रद्धावान चुनरी अथवा ब्लाऊज पीस अर्पण कर सकते हैं। ब्लाऊज पीस अर्पन करने के बाद इसे अंबज्ञ इष्टिका पर न रखते हुए अंबज्ञ इष्टिका के एक तरफ रखे जाएं। अर्थात, पहले दिन अर्पण की गई चुनरी अंबज्ञ इष्टिका पर ही पूजन के सभी दिन रहेगी और अर्पण किए गए ब्लाऊज पीस, अर्पण करने के बाद उठाकर एक तरफ रखे जाएंगे।

) यह अर्पण किए गए ब्लाऊज पीस श्रद्धावान ’मायेची ऊब’ योजना के अंतर्गत गुदडियां बनाने के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं अथवा खुद के लिए भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

) अर्पण की गई चुनरी हमेशा की तरह अंबज्ञ इष्टिका के साथ पुनर्मिलाप की जाए।

उपरोक्त पूजनविधि में किए गए बदलाव श्रद्धावानों के लिए ऐच्छिक हैं। श्रद्धावान अंबज्ञ इष्टिका पर हररोज चुनरी अर्पण कर सकते हैं और ऐसा करने पर सभी चुनरियों का पुनर्मिलाप किया जाना चाहिए।