रामनाम भय की नामोनिशानी मिटा देता है - भाग २

सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने ४ फरवरी २०१६ के प्रवचन में ‘रामनाम भय की नामोनिशानी मिटा देता है’ इस बारे में बताया।

और ये भी जान लीजिये, कोई भी भय जो है, जो शरीर के साथ जुड़ा है, उसका नाश किससे होता है? रामनाम लेने से होता है। मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र और मणिपूर चक्र ये तीन चक्र प्रबल होने के कारण, सामर्थ्यवान होने के कारण इस भय का नाश होता है। उसके लिये तो हमारे पास श्रीशब्दध्यानयोग है, उसके स्वस्तिवाक्यम्‌ हैं, उनसे हमारे इन तीन चक्रो में ताकत आनेवाली है तो हमारे मन में जो भय है वो अपने आप कम होनेवाला है। 

लेकिन शुरुआत कहाँ से होनी चाहिये? भूमि से होनी चाहिये, मूलाधार चक्र से होनी चाहिये। तो आप पूछेंगे, बापू हम ऐसा क्यों न करें, हम लं, वं, रं, वं, रं.. कहेंगे? चलेगा? लेकिन हमारे पास, इन बीज मंत्रों को, डायरेक्टली ज़ोड़ने की, खुद के चक्रों के साथ, ताकद नहीं होती। हमारे पास इतने पवित्र व्हायब्रेशन्स नहीं हैं, हम सामान्य इंसान हैं।

ये रामनाम जो हैं, इसके तीन बीज हैं ‘रं’ - र बीज है, आ है, र+आ+म, ये जो तीन साथ में ऐसे आये हैं और श्रीरामजी की शक्ति लेके आये हैं, उनके स्पंदन लेकर आये हैं, जो अपनेआप हमारे कुछ किये बीना, हमारे तीन, हमारे इन तीनों देहांतर्गत चक्रों को एक साथ कार्य करने के लिये, क्या करते हैं? ताकद देते हैं, प्रेरणा देते हैं, सामर्थ्य देते हैं।

‘रामनाम भय की नामोनिशानी मिटा देता है’ इस बारे में हमारे सद्गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

ll हरि: ॐ ll ll श्रीराम ll ll अंबज्ञ ll