श्रीवर्धमान व्रताधिराज व्रतपुष्प संबंधी सूचना

हरि ॐ, सभी श्रद्धावान यह जानते ही हैं कि हमारे ‘श्रीवर्धमान व्रताधिराज’ के शुरू होने में अब चन्द कुछ दिनों की ही देर है। हर साल व्रताधिराज का पालन करते समय श्रद्धावान अपनी-अपनी पसन्द के स्तोत्र, प्रार्थना, मंत्र आदि का बतौर ‘व्रतपुष्प’ चयन करते हैं।

कई श्रद्धावानों ने यह पूछा था कि “क्या हम गुरुवार की नित्य उपासना में होनेवाले ‘ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते’ इस जाप को ‘व्रतपुष्प’ के रूप में ले सकते हैं?” श्रद्धावानों के लिए यह खुशी की बात है कि इस जाप को ‘व्रतपुष्प’ के रूप में लेने के लिए सद्गुरु श्रीअनिरुद्धजी की अनुमति प्राप्त हुई है।

लेकिन यदि इस जाप का बतौर ‘व्रतपुष्प’ चयन किया, तो ‘५ बार जाप करने पर १ आवर्तन’ गिनें। अर्थात् हररोज़ १-१ आवर्तन बढ़ाते समय उतनी बार जापसंख्या में बढ़ोतरी करनी पड़ेगी। यानी पहले दिन १ आवर्तन=५ बार, दूसरे दिन २ आवर्तन=१० बार, तीसरे दिन ३ आवर्तन=१५ बार इस प्रकार इस जाप को बढ़ाते जाना है। लेकिन छोटे बच्चें, मरीज़, वृद्ध, परीक्षार्थी और गर्भवति महिलाएँ इन्हें इस नियम से छूट दी गयी है।

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हरि ॐ,

सर्व श्रद्धावानांना हे माहीत आहेच की आपला ‘श्रीवर्धमान व्रताधिराज’ आता अवघ्या काही दिवसांवर आला आहे. दरवर्षी व्रताधिराजाचे पालन करताना श्रद्धावान आपापल्या आवडीची स्तोत्र, प्रार्थना, मंत्र आदि ‘व्रतपुष्प’ म्हणून निवडतात. 

अनेक श्रद्धावानांनी "गुरुवारच्या नित्य उपासनेतील ‘ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते’ हा जप आम्ही ‘व्रतपुष्प’ म्हणून घेऊ शकतो का?" अशी विचारणा केली होती. श्रद्धावानांकरिता आनंदाची गोष्ट म्हणजे हा जप ‘व्रतपुष्प’ म्हणून घेण्यास सद्गुरु श्रीअनिरुद्धांची अनुमती मिळालेली आहे.

मात्र हा जप ‘व्रतपुष्प’ म्हणून घेतल्यास, ‘५ वेळा जप केल्यावर १ आवर्तन’ धरावे. अर्थात दररोज १-१ आवर्तन वाढविताना तेवढ्या वेळा जपसंख्येमध्ये वाढ करावी लागेल. म्हणजे पहिल्या दिवशी १ आवर्तन=५ वेळा, दुसऱ्या दिवशी २ आवर्तने=१० वेळा, तिसऱ्या दिवशी ३ आवर्तने=१५ वेळा असा हा जप वाढवत न्यावा. परंतु लहान मुले, रुग्ण, वृद्ध, परिक्षार्थी व गरोदर स्त्रिया ह्यांना ह्या नियमातून सूट देण्यात आलेली आहे.

।। हरि ॐ ।। श्रीराम ।। अंबज्ञ ।। ।। नाथसंविध्‌ ।।