Sadguru Shree Aniruddha’s Pitruvachan (Part 1) – 21 March 2019

हरी ॐ. श्रीराम. अंबज्ञ.

नाथसंविध्‌. नाथसंविध्‌. नाथसंविध्‌.

So, होली खेलकर आये हुए हैं बहुत लोग। खेले कि नहीं खेले? खेले...नहीं खेले...क्यों?

[आपके साथ खेलना था]

अरे भाई, मैं तो बुढ्ढा हो चुका हूँ, कहाँ होली खेलनी हैं। रंग नहीं खेलते आप लोग? क्यों? जो नहीं खेला होगा, वो हात ऊपर करें।

जिन्होंने रंग खेला, वो लोग हाथ ऊपर करें। Very good, ऍब्सोल्युटली, मस्त, क्लास।

बाकी लोग क्यों नहीं खेले? हमारी परंपरा नहीं हैं खेलनी की....हमारा स्टेटस नहीं बनता....हम थोड़े हाय स्टॅन्ड़र्ड के हैं....ये हमारे घर में शोभा नहीं देता....हमारा खानदान बड़ा हैं....(या फिर) कहाँ जायेंगे, कहाँ कलर लगायेंगे, (बाद में) कलर जाता नहीं, कहाँ धोयेंगे, कपड़े खराब हो जायेंगे....कैसे दिखूँगी, कैसा दिखूँगा मैं मालूम नहीं। कहाँ शाईनिंग मारना हैं, किसको मारना है भाई?

....ऐसे सारे विचार लेकर हम कितने छोटे छोटे आनंदों से हम लोग विन्मुख हो जाते हैं। मेरा यह कहना नहीं कि खेलना आवश्यक हैं या कम्पलसरी है, not at all. लेकिन जीवन की खूबसूरती को देखना, महसूस करना, उससे आनंद उठाना बहुत आवश्यक होता हैं। हम लोग सिर्फ बड़ी-बड़ी चीजों को देखते रहते हैं। जो छोटे-छोटे पल होते हैं आनंद के, उन्हें पकड़ने बाद ही तो बड़े पल आ जाते हैं, बड़ी चीज सामने आ जाती है, ध्यान में रखना चाहिये।

‘आनंदो ब्रह्मेति व्यजानात्’ - उपनिषद्‌ मे कहा गया हैं। पिता वरुणदेव अपने पुत्र भृगु से कहते हैं। पुत्र पूछता है कि ‘ब्रह्म क्या हैं? तो पिता वरुण देव कहते हैं कि ‘जा भाई, देखकर आ, थोड़ा ध्यान करके आ, चिंतन करके आ।’ तो भृगु कहता है कि ‘बाबा, अन्न ही ब्रह्म है।’ वरुणदेव बोलते हैं, ‘थोड़ी और पढ़ाई करनी पड़ेगी, और चिंतन करना पड़ेगा।’ बाद में आकर भृगु बोलते हैं कि ‘जल भी ब्रह्म है, वायु भी ब्रह्म है, आकाश भी ब्रह्म है।’ ऐसा बोलते बोलते बोलते जाते हैं। हर बार पिता के पास जाते हैं, तो पिता वरुण बोलते हैं, ‘नहीं, अभी भी पढ़ाई पूरी नहीं हुई है, और चिंतन करना चाहिए।’ बहुत बड़ी तपस्या के बाद जाकर बोलते हैं भृगुमहर्षि, कि ‘आनंद ही ब्रह्म है, आनंदो ब्रह्मेति व्यजानात्।’

आनंद ही ब्रह्म का मूल स्वरूप है, ब्रह्म ही आनंद हैं, आनंद ही ब्रह्म है और ब्रह्म ही त्रिविक्रम हैं, तो ‘त्रिविक्रम आनंदेति व्यजानात्’।

So आनंदो ब्रह्मेति व्यजानात्। आनंदो त्रिविक्रमेति व्यजानात्। तो यह आनंद जो है ना, वह आनंद लेना कैसे है, यह सीखना चाहिये। छोटी छोटी चीज़ो में आनंद लेना चाहिए। बच्चों को देखिये, छोटीसी चीज़ मिलने से कितने आनंदित होते हैं; और हम लोग बड़ी चीज़ मिली तो भी, ‘नहीं, ये थोड़ा एक ग्रॅम कम है’ ऐसी कुछ ना कुछ तो खामी हम लोग निकालते हैं। क्यों? क्या ज़रूरत हैं?

