सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व - भाग १

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्धजी ने ०७ अक्टूबर २०१० के पितृवचनम् में ‘सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व(Satchidanand Sadgurutattva)’ इस बारे में बताया।

तो ये बात ऐसी है कि ये जो गुरुतत्त्व होता है, सद्‍गुरु जो होता है, उसके चरण ये क्या चीज़ है, ये पहले जानना चाहिये हमें। गुरु के चरण यानी क्या? गुरु के चरण, दो चरण जो होते हैं। एक कदम से वो शुभंकर कार्य करते हैं, दूसरे कदम से अशुभनाशन का कार्य करते हैं। लेकिन कौन से? राईट से शुभंकर या लेफ्ट से शुभंकर? नहीं। जब राईट लेग, राईट फूट उनका शुभंकर कार्य करता है, तभी लेफ्ट फुट अशुभनाशन का कार्य करता है। समझे? और जब लेफ्ट जो है शुभंकर का कार्य करता है, तो राईट फूट उनका जो है, वो अशुभनाशन का काम करता है।

सच्चिदानन्द सद्‍गुरुतत्त्व

गुरु के चरणों का ये समर्थ्य कहाँ से आता है, ये भी जानना चाहिये। क्योंकि ये कार्य कौन कर सकता है, अपनी दोनों चरणों से? जिसकी अपने भक्तों से कुछ भी अपेक्षा नहीं है। गुरु परमात्मा क्या होता हैं? ‘गुरु परमात्मा परेशु’, एकनाथ महाराज कहते हैं, ‘गुरु परमात्मा परेशु’। गुरु कुछ भी नहीं चाहता है। सिर्फ क्या चाहता है? अपने भक्तों का कल्याण चाहता है। ये चाहता है कि मेरे बच्चे सुधरे, अपना जीवन अच्छा करे, बाकी कुछ नहीं चाहता। खुद की स्तुति भी नहीं चाहता और जिसका अस्तित्व इतना अपेक्षाशून्य है, no expectations at all, yes no expectations, आप उसके साथ विश्वासघात भी करो, फिर भी वो आपके उधर रहता है, आपकी हेल्प करने के लिए। वो सद्‍गुरु है, वही सद्‍गुरु है, बाकी कुछ, कोई गुरु नहीं है।

उस सद्‍गुरुतत्त्व के पास no expectations, zero expectations, ये क्या है? विश्व का स्वामी है, लेकिन कैसे? उपभोगशून्य स्वामी। सद्‍गुरुतत्त्व पूरे विश्व का स्वामी है, लेकिन कैसे? उपभोगशून्य। वो जो भी कुछ करता है, किसके लिए करता है? दूसरों को आनंद देने के लिए, खुद को आनंद उसे किससे प्राप्त होता है? जब उसके कुछ कृति से या शब्द से उसके दोस्तों को, उसके फॉलोअर्स को, शिष्यों को, भक्तों को आनंद मिलता है, उससे वो आनंदित होता हैं। He is the blessed by himself, वो सच्चिदानंद स्वरूप तो है।

गुरु का मतलब क्या? सत्‌-चित्‌-आनंद। ‘सत्‌’ यानी अस्तित्व, क्रॉन्क्रीट अस्तित्व। ‘चित्‌’ उस अस्तित्व को महसूस करने की ताक़त यानी ‘चित्‌शक्ति’ और परमेश्वर है, वो मेरे साथ है, वो मेरा कल्याण कर रहा है, ये जानने से जो आनंद होता है, that is call as ‘The Bliss’, सच्चिदानंद और ये गुरुतत्त्व क्या है? ये सच्चिदानंद स्वरूप है। परमेश्वर के होने से, परमेश्वर के होने की जानकारी के होने से, परमेश्वर है इस जानकारी के होने के प्रभाव के कारण से, जो भी आनंद प्राप्त है, वो आनंद ही क्या है? सद्‍गुरु का स्वरूप है, सद्‍गुरु की मूर्ति है, जिसे हम लोग क्या कहते हैं? ‘सच्चिदानंद सद्‍गुरु’।

‘सच्चिदानन्द सद्गुरुतत्त्व' इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध ने पितृवचनम् में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll