शुद्धता यह सामर्थ्य है (Purity is the strength)- Aniruddha Bapu

परमपूज्य सद्‍गुरु श्री अनिरुद्ध बापू ने अपने ५ फरवरी २००४ के हिंदी प्रवचन में ‘ शुद्धता यह सामर्थ्य है ’ इस बारे में बताया।

 
कृष्ण भगवान और राधाजी का हमारे जिंदगी के साथ क्या रिश्ता है, यह बात समझाने के लिए अनिरुद्ध बापू ने पानी और साबुन का उदाहरण देकर समझाया। उन्होंने कहा- ‘हम देखते हैं कि जब हम स्नान करते हैं। जिस पानी से हम स्नान करते हैं वह पानी और जिस साबुन से हम स्नान करते हैं वह साबुन दोनों शुद्ध हैं। पानी और साबुन का इस्तेमाल किस लिए कर रहे हैं? हमारे बदन को शुद्ध करने के लिए। ये दोनों शुद्ध तो करते हैं, लेकिन दोनों में से सिर्फ एक हम को शुद्ध नहीं कर सकता है। शुद्ध करने के लिए इन दोनों की हमें एकसाथ आवश्यकता होती है। यदि कृष्ण भगवान जल की तरह हैं तो राधाजी साबुन या सोप की तरह हैं।’
 
इस उदाहरण से हम समझ सकते हैं कि हमारी जिंदगी में कृष्ण भगवान और राधाजी का क्या रिश्ता है।
 
शुद्ध होना ही हर जीवन का इतिकर्तव्यता है। शुद्ध होना बहोत आवश्यक होता है। शुद्धता के सिवा सामर्थ्य प्राप्त नहीं होता है। यह ध्यान में रखें। यह इस विश्व का एक मूलभूत नियम है। जो चीज जितनी शुद्ध होती है उतनी ही ताकद उसके पास होती है। ‘ शुद्धता यह सामर्थ्य है’, इसके बारे में हमारे सद्गुरु अनिरुद्ध बापू ने प्रवचन में बताया, जो आप इस व्हिडिओ में देख सकते हैं।

॥ हरि ॐ ॥ ॥ श्रीराम ॥ ॥ अंबज्ञ ॥