रंग खेलो भाई, ज़ोर से खेलो, नहीं खेलना है, आनंद करो। आज छुट्टी थी ना, तो क्या किया हम लोगों ने पूरा दिन? किसीने चिकन खाया, किसीने मटन खाया होगा, किसने फिश खाया होगा, किसने श्रीखंड खाया होगा, बासुंदी खायी होगी, पुरणपोली खायी होगी, किसने ताश खेला होगा, आराम किया होगा और टि.व्ही पर की रोने-धोनेवाली साँस-बहू की वो ही घीसीपीटीं कहानियाँ देखी होंगी, बस्स। मुझे बहुत बड़ा सरप्राईज रहता है - हमेशा इन सिरीअल्स में, रात को भी ये ऍक्टरेस होती हैं ना, कैसी पुरी सजधजके दिखाते हैं, एकदम पॉश....पूरे मेकअप-बिकप के साथ। Do you live like that? इतनी सारी महिलाएँ यहाँ खड़ी हैं, आप कितने जन सजधजके रात को ऐसे सोयेंगी, तो सुबह उठकर भी ऐसी ही दिखेंगी चकाचक? Impossible, नामुनकीन है ना? लेकिन हम लोगों को वही लाईफ देखके, देखके, देखके, बार-बार देखके सही लगने लगता हैं। मैंने एक बार नहीं, दो-तीन बार बोला है कि हम लोगों को कॉम्प्लेक्सेस क्यों आते हैं? न्यूनगंड, Inferiority Complex क्यों आते हैं हम लोगों को? हर कोई अपना जो रिअल लाईफ है यानी सच्चा लाईफ है, जो actual जिंदगी है, वह compare करता है, तुलना करता है। किसके साथ? दूसरे इन्सान की Reel लाईफ के साथ। Reel यानी पिक्चर का रील। क्योंकि हर एक आदमी एक मुखौटा पहने हुये है, एक मास्क पहने हुये फिरता हैं। हम में से हर कोई....nobody is exception, except that TRIVIKRAM, that's all! एक बार खुद की ओर मुड़कर देखो, कितने मुखौटे लेकर हम लोग घूमते हैं, Right? सामने से Cousin brother आ गया, मिलना नहीं चाहते, लेकिन (दिखाने को) ‘Hello, how are you?’ कहते हैं और मन में - ‘मर जाये तो अच्छा है, किधर मुँह देखा!’ बहू सुबह आती है, सास को ‘Good morning, Mummy' कहती है और (सास मन में) ‘कलमुही आ गयी, इसका थोबड़ा देखा, पुरा दिन खराब हो जायेगा।’ ऍक्टींग है ना, वैसे ही!

