श्रद्धावान यह चण्डिकाकुल से जुडा ही है (The Shraddhavan is connected to Chandikakul) - Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ७ एप्रिल २०१६ के पितृवचनम् में ‘श्रद्धावान यह चण्डिकाकुल से जुडा ही है’ इस बारे में बताया।

he Shraddhavan is connected to Chandikakul
श्रद्धावान यह चण्डिकाकुल से जुडा ही है
(The Shraddhavan is connected to Chandikakul)
- Aniruddha Bapu

 

माँ भगवती और उसका जो बेटा है त्रिविक्रम, वो हमारा मन बदलने के लिये सारी सहायता करता है। हमारी बुद्धी को और ताकद देता है, हमारे मन को और सामर्थ्य देता है, हमारे प्राणों में ऐसे ‘बदलाव’ करते हैं, जिससे हम मन कंट्रोल कर सके। लेकिन मन को बदलना है खुद को ही, इसीलिये तो हम लोग मानव है। तो हमें पहले ये जानना चाहिये कि अच्छे मार्ग पर mind कंट्रोल वाली बात कभी भी नहीं हो सकती। She doesn't want to control anybody's mind.

ये जो आदिमाता है, वह किसी का भी, किसी के भी मन का नियंत्रण नही करना चाहती। और जितना हमारा faith ज्यादा है, विश्वास ज्यादा है, जितना जितना हमारा विश्वास दृढ है, उतना ही ये काम उनके लिये आसान हो जाता है, कि आपके मन को बदलने के लिये जो भी आवश्यक है, वो सारी कि सारी सुविधाएँ आपके प्राणों में, आपकी बुद्धिमें, आपकी प्रज्ञा में, प्रतिभा में, आपके शरीर में, आपके टिश्युज में उत्पन्न हो जाए।

इसीलिये हमें पहले ये जानना बहुत आवश्यक है कि स्वस्तिक्षेम संवाद में, जो भी कोई बात कर रहा है माँ के साथ या उसके बेटे के साथ, हम बात मन में करते हैं, क्योंकि वहि हमारा क्षेत्र है, मानव का क्षेत्र मन ही है। सब कुछ मन में ही चलता है। तो ये जो क्षेत्र है, उस क्षेत्र में जो भी है, उसी क्षेत्र में बैठकर उसके साथ बातें करते हैं ताकि जो बदलाव लाने हैं, उन्हें माँ भगवति और उसका बेटा ला सकें और यह बदलाव वह कहां लायेंगे, तो हमारी बुद्धि में, हमारे प्राणों में, हमारे शरीर में, हमारी आनेवाली परिस्थितियों में, इतना ही नहीं तो हमारी प्रज्ञा में, हमारी प्रतिभा में, यानी अपने आप ही कुछ विचार ऐसे अपने आप मन में आ जाएगा, जो आपको दिशा देकर जाएगा। कौन सी एक ऐसे ही कभी न देखनेवाली पिक्चर आप देखोगे, जिससे आपको कुछ डायरेक्शन मिल जाएगा। दिशा प्राप्त होगी, लेकिन मन कंट्रोल, माइन्ड कन्ट्रोल, ये माँ दुर्गा के मार्ग की बात नहीं है यानी पवित्र मार्ग की बात नहीं है। माँ दुर्गा ने ये किसीको भी नहीं दिया है। Are you understanding?

लेकिन जो अच्छा भक्त है, उसके मन के जो दोष है, जो मन की दुर्बलता है, या अतिरेकता है, ये जो भी गलतियाँ है, उसके सुधारने के लिये पूरी सहायता दी जाती है, कभी कभी तो ऐसे situation में लाके रखा जाता है, टेंपरली पिरिएड के लिए तो हमे अपने मन पर कंट्रोल पाना ही पडेगा।

लेकिन ये सब करते हुए भी इंसान के मन पर कंट्रोल कभी नहीं किया जाता। क्योंकि अगर मन का कंट्रोल करने गयी वो तो इंसान, इंसान नहीं रहेगा, रोबो बन जाएगा। और उसने रोबो नही उत्पन्न किये है, रोबो की आत्मा का विकास नही हो सकता है। रोबो में आत्मा नही है। हमारे जीवात्मा का विकास करना है। और अगर विकास करना है, तो हमें खुद पढाई करनी है। खुद इम्तिहान देना है, खुद पास होना है, हमारे पास होने के लिये अच्छा टिचर बैठा हुआ है, उसका बेटा। हमारे सवाल जो है, हमारे exam में आनेवाले, वो हल करने के लिये, माँ बैठी हुई है, उसका बेटा बैठा है, उसके सारे जो रिश्तेदार बैठे हुए है, वो सब तुम्हारे रिश्तेदार है।

कृपासिंधु में योगीन्द्र जोशी का एक बहुत अच्छा आर्टिकल आया था कि ये चंडिकाकुल के साथ हमारा कैसा रिश्ता है, ये पूरा का पूरा बहुत अच्छी तरह से डॉक्टर योगीन्द्रसिंह जोशी ने और डॉक्टर विशाखावीरा जोशी ने explain किया है। जरुर पढने की कोशिश कीजिये। We know how are we connected to Chandikakul. how are we related to Chandikakul. How are Chandikakul related to us. ये हमारे रिश्तेदार ही हैं। इसीलिये ये संवाद करते समय ये जान लो तुम बोलोगे किे बापु हम ऐसा नहीं माँग सकते क्या कि हमारा मन बदलो? जरुर माँगिए। कोइ औरत कहे कि मेरे पति का मन बदले, अच्छे के लिये, बुरे के लिये नहीं, मेरा पति शराब पिने लगे ऐसा माँगोगे तो झापड मिलेगा। तो हमें जानना चाहिये कि ऐसी जो चीज है, जिसके लिये मन बदलना जरुरी है, तो वो भी माँगे। उसके लिये भी कुछ ना कुछ प्रावधान किया जायेगा।

‘श्रद्धावान यह चण्डिकाकुल से जुडा ही है’, इस बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥

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