Sadguru Aniruddha Bapu

Post related to topic - indian mythology

आरती- दुर्गे दुर्घट भारी  (प्रत्येक शब्द का अर्थ एवं सरलार्थ सहित) (Aarti Durge Durghat Bhari

आरती- दुर्गे दुर्घट भारी (प्रत्येक शब्द का अर्थ एवं सरलार्थ सहित) (Aarti Durge Durghat Bhari

Durge जय देवी जय देवी महिषासुरमर्दिनी । सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ ॥ (जय- जय हो, देवी- देवी माँ, महिषासुरमर्दिनी- महिषासुर का, अशुभ का सर्वनाश करनेवाली, सुरवरईश्वरवरदे - सुर यानी देव, सुरवरों को यानी देवगणों को और ईश्वर (परमात्मा) को वर देनेवाली आदिमाता दुर्गा, तारक- तारणहार, संजीवनी- समग्रता से नया जीवन देनेवाली)। सरलार्थ: देवी माँ महिषासुरमर्दिनी की जय हो! अंबा, तुम ही सुरवरों को तथा ईश्वर (परमात्मा) को वर देती हो, आप ही तारक हो, आप ही संजीवनी हो।

दररोज दहा मिनिटे शान्त बसा- भाग २ (Sit Quite For 10 Minutes Every Day- Part 2) - Aniruddha Bapu‬ ‪Marathi‬ Discourse 18 June 2015

दररोज दहा मिनिटे शान्त बसा- भाग २ (Sit Quite For 10 Minutes Every Day- Part 2) - Aniruddha Bapu‬ ‪Marathi‬ Discourse 18 June 2015

Sit Quite for minutes - रोज दिवसातून कमीत कमी दहा मिनिटे शान्तपणे बसा (Sit Quite). शान्तपणे बसण्याआधी ‘हरि ॐ, श्रीराम अंबज्ञ’ म्हणा आणि उठण्याआधी ‘जय जगदंब जय दुर्गे’ म्हणा.

श्रीसूक्ताच्या पहिल्या ऋचेचा अर्थ - भाग १३ (The Meaning Of The First Rucha Of Shree Suktam - Part 13) - Aniruddha Bapu‬ ‪Marathi‬ Discourse 16 April 2015

श्रीसूक्ताच्या पहिल्या ऋचेचा अर्थ - भाग १३ (The Meaning Of The First Rucha Of Shree Suktam - Part 13) - Aniruddha Bapu‬ ‪Marathi‬ Discourse 16 April 2015

The Meaning Of The First Rucha Of Shree Suktam- Part 13 - श्रीसूक्ताच्या पहिल्या ऋचेत ‘माझ्या जातवेदा! माझ्या श्रीमातेला माझ्यासाठी माझ्या जीवनात, माझ्या क्षेत्रात घेऊन ये’, असे आवाहन जातवेदास म्हणजेच त्रिविक्रमास केले आहे.

शोकविनाशक हनुमानजी (ShokVinaashak Hanumanji) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 18 Sep 2014

शोकविनाशक हनुमानजी (ShokVinaashak Hanumanji) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 18 Sep 2014

ShokVinashak हनुमानजी जिस तरह सीताशोकविनाशक हैं, उसी तरह रामशोकविनाशक एवं भरतशोकविनाशक भी हैं। मानव को यह सोचना चाहिए कि जो सीता और श्रीराम के शोक हो दूर कर सकते हैं, वे हनुमानजी क्या मेरे शोक को दूर नहीं कर सकते? अवश्य कर सकते हैं। हनुमानजी के शोकविनाशक सामर्थ्य के बारे में परम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने १८ सितंबर २०१४ के हिंदी प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर - 2 (Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar-2) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर - 2 (Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar-2) - Aniruddha Bapu Hindi Discourse 11 Sep 2014

Jai Kapees Tihun Lok Ujaagar. मन, प्राण और प्रज्ञा ये मानव के भीतर रहने वाले तीम लोक हैं । मानव के भीतर के इन तीनों लोकों का उजागर होना मानव का विकास होने के लिए आवश्यक होता है । इन तीनों लोकों को उजागर करने के हनुमानजी के कार्य के बारे में सद्गुरुपरम पूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ११ सितंबर २०१४ के प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडियो में देख सकते हैं l

Latest Post