श्रीशब्दध्यानयोग

सप्तचक्रांचे अ) गायत्रीमंत्र व ) स्वस्तिवाक्ये :-

1. मूलाधार चक्र

मूलाधार चक्रDSC_5060

       
  1. गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि। तन्नो दन्ति: प्रचोदयात्॥
    2. स्वस्तिवाक्य
  • मूलाधारगणेशाच्या कृपेमुळे मी संपूर्णपणे सुरक्षित आहे.
  • मूलाधारगणेश की कृपा से मैं संपूर्ण रूप से सुरक्षित हूँ।
  • By the grace of the MuladharGanesh, I am completely safe and secure
  • मूलाधारगणेशस्य कृपया अहं संपूर्णत: सुरक्षित:।
 2. स्वाधिष्ठान चक्र स्वाधिष्ठान चक्र DSC_5059               1.  गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ हिरण्यगर्भाय विद्महे। विरंचये च धीमहि। तन्नो प्रजापति: प्रचोदयात्॥ 2.   स्वस्तिवाक्य
  • प्रजापति-हिरण्यगर्भाच्या कृपेमुळे मी सक्षम आहे आणि मी सुखात आहे.
  • प्रजापति-हिरण्यगर्भ की कृपा से मैं सक्षम हूँ और मैं सुखी हूँ।
  • By the grace of Prajapati-Hiranyagarbha, I am capable and I am happy.
  • प्रजापति-हिरण्यगर्भस्य कृपया अहं सक्षम: सुखी च।
3. मणिपुर चक्र मणिपुर चक्र DSC_5058         1.  गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ राघवाय विद्महे। रामभद्राय धीमहि। तन्नो श्रीराम: प्रचोदयात्॥ 2. स्वस्तिवाक्य
  • श्रीरामकृपेने मी यशस्वी आहे.
  • श्रीराम की कृपा से मैं यशस्वी हूँ।
  • By the grace of Shreeram I am successful.
  • श्रीरामकृपया अहं यशस्वी।
  1. अनाहत चक्र

अनाहत चक्रDSC_5057         1. गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ तत्पुरुषाय विद्महे। महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्॥ 2. स्वस्तिवाक्य
  • माझा पिता त्रिविक्रम मला सदैव क्षमा करतो.
  • मेरे पिता त्रिविक्रम मुझे सदैव क्षमा करते हैं।
  • The Trivikram, my Father, always forgives me.
  • मत्पिता त्रिविक्रम: मां सदैव क्षमां करोति।
  5. विशुद्ध चक्र विशुद्ध चक्र DSC_5056        
  1. गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ पुरंदराय विद्महे। वृत्रान्तकाय धीमहि। तन्नो वेदेन्द्र: प्रचोदयात्॥
2. स्वस्तिवाक्य
  • युद्ध माझा राम करणार। समर्थ दत्तगुरु मूळ आधार। मी सैनिक वानर साचार। रावण मरणार निश्चित॥

  • युद्ध करेंगे मेरे श्रीराम। समर्थ दत्तगुरु मूल आधार। मैं सैनिक वानर साचार। रावण मरेगा निश्चित ही॥

  • My Ram will wage war;

    Self-sufficient, Dattaguru is the Origin, the Basis;

    A soldier, I am a vanar in word and in deed; Ravan will die, yes he will.

  • युद्धकर्ता श्रीराम: मम। समर्थ: दत्तगुरु: मूलाधार:।

    साचार: वानरसैनिकोऽहम्। रावणवध: निश्चित:॥

6. आज्ञा चक्र

आज्ञा चक्र DSC_5055         1. गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ महाप्राणाय विद्महे। आञ्जनेयाय धीमहि। तन्नो हनुमान् प्रचोदयात्॥ 2. स्वस्तिवाक्य
  • साक्षात श्रीहनुमन्त माझा मार्गदर्शक आहे आणि माझे बोट धरून चालत आहे.
  • साक्षात् श्रीहनुमानजी मेरे मार्गदर्शक हैं और वे मेरी उँगली पकड़कर चल रहे हैं।
  • Shreehanumanta Himself is my guide and He walks holding me by the finger.
  • साक्षात् श्री हनुमान् मम मार्गदर्शक: तथा स: मम अंगुलं धृत्वा चलति।
 7. सहस्रार चक्र सहस्रार चक्र DSC_5054            
  1. गायत्रीमंत्र - ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे। सर्वशक्त्यै च धीमहि। तन्नो जगदम्ब प्रचोदयात्॥
  2. स्वस्तिवाक्य
  • मी परिपूर्ण आहे. मी सुशान्तमन-दुर्गादास आहे.
  • मैं परिपूर्ण हूँ। मैं सुशान्तमन-दुर्गादास हूँ।
  • I am complete and sufficient.I am a calm, serene and peaceful server of the Mother Durga.
  • अहं परिपूर्ण:। अहं सुशान्तमनोदुर्गादास:।

मातृवाक्य :-

  • माझ्या बालका, मी तुझ्यावर निरंतर प्रेम करीत राहते.

  • मेरे बच्चे, मैं तुम से निरंतर प्रेम करती रहती हूँ।

  • My dear child, I love You always.

  • मम बालक, अहं त्वयि निरन्तरं स्निह्यामि।

ॐ शान्ति: शान्ति: सुशान्ति: ॥