आफ्रिका से जुडी खबरें

जिम्बाब्वे में सरकार विरोधी प्रदर्शन रोकने के लिए सेना की तैनाती

हरारे/बुलावायो: ईंधन और जरूरी सामान की किंमतों में हुई बढोतरी और कैश की हो रही किल्तत के कारण जिम्बाब्वे में महंगाई सीधे १७५ प्रतिशत तक जा पहुंची है| इस महंगाई के लिए सरकार ने अपनाई गलत नीति जिम्मेदार होने का आरोप करके ‘मुव्हमेंट फॉर डेमॉक्रॅटिक चेंज’ इस दल ने आक्रामक प्रदर्शन शुरू करने की तैयारी की है| लेकिन, सरकार ने भी यह प्रदर्शन कुचलने की तैयारी शुरू की है और इसके लिए राजधानी हरारे और बुलावायो शहर में सेना तैनात करने की जानकारी सामने आ रही है|

जिम्बाब्वे में वर्ष २०१७ में तानाशाह रॉबर्ट मुगाबे की करीबन चार दशकों से बनी हुकूमत का तख्तापलट करवाया गया था| उनकी जगह एमर्सन मनान्गाग्वा ने राष्ट्राध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभाली थी| सत्ता प्राप्त करते समय मनान्गाग्वा ने देश की जनता को आर्थिक स्थिरता का भरोसा दिया था| लेकिन, सच्चाई यही है की पिछले डेढ वर्षों में जिम्बाब्वे की अर्थव्यवस्था की औ भी गिरावट हुई है|

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सोमालिया के संघर्ष में ७० से अधिक लोगों की बलि – ‘अल शबाब’ ने किया लष्करी अड्डे पर बडा हमला

मोगादिशु: सोमालिया में सेना ने आतंकी अड्डों पर किए हवाई हमलों में २१ आतंकी मारे जाने की बात कही जा रही है| बुधवार के दिन ‘अल शबाब’ के आतंकियों ने लष्करी अड्डे पर किए हमलें का जवाब देने के लिए यह हवाई हमलें किए गए| ‘अल शबाब’ के लष्करी अड्डों पर हुए हमले में सोमालियन सेना के ५० से अधिक सैनिकों की बलि गई थी| अल शबाब ने लष्करी अड्डे पर किया यह सबसे बडा आतंकी हमला होने की बात कही जा रही है|

गुरूवार देर से सोमाली सेना और अफ्रीकन युनियन मिशन इन सोमालिया ने दक्षिणी सोमालिया में ‘लोअर शैबेल’ में बडी कार्रवाई को अंजाम दिया| इस दौरान मुबारक शहर में अल शबाब के अड्डे पर हवाई हमला किया गया| इस हमले में अल शबाब के २० से भी अधिक आतंकी मारे गए है और ३७ आतंकी जख्मी हुए| मुबारक के साथ ही जनाले में अल शबाब ने बनाए ठिकाने पर भी हवाई हमला किया गया| लेकिन, इस हमले में हुए नुकसान की जानकारी प्राप्त नही हो सकी|

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अफ्रीका में चीन और रशिया का प्रभाव बढना अमरिकी हितसंबंधों के लिए घातक – अमरिकी सेना अधिकारी

वॉशिंगटन: जुलाई महीने में चीन ने आयोजित किए आफ्रिका विषयक परिषद में ५० देशों के लष्करी एवं राजनैतिक अधिकारी शामिल हुए थे| इस परिषद के बाद केवल ३ महीनों के कालखंड में अर्थात अक्टूबर महीने में रशिया सोची शहर में पहली रशिया-अफ्रीका समिट का आयोजन कर रही है और लगभग ३५ अफ्रीकी देश उसमें शामिल होने की बात सामने आई है| चीन एवं रशिया से अफ्रीका में शुरू यह गतिविधियां अफ्रीका में अमरिका के हितसंबंधों के लिए खतरा साबित हो सकती हैं, ऐसी स्पष्ट चेतावनी वरिष्ठ लष्करी अधिकारी ने दी है|

पिछले वर्ष अमरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने अफ्रीका में चीन एवं रशिया के बढ़ते खतरे पर ध्यान दिया था| उसके बाद अब अमरिका का अफ्रिका में रक्षा अड्डा होनेवाले अफ्रीकॉम के भूतपूर्व तथा नए प्रमुख अधिकारियों ने फिर एक बार उसका एहसास दिलाया है| महत्वपूर्ण बात यह है कि अमरिका के संसद के सामने हुए सुनवाई में तथा लिखे उत्तर में भी उस अधिकारी ने अफ्रीका में चीन और रशिया के बढ़ते प्रभाव के बारे में सूचित किया है|

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