यश की व्याख्या (The definition Of Success) - Aniruddha Bapu
परमपूज्य सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने १८ फरवरी २०१६ के पितृवचनम् में ‘यश की व्याख्या’ के बारे में बताया।
तो यही हमे जानना चाहिये कि मूल परब्रह्म तो एक ही है, तो इतने सारे रूप उसने क्यों लिये? क्योंकि हम लोग नादान हैं, हम लोग समझ नहीं पाते। हमे समझाने के लिये, उसका जो मूल स्वरुप है, वो आसान करने के लिये जगदंबा ने इस सारे उसके परिवार की निर्मिति की कि जिसके सहायता से हम लोग जान सकें कि परमेश्वर, परमेश्वरी, परब्रह्म ये तीनो एक ही हैं, वो क्या हैं। वैसे हमे जानना चाहिये भगवान ने सृष्टि उत्पन की इसपर किसीको संदेह है या नहीं है? अरे है क्या नहीं? भरोसा है या संदेह है? संदेह नहीं है, भरोसा है।
यानी क्या हुआ उसका success. भगवान का जश है, यश है। अभी इतने करोडों सालों से दुनिया चलती आयी है। सूर्य भी अपने स्थान में है, पृथ्वी भी अपने स्थान में है। कुछ गलती नहीं होती, ये भी उसका success है। अरे हां या नहीं। जश है। इतने सारे मानव हैं, अभी तो इतनी बढ गयी है जग की आबादी, कितनी मुझे मालूम नहीं। ८०० करोड हो गयी है ना? तो फिर भी अनेक मानव मे होनेवाली शारीरिक यंत्रणायें कितनी complicated होती हैं! हर एक इन्सान के शरीर मे जो होती हैं, कितनी सारी नर्व्स होती हैं, कितनी सारी पेशियां होती हैं। मैने उस दिन २०१४ में १३ दिसंबर को लेक्चर दिया था, उसमें बताया था कि हमारे शरीर में हमारे बदन मे जितनी सेल्स हैं, पेशी है उससे तीन गुना ज्यादा बॅक्टेरिया हमारे लार्ज इंटेस्टाईन मे रहते हैं, हमारे बडे आंतडे में रहते हैं। और उसमें से भी बहुत सारे हमारे लिये हितकर होते हैं।
ये पूरा चक्र कौन नियमित करता है? हर एक इन्सान का चेहरा अलग है, उसका स्वभाव अलग है, फिर भी बेसिक जो पॅटर्न है बॉडी का वो सेम ही है हर एक का। सिर्फ किसी का कद बडा हो, किसी का छोटा हो, किसी की हाईट बडी हो, actually इतना ही। और इतनी सारी नर्व्स एक एक इन्सान के शरीर में, इतनी सारी नर्व सेल्स और यहा हमारे ब्रेन मे इतनी सारी पेशियां हैं, neurons जो हैं, micro neurons जो हैं, उसका अलग अलग कार्य ये हमेशा सबके साथ समान है। उससे और भी छोटे है हमारे डी.एन.ए., हमारी जीन्स। ये सभी का, करोडो जीन्स हैं हमारे पास, उसमे किसे बढावा देना है, किसे छिपाना है, किसे आगे निकलना है, ये कार्य ये भगवान कैसे करता है, यह उसका success है। है कि नही? यश है।
यश की व्याख्या के बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।
॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