स्वस्तिवाक्यम्‌ यह सबकुछ सुंदर बनाता है Swastivakyam makes everything beautiful - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 15 Oct 2015

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १५ अक्तूबर २०१५ के पितृवचनम् में ‘स्वस्तिवाक्यम्‌ यह सबकुछ सुंदर बनाता है’ इस बारे में बताया।

स्वस्तिवाक्यम्‌ यह सबकुछ सुंदर बनाता है Swastivakyam makes everything beautiful - Aniruddha Bapu Pitruvachanam 15 Oct 2015

अनिरुद्ध बापू ने पितृवचन के दौरान यह बताया कि हर एक देवता के जो वैदिक सूक्त हैं, उन्हें हर चक्रपूजन एवं ध्यान के साथ पढा जायेगा। वैदिक सूक्त पहले पढे जायेंगे और उसके बाद उस देवता का जो गायत्री मंत्र होता है, जैसे गणेशजी का गायत्री मंत्र आप लोग जानते हैं - ‘एकदंताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति: प्रचोदयात्‌।’ इस तरह सातों देवताओं के गायत्री मन्त्रों का, वैदिक मंत्रों के, ऋचाओं के बाद पठण किया जाएगा। डॉ. योगीन्द्रसिंह जोशी, हमारे धर्मवर्मन की आवाज में होंगे वैदिक सूक्त। और उसके बाद सबसे महत्वपूर्ण बात होगी,  जिन्हें हम कहते हैं ‘स्वस्तिवाक्यम्‌’, जो उन्हीं सात ऋषियों के द्वारा बनाये गये हैं। क्रम इस तरह होगा- हर एक चक्र के वैदिक मंत्र, जैसे मूलाधार चक्र के वैदिक मंत्र, उसके बाद गणेशजी का गायत्री मंत्र, उसके बाद में उस चक्र का स्वस्तिवाक्यम्‌।

एकही वाक्य होगा, वो पहले मराठी में, बाद में हिंदी में, बाद में संस्कृत में कहा जायेगा - समीरदादा की आवाज में। गायत्री मंत्र मेरी आवाज में सुनना पडेगा। वैदिक मंत्र योगीन्द्रसिंह की आवाज में, गायत्री मंत्र मेरी आवाज में और उसके बाद में स्वस्तिवाक्यम्‌ समीरदादा के आवाज में आप लोग सुनोगे और आप लोग उनके साथ स्वस्तिवाक्य बोलोगे। जो मराठी में बोलना चाहते हैं वो मराठी में बोलें, जो हिंदवी में बोलना चाहते हैं वो हिंदवी में बोलें, जो संस्कृत में बोलना चाहते हैं वो संस्कृत में बोलें। जो तीनों भाषाओं मे बोलना चाहते हैं वो तीनों भाषाओं में बोलें।

लेकिन वो सिर्फ संस्कृत में क्यों नही रखा - क्योंकी उनका अर्थ हर रोज हमारे अंदर उतरना बहुत आवश्यक है। ये स्वस्तिवाक्यम्‌ हैं यानी सबकुछ सुंदर करनेवाले, सबकुछ शुभ करने वाले वाक्य हैं और किन लोगों ने बनाये हैं? उन सात ऋषियों ने।

‘स्वस्तिवाक्यम्‌ यह सबकुछ सुंदर बनाता है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।   

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