This is just for joke, ok? But otherwise बात क्या होती है? हमारी ज़िंदगी में भी, हम जो लोगों को दिखाते हैं, वह असल में होता नहीं है। उससे हमें यह जान लेना चाहिये कि जो ह्म देखते है दूसरों में, वह उनमें होता नहीं हैं। अगर वे दिखाते है १०० ग्रॅम, तो होता है असल में सिर्फ १० ग्रॅम! और हम क्या करते हैं? हमारे पास जो २० ग्रॅम होता है, उसकी तुलना हम उनके उन दिखने वाले १०० ग्रॅम के साथ करते हैं और खुदको कम मानते हैं। What does that mean? ;That means, we are comparing our real life with their reel life और रील कैसे बनता है? पिक्चर कैसे बनता है? दस-बारा बार, पंधरा बार, टेक-रिटेक हो जाता है, तब रील लाईफ़ बनता है, राईट? वैसे ही, तुम्हारे सामने जो दुसरे लोग दिखाते हैं, उन्होंने बहुत बार उसकी प्रॅक्टीस की हुई होती है कि क्या बोलना हैं, क्या नहीं बोलना है, कैसे दिखाना है, क्या दिखाना है। खुद की खामी कोई नहीं दिखाना चाहता, हम भी नहीं दिखाने चाहते। इसीलिये Inferiority Complex क्यों बढ़ रहा है आज कल? पहले इतना नहीं था Percentage। क्योंकि हम लोग तुलना करने लगे हैं। ये तुलना किससे करनी है? सब दिखावे की बात होती है। जो इन्सान ज्यादा जितना दिखाता है ना, ठुमक-ठुमक के घुमती है या घुमता है, तो समझना कि इसके पास इतनी सारीं खामियाँ ज़्यादा हैं, ओ.के? जो हमेशा हँसता रहता है, तो जान लो इसके पीछे बहुत बड़ी रोने वाली कोई बात है। और जो रोता रहता है, समझ लेना यह बहुत सुखी है, ये दूसरों को दुख दे रहा है। अभी जब सचमुच कोई शोक की बात है, जिसका अपना कोई चला गया है, तो बात अलग है। कोई लोग ऐसा दुखी मुँह बनाते हैं कि उनका मुँह देखकर हम लोगों को Depression आ जाता है। कभी भी हसेंगे नहीं। उस भगवान की सोचो, वे उसकी फोटो के सामने खड़े रहकर हमेशा रोते रहते हैं, क्या भगवान ऐसे किया? तो कभी arrogantly बोलेंगे। क्यों? क्योंकि हम लोग तुलना करते रहते हैं। जीवन में जो सच होता है दूसरे का, दूसरे के मन का, दूसरे की स्थिति का, वह हमें ज़्यादा मालूम नहीं होता हैं।

मैं एक छोटीसी स्टोरी बताता हूँ आप लोगों को। मेरे रिश्ते में एक औरत है। उसकी बहन एक बार, डायमंड्स (हीरे) का कान में पहनने का जो गहना होता है, वह पहनकर आई। इसके दिल में जलन होने लगी, मुझे भी चाहिए। अभी बहन के पति का income ज़्यादा था।  इसके पति का income थोड़ा कम था। तो इसने भी job करना शुरू कर दिया। Non-veg खाना बंद कर दिया पैसे बचाने के लिए, टॅक्सी से जाना बंद कर दिया, नई साड़ी खरीदना छोड़ दिया। पैसे बचाने लगी। एक ही interest बचा, क्या? बहन के जैसी same to same हिरे का गहना बनाना। दस साल के बाद गहना बनाने के लिए पैसे जमा हो गए, तो बनाने के लिए उसी ज्वेलर के पास जा पहुँची।

वह उनका पुरानी पहचान का था ज्वेलर।

उसने कहा, ‘आप को यह बनाकर चाहिए?’

‘हाँ, यही बनाकर चाहिए।’

‘आप की जो बड़ी बहन है ना, उन्होंने भी ऐसावाला ही लिया था, लेकिन वह ‘झूठे डायमन्ड’ का लिया था उसने....!’

दस साल....कहाँ गये? गये ना पानी में बहकर! दस साल रोती रही, दस साल बिलगती रही, दस साल पति के साथ गुस्सा करती रही, अपने खुद को कोसती रही। बाद में क्या जान गयी? कि जो उसके बहन ने पहना था वो क्या था? झूठे डायमन्ड का गहना था, Right? यह हमारे life की सच्चाई है। तो जान लो भाई, दूसरे के दिखावे पर मत जाओ। खुद की ज़िन्दगी खुद की ज़िन्दगी होती है। My life is my life, no one else has right to encroach in my life. यह ध्यान में रखना बहुत आवश्यक है, समझे?

      लेकिन inferiority complex....न्यूनगंड यह हमारे मन से कब चला जाता है? जब आत्मविश्वास बढ़ता है, तब। मैंने बार-बार कहा है, ‘आत्मविश्वास कब बढ़ता है? जब परमात्म-विश्वास बढ़ता है, तब उसी तादात में, उसी percentage में आत्मविश्वास बढ़ता है।’ क्योंकि आत्मा यह अंश किसका है? परमात्मा का। तो परमात्मा पर जितना भरोसा होगा, उसका अंश ही तुम्हारा आत्मविश्वास होगा। तो यह जान लो कि खुद का confidence - आत्मविश्वास बढ़ाना है, तो भगवान पर का विश्वास, प्यार बढ़ाते रखना चाहिए। और उसके लिए हमारे पास एकदम simple tool है। क्या है? ‘रामा रामा आत्मारामा त्रिविक्रमा सद्‌गुरु समर्था। सद्‌गुरु समर्था त्रिविक्रमा आत्मारामा रामा रामा।’ तो भाई, क्यों न इस्तेमाल करे?

