नये युग का स्वीकार बडे प्यार से करो (Accept the new era with love) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने 31 मार्च २०१६ के पितृवचनम् में ‘नये युग का स्वीकार बडे प्यार से करो’ इस बारे में बताया।

नये युग का स्वीकार बडे प्यार से करो (Accept the new era with love) - Aniruddha Bapu
नये युग का स्वीकार बडे प्यार से करो (Accept the new era with love) - Aniruddha Bapu

 

मृत्यु सिर्फ़ शरीर की ही नहीं बल्की कार्य की भी होती है, मृत्यु मन की भी होती है, भावना की भी होती है। मृत्यु रिश्ते की भी होती है। Husband & Wife जब divoce लेते हैं तो वो उस शादी की मृत्यु ही है। एक मॉ-बाप अपने औलाद को छोड देते हैं या बच्चा अपने मॉ-बाप को हकाल देता है घर से, वो क्या है? मृत्यु ही है उस रिश्ते की । किसी को स्कूल छोड ना पडता है दैववश, ७ वी या ८ वी में, उसके नसीब के कारण या कठिनाइयों के कारण, तो वो क्या है? उसके शिक्षण की, education की, उसके मौके की वो क्या है? मृत्यु ही है। ओके! ये सारी मृत्यु रहती हैं। तो हमें यह जानना चाहिए कि यही हर तरीके की जो मृत्यु है वो कारण, एक ही कारण होता है। काल की वजह से हम काल के पीछे रह गये इस लिये समझो कि हमारे कार्य की हानि तो जरूर होनेवाली है। ओके।

हमे सीखना है और computer जिन्हें नहीं आयेगा, ५ साल के बाद उनकी हालत ऐसी हो जाएगी जैसी कि 1940 or 1950 में थी, मॉ-बाप बेचारे अंग्रेजी बिलकुल भी नहीं जानते थे, बच्चे अंग्रेजी सीखने लगे थे, मॉ-बाप गंवार हो चुके थे। वैसे जो आज सभी जो ३० के ऊपर, ४०, ५०, ६०, ७०, ८० सभी आगये उस में।  और कोई बोलेगा कि अब तो में ७० का हो गया हूं, अब क्या जरूरत और कितना जीना है? नहीं भाई और जीना है और बडे शान से जीना है। हम सभी को कुछ ना कुछ आना चाहिए। कुछ लोग मुझे कहते हैं कि मुझे अंग्रेजी नहीं आती। अरे a, b, c, d से z तक सीखने के लिए कितना वक्त लगता है? वो एक बार सीख लिया तो एक बार यह लिपि सीख ली तो हम हिन्दवी भाषा में उसका इस्तेमाल करके messages लिख सकते हैं, पढ सकते हैं और भेज सकते हैं। १ या २ साल में हम हमारी अपनी भाषा मे लिख सकेंगे।

पिछ्ली बार मैंने बताया था कि मै जब walk को जाता था, अब भी जाता हूं, रोज १ घंटा चलता हूं, जो मैने आपको बताया था, आप नहीं करते पर मैं करता हूं। तो मैंने उस दिन देखा, खार स्टेशन के बाहर चल रहा था। वहां एक इन्सान था जो फटी हुई धोती पहने हुए था। जिसको हात नहीं होते ऐसी कमीज पहने हुए थे । सिर पर पाटी थी, बडी वह पाटी उसने रख दी नीचे और मोबाईल निकाला उस पर कुछ टाईप किया, फिर बात किया, फिर कुछ टाईप किया। बाद में टिकीट के लिए स्वॅप किया कार्ड। अरे, I was Impreess! this is 3 year back. तीन साल पहले। तो वो भी सीखता है। मैंने पूछा कि किस कक्षा तक पढे हो? स्कूल में ही नहीं गया। तुम लोग कम से कम स्कूल में तो गये हो ना! उससे कुछ तो ज्यादा सीखे हो? तो अभी तो जाग जाओ। और अपने को कुछ आता नहीं तो उसकी कोई शरम मत करो। ऐसा कोई इन्सान है कि उसे सब कुछ ज्ञात है, सब का ज्ञान है, तो ऐसा कोई नहीं हो सकता। अभी आप समझो कि कोई कहे कि मैं पूर्ण ज्ञानी हूं तो समझ लेना वो बिलकुल ढिला है, झिरो है, मायनस है। तो कभी भी शरम नहीं रखना कि मुझे ये नहीं आता। नहीं आता है तो नहीं आता है, तभी आप सीख सकोगे।

तो मैं आपके जरिये आपके सारे रिश्तेदारों को, आपके मॉ-बाप को, आपके भाई-बहन को बच्चों को ये मेसेज देना चाहता हूं, मेरी तरफ से संदेश देना चाहता हूं कि ये नये युग का स्वीकार बडे प्यार से करो। और जो नई पिढी है, जिसे हम नेटिझन्स कहते हैं, जो बचपन से कॉम्प्यूटर खेलना सीखते हैं, कॉम्प्यूटर चलाना सीखते हैं, उनके लिए चेतावनी दी है कि भाई जरूर करो, लेकिन कितना? मशिन तुम पे हावी ना हो जाए।  मशिन नहीं है साथ में तो जी नहीं सकते। उसे एडिक्शन कहते हैं। उस मशिन से एडिक्शन यानी व्यसन नहीं होना चाहिए। ओके। उसकी लत नहीं लगनी चाहिए। बहोत सारे बच्चे एक दिन नेट नहीं होता तो पागल हो जाते हैं। this is not correct। अगर हम किसी शादी में गये हैं तो भी वहॉ भी खॆलते बैठेंगे। घर के ४-५ लोग साथ बैठे हैं तो बाते कीजिए यार! ये कनेक्ट करने के लिए है लोगों से, disconnet करने के लिए नहीं है, ये पहले समझ लो, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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