जब भी आनंदित होंगे, तब तब ‘ जय जगदंब जय दुर्गे ’ बोलिए (Whenever you feel Happy, Say Jai Jagadamb Jai Durge) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने २२ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘जब भी आनंदित होंगे, तब तब ‘ जय जगदंब जय दुर्गे ’ बोलिए’ इस बारे में बताया।

Aniruddha Bapu told in Pitruvachanam 22 Oct 2015 that Aniruddha Bapu Pitruvachanam 22 Oct 2015
Aniruddha Bapu Pitruvachanam 22 Oct 2015

अदितिमती याने काश्यपपत्नी। अदिति यानी आदिमाता का मूल स्वरूप, अदिति यानी जो कभी खंडित नहीं होती, खंडित होने देती ही नहीं। सबकुछ अखंडीत रखती है वो अदिति है राइट तो हम किसके भक्त हैं, दिति के या अदिति के? अदिति के भक्त है। अदिति की, मॉं के अनादि स्वरूप की तसबीर देखी है हम सब ने श्रीश्वासम्‌में। कितनी सुंदर है्! मैं गर्व से कहता हूं कि मेरे मॉ जैसी सुंदर कोई नही है। उस रुप को देखकर हम जान सकते है, क्या सुंदरता है मॉ की। उस सुंदरता को हमे पाना है हमारे जीवन में, ऐसे बापू ने कहा।

फिर बापू ने कहा, हमारा जीवन सुंदर करने के लिए, बडी बडी चीजें करने से अध्यात्म प्राप्त नही होता। वो भ्रम कहलाता है, वो ४२०सी होती है। क्यूंकि एक मैने बार बार कहा है वो क्या है? तुम्हारे और भगवान के बीच में कोई एजंट नहीं है। Their is no agent बिल्कुल नहीं। right, directly मै अपनी दादी से जुडा हूं या जुडी हूं और मेरे बापसे जुडा हूं या जुडी हूं, बास। their is no one elase. चाहे मैं पापी क्यूं ना हूं, संत क्यूं ना हूं।

सो हम लोग अगले गुरुवार से श्रीशब्दध्यानयोग की शरण में जायेंगे। नक्की! नक्की!! नक्की!!! बोलो तो, जय जगदंब जय दुर्गे, जय जगदंब जय दुर्गे, जय जगदंब जय दुर्गे। कभी भी आनंद हो जाए तो यही सेनटेन्स बोलना। समझे! कभी भी That should be ever. हरि ॐ, श्रीराम, अंबज्ञ। जय जगदंब जय दुर्गे। श्रीराम।

‘जब भी आनंदित होंगे, तब तब ‘ जय जगदंब जय दुर्गे ’ बोलिए’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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