So आत्मविश्वास बढ़ाना है, तो 'How do you think positively?' 'Positive thinking is the best' वगैरा books पढ़कर कुछ फायदा नहीं होनेवाला। आजकल देखता हूँ मैं, हर महीने....ख़ासकर मई महीने में या अप्रैल महीने में, नवम्बर के महीने में क्लासेस चलते हैं। जोर-शोर से चलते हैं ’Positive Thinking' के classes, 'Personality Development' के classes. अरे, हेअर स्टाईल बदलने से तुम्हारा status नहीं बदलता boss! महँगे कपड़े पहनने से तुम्हारा status, standard नहीं बदलता। Standard लोग बराबर पहचान लेते हैं। Because of what you are, not what you show. तुम्हारा standard किस पर निर्भर करता है? ‘तुम क्या हो’ इसपर। ‘तुम क्या बोलते हो, तुम क्या दिखाते हो’ इससे तुम्हारा standard कभी भी नहीं बन पाता। हम दूसरे की चीज़ें चुराते हैं - वह ऐसा पहनता है, वह ऐसे पहनती है, मैं ऐसा पहनूँगा। You should be what you are. I am what I am.

बिनधास्त, I don't get scared of anybody. I never get scared of anything.

I am what I am, I remain what I am. I expect all of you to remain what you are. Respect yourself first, love yourself first. That is not selfishness. वह स्वार्थ नहीं हैं। बाकी जो कोई बोलता हैं, उसे बोलो get lost. कोई बुढ्ढा नहीं होता, हम खुद को बुढ्ढा समझते हैं that is wrong. समझ में आया?

दूसरा कोई criticize करता है, करने दो। हाँ, तुम्हारा कोई हितचिंतक कुछ बात बताता है, तो बात अलग है। बाकी के लोग होते कौन हैं हमें criticize करनेवाले? o.k.? So be what you are. Respect yourself the way you are, love yourself the way you are. जैसे तुम हो, खुद से प्यार करना सीखो। If you don't love yourself no one is  going to love you at all. तुम खुद से प्यार नहीं करोगे, तो कोई दूसरा तुम से प्यार नहीं करेगा। तुम खुद को कोसते बैठोगे - मैं ऐसा हूँ, मैं ऐसा ही हूँ, मैं ऐसा ही रहूँगा, मुझमें बदलाव आनेवाला ही नहीं हैं, मेरा नसीब खोटा ही है; तो सब लोग भी वही कहेंगे कि यह ऐसा ही है, फालतू ही है। No, never do that.

गलती होती हैं, गलतियाँ भी होती हैं, बार-बार भी होती हैं। भगवान हमारा हमें मौके देने के लिए सज्ज रहता है। He is there for all of us. So never get scared. कभी ड़रना नहीं, ड़रने की नौबत आ जाए, तो भी ड़रना नहीं। क्या बोलना चाहिए खुद को? हमें क्या बताना है खुद को? ‘I will get only best in my life. I will face many situations, many problems, many difficulties, I will be fighting many wars. बहुत झगड़े करने पड़ेंगे, बहुत युद्ध खेलने पड़ेंगे, सब लोगों को झेलना पड़ेगा....yes! फिर भी,

'He' is with me, wherever I am. ‘वो’ मेरे साथ है। जहाँ-जहाँ भी मैं हूँ, मेरे पहले वो जाकर खड़ा होता है। सुख में भी और दुख में भी, o.k.? यश में भी और अपयश में भी। हर चीज़ में । वो अगर मेरे साथ हैं तो, कुछ भी हो जाए, लेकिन मैं पराभूत नहीं हो सकता। I will win, win and win. I will never be looser.

So say..........I will never be a loser, बोलो,

(I will never be a loser,

I will never be a loser,

I will never be a loser)

o.k., Promise? (promise)

So, it's my promise.....You will never be a loser, You will never be a loser, You will never be a loser.

Love you all!